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अनुसंधान पद्धतियों पर 50 प्रतिभागियों को मिला प्रशिक्षण

बीआईटी मेसरा के फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग ने वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व नीति के तहत मधुमेह घाव उपचार पर अनुसंधान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में 50 प्रतिभागियों...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 16 Dec 2024 06:40 PM
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रांची, विशेष संवाददाता। बीआईटी मेसरा के फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग ने सोमवार को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) की वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) नीति के तहत अनुसंधान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम- शहद की विभिन्न किस्मों के माध्यम से एडेनोसिन मोनोफॉस्फेट-एक्टिवेटेड प्रोटीन किनेज (एएमपीके), हाइपोक्सिया इंड्यूसिबल फैक्टर-1α और सूजन-संबंधी साइटोकिन्स की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करके मधुमेह घाव उपचार की यांत्रिक प्रक्रिया और शहद के सक्रिय घटकों की पहचान, परियोजना के तहत आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि- प्रो संदीप सिंह सोलंकी, डीन ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज (डीपीजीएस), बीआईटी मेसरा ने की। अध्यक्षता फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ पापिया मित्रा मजूमदार ने की। इसमें 50 प्रतिभागियों, जिनमें अन्य संस्थानों के 10 शोधकर्ता भी शामिल थे, ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को उन्नत अनुसंधान पद्धतियों के व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना और मधुमेह घाव उपचार के लिए चिकित्सीय दृष्टिकोणों की गहन समझ विकसित करना था। इसमें- प्रयोगात्मक चूहों पर घाव निर्माण, रक्त शर्करा स्तर की माप, उल्टे माइक्रोस्कोप का उपयोग करके हिस्टोपैथोलॉजिकल स्लाइड्स का अवलोकन और मूल्यांकन व 2डी जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस की तकनीक, विषयों पर सत्र हुए। कार्यक्रम में प्राकृतिक उत्पादों, विशेष रूप से शहद, की चिकित्सीय क्षमता की जांच पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो आणविक और जैव रासायनिक मार्गों के माध्यम से मधुमेह घावों के उपचार को बढ़ावा देते हैं। चर्चा में घाव उपचार प्रक्रियाओं में योगदान देनेवाले शहद के सक्रिय घटकों की पहचान पर जोर दिया गया।

प्रशिक्षण में सहयोगी अनुसंधान पहलों को प्रेरित किया गया और स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों का समाधान करने में शैक्षणिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम में परियोजना के मुख्य अन्वेषक व फार्मास्युटिकल साइंसेज और टेक्नोलॉजी विभाग के प्राध्यापक डॉ बापी गोराईन सहित अन्य शिक्षकगण व बड़ी संख्या में प्रतिभागी मौजूद थे।

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