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बोले रांची: नियमित होने और मानदेय बढ़ोतरी की आस

झारखंड में एनएचएम के अनुबंधित एएनएम और जीएनएम कर्मियों ने नियमितीकरण और वेतन वृद्धि की मांग की है। ये कर्मी लंबे समय से काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें उचित वेतन और सरकारी सुविधाओं से वंचित रखा गया है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 21 Feb 2025 04:58 PM
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बोले रांची: नियमित होने और मानदेय बढ़ोतरी की आस

रांची, संवाददाता। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ऑक्जिलरी नर्सिंग मिडवाइफ (एएनएम) और जनरल नर्सिंग मिडवाइफ (जीएनएम) की बहाली करता है। एएनएम और जीएनएम के तौर पर झारखंड में लगभग पांच हजार और रांची में 400 से अधिक कर्मी कार्यरत हैं। अनुबंध के तौर पर काम करने वाले ये कर्मी लंबे समय से नियमितीकरण और कार्य के अनुरूप मानदेय बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। इनका वेतन काफी कम है। वहीं, कई सरकारी सुविधाओं का लाभ भी इन्हें नहीं मिलता है। चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र नर्सिंग का है। इसमें एएनएम और जीएनएम कर्मी महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। इनके अभाव में चिकित्सा व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन असंभव है। एएनएम और जीएनएम कर्मी जिस ममता, त्याग तथा अनन्य सेवा भाव से बीमार रोगियों की देखभाल करती हैं वह प्रणम्य है। हालांकि, आज ये खुद अपनी सेवा नियमितीकरण और वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।

इनका कहना है कि सालों से सेवा देने के बाद भी इन्हें सम्मानजनक वेतन नहीं मिलता है। एक स्थाईकर्मी के वेतन के अनुरूप तीन से चार अनुबंधकर्मियों को काम करना पड़ता है। इनका कहना है कि वे स्थाई कर्मियों की तुलना में अधिक काम करते हैं,लेकिन उसके अनुरूप वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है। नर्सों का कहना है कि 17 साल से भी अधिक समय से अनुबंध पर कार्य कर रही हैं, लेकिन हर समय उन्हें नौकरी की अनिश्चितता रहती है। साथ ही कम वेतन पर काम करने की मजबूरी भी बनी रहती है। एएनएम कर्मियों की सरकार से मांग है कि उन्हें नियमित करने की जल्द से जल्द पहल की जाए। उन्हें नौकरी की सुरक्षा, बेहतर वेतन और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले। राज्य में अनुबंध कर्मियों को उनके काम के अनुसार वेतन नहीं मिलता है, साथ ही जो वेतन मिलता है उसका अक्सर समय पर भुगतान नहीं किया जाता है। इसको लेकर व्यवस्था पर उनकी नाराजगी बनी रहती है। अनुबंध कर्मियों को ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा) की सुविधा नहीं मिलती है, जिससे उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्वयं या परिवार के किसी सदस्य के बीमार होने पर सभी खर्च अलग से उठाने की जिम्मेदारी आ जाती है। उनका कहना है कि वह जिस अस्पताल में सेवा देती हैं, वहां भी उन्हें उपचार में कोई रियायत नहीं दी जाती है। स्वास्थ्य सेव में रहकर भी अनुबंध कर्मी सरकारी योजनाओं और सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं। कहा, ईएसआई समेत उन्हें आयुष्मान भारत योजना से भी जोड़ा जाए ताकि वे परेशानी से बच सकें और अपने साथ परिवार के स्वास्थ्य का ख्याल रख सकें। अपनी समस्या रखते हुए कहती हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा राशन कार्ड, सरकारी आवास जैसी योजना के लाभ से भी वह वंचित हैं।

कर्मियों से वापस ले लिया गया बढ़ा हुआ मानदेय

एएनएम-जीएनएम कर्मियों का कहना है कि मई-2023 में विभाग के मंत्री के अदेश पर झारखंड राज्य में काम कर रहे अल्प वेतन भोगी एनएचएम अनुबंधकर्मियों के मानेदय में 15 प्रतिशत की मूल मानदेय में वृद्धि की गई थी, लेकिन पांच माह तक बढ़ा हुआ वेतन भुगतान के बाद वृद्धि की गई राशि विभागीय मौखिक आदेश के बाद में कटौती करते हुए वसूल कर ली गई है। उनका कहना है विभाग के इस रवैये से इस मंहगाई में अल्प मानदेय भोगी एनएचएम अनुबंधकर्मियों को आर्थिक एवं मानसिक आघात लगा है। उनका कहना है कि पहले से ही उन्हें वेतन कम मिलता है। जो बढ़ा हुआ वेतन था वो राशि तो खर्च हो गई। पांच महिने बाद जो वेतन कटौती की गई उससे उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसे लेकर कर्मियों ने मंत्री से लेकर सभी आलाअधिकारियों से मुलाकात की है। उनकी मांग है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 से अब तक मानदेय में जोड़कर बकाया राशि के साथ भुगतान की जाए। उनका कहना है की अब तो कई की उम्र सीमा भी खत्म होने जा रही है, कई सेवानिवृत्त हो गइंर्। इतने अल्प मानदेय में बच्चों की शिक्षा और भरण-पोषण कैसे संभव है।

