Hindi Newsझारखंड न्यूज़रांचीJharkhand High Court Orders Employment for Woman Candidate Rejects Gender Discrimination

लिंग के आधार पर महिला को नौकरी से वंचित करना संविधान का उल्लंघन : हाईकोर्ट

ईसीएल ने जमीन के बदले मुआवजा दिया, लेकिन नौकरी नहीं, किसी पुरुष उम्मीदवार का नाम नहीं आने से महिला को नौकरी नहीं दी

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 30 Sep 2024 06:42 PM
share Share

रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि इस आधार पर किसी महिला उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता कि किसी पुरुष को नामित नहीं किया गया है। यह लिंग के आधार पर महिला उम्मीदवार को रोजगार से वंचित करना है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के खिलाफ है। इस आदेश के साथ जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने ईसीएल को प्रार्थी शिप्रा तिवारी की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।

जामताड़ा में ईसीएल ने जमीन को लेकर प्रार्थी के पिता के साथ समझौता किया था। समझौते में मुआवजे के साथ आश्रित को नौकरी देने की बात भी थी। लेकिन ईसीएल ने शिप्रा तिवारी को नौकरी नहीं दी। इसके बाद वर्ष 2005 में याचिकाकर्ता शिप्रा तिवारी के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को याचिकाकर्ता के पिता के आश्रित को मुआवजे के साथ-साथ नौकरी देने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश को ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने एलपीए दायर कर चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रार्थी को नौकरी नहीं दी गई, इसके बाद प्रार्थी ने पुन: याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान ईसीएल की ओर से कहा गया कि इस मामले में सिर्फ पुरुषों को ही नौकरी देने का प्रावधान है, लेकिन जमीन मालिक ने किसी पुरुष का नाम नहीं दिया था, सिर्फ महिला का नाम दिया था, इस कारण नौकरी नहीं दी गई। इस पर अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सिर्फ लिंग के आधार पर किसी महिला को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने ईसीएल को प्रार्थी को नौकरी देने का निर्देश दिया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें