खूंटी में आदिवासी लोहरा समाज केंद्रीय कमेटी का अधिवेशन संपन्न
खूंटी में आदिवासी लोहरा समाज का एक दिवसीय अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन का उद्देश्य सामाजिक एकता, अखंडता और शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था। कई बुद्धिजीवियों ने समाज में...

खूंटी, संवाददाता। आदिवासी लोहरा समाज केंद्रीय कमेटी का एक दिवसीय अधिवेशन रविवार को खूंटी शहर के कचहरी मैदान में भव्य रूप से आयोजित हुआ। इस अधिवेशन की अध्यक्षता संयोजक सदस्य भीमसेन लोहरा ने की। कार्यक्रम की शुरुआत सरना धर्म अगुवा छुनकु मुंडा द्वारा पारंपरिक सरना सिंगबोंगा की पूजा-अर्चना से की गई। अधिवेशन का प्रमुख उद्देश्य लोहरा समाज में सामाजिक एकता, अखंडता बनाए रखना, जातीय समस्याओं का स्थायी समाधान खोजना और शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था। अधिवेशन को संबोधित करते हुए सरना धर्म अगुवा छुनकु मुंडा ने कहा कि लोहरा समाज 32 प्रमुख आदिवासी समुदायों में से एक है।
इनका नाम खतियान में ‘लोहार के रूप में दर्ज है, जबकि वास्तविक पहचान ‘लोहरा है। उन्होंने कहा कि लोहरा समाज को परंपरागत रूप से गुरु का दर्जा प्राप्त है और मुंडारी भाषा में इन्हें ‘बड़ाए अर्थात ‘बड़ा भाई कहा जाता है। बावजूद इसके, उन्हें सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो चिंताजनक है। जाति प्रमाण पत्र में आ रही बाधाएं: बालमुकुंद लोहरा केंद्रीय संयोजक सदस्य बालमुकुंद लोहरा ने सरकार पर समाज के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में लोहरा जाति के लोगों को खतियानी लोहार मानते हुए आदिवासी माना जाता है। फिर भी, उन्हें जाति प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा की अनुशंसा के बावजूद कई लोहरा परिवारों को जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता। समाज के प्रमुख बुद्धिजीवियों ने रखा विचार: कार्यक्रम में प्रोफेसर शिव प्रसाद लोहरा, अभय भुटकुंवर समेत कई समाज के बुद्धिजीवियों ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने समाज में जागरुकता लाने, शिक्षा पर जोर देने और संगठित संघर्ष की आवश्यकता पर बल दिया। इस अधिवेशन में प्रीतम सांड लोहरा, महाबीर लोहरा, संभु शंकर गुरु, अशोक लोहरा, रामब्रिंकच लोहरा, केडी गुरु, बजरंग लोहरा, उमेश लोहरा, आश्रित इंदवार, रामसरण लोहरा, खूंटी संयोजक रिड़ा लोहरा, रंजीत लोहरा, मोहनराम लोहरा, देवनाथ माघईया, सीता, मिलू भेंगरा, धुमेश लोहरा, सूरज तिर्की, बलराम लोहरा, पलकेश्वर लोहरा, छेदीय लोहरा, संजू लोहरा, लोकगायक महाबीर लोहरा बालचंद, माघईया, ललिता कैथा सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन एकता और अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष के संकल्प के साथ हुआ।
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