मां की तरह सेवा,पर खुद खोज रहीं सरकार से ममता

झारखंड में एएनएम और जीएनएम दोनों स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राज्य में लगभग पांच हजार एएनएम व जीएनएम कर्मी हैं। इसमें अधिकतर अनुबंध आधारित हैं। वहीं, रांची में 400 से अधिक एएनम-जीएनएम कर्मी हैं। ये स्वास्थ्य से जुड़ी लगभग 37 सेवाओं में योगदान देती हैं।

एएनएम कर्मी ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। साथ ही बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण सेवाएं प्रदान करने,परिवार नियोजन सेवाओं के बारे में जागरुकता फैलाने, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, प्रसव के बाद महिलाव शिशु की देखभाल, समुदाय को स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में शिक्षित करने, समेत रोगों के प्रसार को रोकने के काम में महत्वपूर्ण योगदान देतीं हैं।

वहीं, जीएनएम कर्मी अस्पतालों में मरीजों की देखभाल करती हैं, जिनमें भर्ती मरीज और बाह्य रोगी दोनों शामिल हैं। मरीजों की स्थिति का आकलन करना, नर्सिंग योजनाएं बनाना, डॉक्टरों के निर्देशों के अनुसार मरीजों को दवाएं देना। मरीजों को इंजेक्शन लगाना, मरीजों की देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान देना शमिल है।

7 से 10 हजार में काम जॉब सिक्योरिटी भी नहीं

अस्थाई रूप से काम करने वाली नर्सों की जॉब सिक्योरिटी नहीं होती है। 7 से 10 हजार रुपए में नर्सों से गैर सरकारी अस्पताल काम लेते हैं। कई बार रात के समय नर्सिंग के अलावा हाउस कीपिंग का भी काम करवाया जाता है। कहा, यदि आज वे अपनी सेवा व सुरक्षा को महत्व देकर अपने कदम पीछे हटा ले तो सर्वत्र अव्यवस्था फैल जाएगी और परिस्थितियों को संभालना संभवत असंभव हो जाएगा। लेकिन, उनकी अपनी मजबूरी है, वे अपनी समस्याएं किससे कहें।

कोविड में कार्य पर भी प्रोत्साहन राशि नहीं

कोविड महामारी से लड़ने में डॉक्टर्स, नर्स और मेडिकल से जुड़े कर्मियों की अहम भूमिका रही। इस दौरान जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को मुआवजा देने और कठिन परिस्थिति में काम करने वाले अस्पताल कर्मियों को प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई थी, लेकिन वह बात ही रह गई।

काम के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं

कई गैर सरकारी संस्थाओं में काम करने वाली नर्सों के काम का समय निर्धारित नहीं है। नर्सों से 12-14 घंटे तक काम लिया जाता है। विरोध करने पर काम से निकाल दिया जाता है। नर्सों ने कहा, उनके काम करने का समय निर्धारित हो। ओवरटाइम पर उसका भुगतान किया जाना चाहिए।

बीमा और पीएफ मिले

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से एएनएम और जीएनएम की नियमित बहाली नहीं होती है। अस्पताल आउटसोर्स पर नर्सों की बहाली करते हैं। इससे नर्सों को न्यूनतम वेतन पर काम करना पड़ता है। ऐसे में इन्हें स्वास्थ्य बीमा समेत सरकारी और पीएफ जैसी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। इनके लिए काम का समय भी निर्धारित नहीं होता। इनका कहना है कि काम के लिए आने-जाने के दौरान अगर कोई हादसा हो जाता है तो उन्हें देखने वाला भी कोई नहीं है। वहीं, उनका वेतन इतना कम है कि वे अपने या परिवार के लिए महंगी बीमा योजना का लाभ ले सकें।

समस्याएं

1. 17 साल से अधिक समय से काम कर रहे अनुबंधकर्मियों को भी नियमित नहीं किया गया।

2. काम के अनुरूप नहीं है मानदेय, समय पर नहीं होता है वेतन का भुगतान।

3. ईएसआई की सुविधा नहीं मिलती है, आयुष्मान योजना का भी लाभ नहीं।

4. सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता, राशन कार्ड भी नहीं बनाया जाता है।

