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चेक बाउंस के मामले में अदालत पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकती: हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने चेक बाउंसिंग मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिया है। जस्टिस अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि एनआई एक्ट की धारा 142 के तहत अपराधों का संज्ञान लेने के लिए पुलिस रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। केवल...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 22 Nov 2024 09:15 PM
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रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी के कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है। में कहा है कि चेक बाउंसिंग के मामले में एनआई की धारा 142 के तहत अपराधों का संज्ञान लेने के लिए पुलिस को रिपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं होती है और न ही अदालत को शिकायत की जांच करने के लिए पुलिस को निर्देश देने का अधिकार है। चेक अनादर के लिए धारा-138 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान केवल लिखित शिकायत पर ही लिया जा सकता है। अदालत ने प्रार्थी की याचिका स्वीकार करते हुए उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी।

याचिकाकर्ता प्रशांत कुमार सिंह के खिलाफ आरोप था कि उसने शिकायतकर्ता को 10 लाख 82 हजार 500 रुपये का चेक जारी किया था। वह चेक याचिकाकर्ता के खाते में पर्याप्त राशि नहीं रहने के कारण बाउंस कर गया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ कानूनी नोटिस भेजा, जिसके जवाब में याचिकाकर्ता ने कहा कि चेक बैंक में डालने से पहले शिकायतकर्ता को उसकी मंजूरी लेनी चाहिए थी। इसके बाद शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज की और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत पुलिस को रेफर करने की मांग की, इस शिकायत को मंजूर कर लिया गया। याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। उसकी ओर से अदालत में यह तर्क दिया गया कि उनके खिलाफ जालसाजी का कोई आरोप नहीं है, इसलिए प्राथमिकी रद्द होनी चाहिए।

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