जज बनना नौकरी नहीं, लोगों को न्याय देने का मिशन : जस्टिस पाठक
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने कहा कि न्याय देना कोई नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन है। विदाई समारोह में भावुक होते हुए, पाठक ने अपने करियर के अनुभव साझा किए...
रांची, विशेष संवाददाता। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए। हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने उन्हें विदाई दी। जस्टिस पाठक ने कहा कि जज बनना कोई नौकरी नहीं, बल्कि यह लोगों को न्याय देने का मिशन है। न्याय सिर्फ दिखाने के लिए नहीं, बल्कि होते दिखना चाहिए। मैंने हमेशा न्याय देने की बेहतर कोशिश की है, ताकि समाज को इसका फायदा मिल सके। विदाई समारोह में बोलते हुए जस्टिस पाठक भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि वह आईपीएस बनना चाहते थे। लेकिन, नियति उन्हें कानून के क्षेत्र में लेकर आई। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अधिवक्ताओं और राज्य के अधिकारियों से हमेशा सहयोग मिला।
पटना हाईकोर्ट में करते थे प्रैक्टिस
जस्टिस पाठक ने कहा कि वह मूलत: बक्सर के रहने वाले हैं। लॉ की पढ़ाई के बाद पटना हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। वर्ष 2000 में झारखंड बनने के बाद वह झारखंड हाईकोर्ट प्रैक्टिस करने के लिए आए। वर्ष 2010 में उन्हें वरीय अधिवक्ता बनाया गया। तब उन्होंने यह नहीं सोचा था कि वह हाईकोर्ट के जज बनेंगे। जस्टिस पाठक की पत्नी सरकारी शिक्षिका हैं। उनका बेटा, बेटी और बहू कानून के क्षेत्र में ही काम कर रहे हैं। इस दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव ने कहा कि जस्टिस पाठक के कई फैसले समाज के लिए बेहतर साबित हुए हैं। इस अवसर पर महाधिवक्ता राजीव रंजन, एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार, स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण, पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार, नवीन कुमार, धीरज कुमार सहित सभी वकील और हाई कोर्ट के कर्मी मौजूद थे।
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