5. स्वास्थय बीमा का लाभ नहीं मिलता, काम करने की समय सीमा निर्धारित नहीं।

सुझाव

1. 17 साल से अधिक समय से काम कर रहे अनुबंधकर्मियों को नियमित किया जाए।

2. काम के अनुरूप मानदेय में वृद्धि करते हुए समय पर वेतन का भुगतान हो।

3. ईएसआई की सुविधा बहाल की जाए, आयुष्मान योजना से जोड़ा जाए।

4. सरकारी सुविधाओं का लाभ एएनएम कर्मियों को भी मिले, राशन कार्ड बनवाया जाए।

5. स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़ा जाए, काम करने का समय निर्धारित हो।

:: बोलीं कर्मी ::

नियमितीकरण के संबंध में उच्च अधिकारियों, विभाग के मंत्री से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं। लेकिन, अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। कई नर्सों की उम्र सीमा खत्म होने वाली है। वहीं, कई कर्मी तो उम्मीद में सेवानिवृत्त भी हो गए।

-मीरा कुमारी, प्रदेश अध्यक्ष, झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम जीएनएम संघ

काफी कम मानदेय है। इससे परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी होती है। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला पाने में असमर्थ हैं। राज्य में अनुबंधकर्मियों के लिए न तो मेडिकल सुविधा है, न ही आयुष्मान कार्ड। राशन कार्ड भी नहीं बनता है। सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिलता है।

-वीणा कुमारी, प्रदेश महासचिव, राज्य एनआरएचएम एएनएम जीएनएम संघ

17 साल से काम करने के बावजूद सम्मानजनक मानदेय नहीं मिलता है। लगातार आंदोलन के बाद 10% की मानदेय वृद्धि हुई, लेकिन उसमें भी कटौती कर ली गई।

-सुमती एक्का

अनुभव के आधार पर अनुबंधकर्मियों को नियमित किया जाए। सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना से अनुबंधकर्मियों को जोड़ा जाए। साथ ही काम करने का समय निर्धारित हो।

-कुमारी उर्मिला

सरकार के अंतर्गत रहकर भी सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित हैं। किसी भी तरह का सरकारी लाभ नहीं मिलता। सुदूर क्षेत्र में काम करने वाले सहकर्मी ज्यादा परेशान रहते हैं।

-आशा कुमारी

कोविड में जान गंवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को सरकार ने मुआवजा और प्रोत्साहन राशि देने की बात कही थी। लेकिन, तीन साल बाद भी न प्रोत्साहन राशि मिली न ही मुआवजा दिया गया।

-इंदुबाला

मानदेय में 15 प्रतिशत वृद्धि करने के बाद सरकार ने पांच माह बाद वह राशि वापस ले ली। अनुबंधकर्मियों के साथ छल किया गया। ली गई राशि का वापस भुगतान करना चाहिए।

-मीनू हेंम्ब्रम

अस्थाई रूप से काम करने वाली एएनएम-जीएनएम कर्मियों की नौकरी में कोई सिक्योरिटी नहीं होती है। कम मानदेय पर काम करने को मजबूर होती हैं। बात सुनने वाला कोई नहीं है।

-संगीता बाड़ा

अनुभव के आधार पर अनुबंधकर्मियों भत्ता दिया जाता है। वर्ष 2018-2020 तक का अनुभव भत्ता जो 15% है, उसका भुगतान नहीं हुआ। एरियर के तौर पर मिले।

-उषा कुजुर

ग्रामिण क्षेत्र में काम करने वाली एएनएम-जीएनएम कर्मियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खुद के खर्च परसरकारी वैक्सीनेशन कार्य को सुदूर जाते हैं।

-सुधा कुमारी

अनुबंधकर्मियों के लिए ईएसआई की सुविधा बहाल की जाए। साथ ही आयुष्मान योजना से जोड़ा जाए। काम के अनुरूप मानदेय में वृद्धि करते हुए समय पर वेतन मिले।

-ममता कुमारी

अनुबंधकर्मियों को 17 साल से ज्यादा का अनुभव है। अनुभव व काम के आधार पर नियमित किया जाना चाहिए। अन्य कर्मियों के मानदेय को सम्मानजनक बढ़ाना चिाहए।

-प्रेमा बाड़ा

गैर सरकारी संस्थाओं में काम करने वाली एएनएम-जीएनएम कर्मियों के काम के लिए समय निर्धारित नहीं है। नर्सों से 12 से 14 घंटे तक काम लिया जाता है। विरोध करने पर काम छोड़ना पड़ता है।

-सीता कुजूर

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