शरीर के त्रिदोष का पता लगाने आपके द्वार पहुंचेंगे आयुर्वेद विशेषज्ञ
रांची में आयुष विभाग ने 'देश का प्रकृति परीक्षण अभियान' शुरू किया है, जिसमें वॉलेंटियर्स घर पर जाकर नागरिकों के वात, पित्त, और कफ दोषों का परीक्षण करेंगे। नागरिकों की स्वास्थ्य जानकारी एक मोबाइल ऐप के...
रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। शरीर के मुख्यत: तीन दोषों (वात, पित्त, कप) का पता लगाने के लिए अब आपके घर वॉलेंटियर (आयुर्वेद विशेषज्ञ) आएंगे। आयुष विभाग के ये वॉलेंटियर नागरिकों के शरीर की प्रकृति का परीक्षण कर समस्या का समाधान भी बताएंगे। सेहत से जुड़ी ये सभी जानकारियां मोबाइल ऐप पर प्राप्त होंगी। इसके लिए 'देश का प्रकृति परीक्षण अभियान' का पहला चरण 26 नवंबर से शुरू हुआ है, जो 25 दिसंबर तक चलेगा। इसमें 18 साल और इससे ऊपर के नागरिकों को शामिल किया जाएगा। अभियान को सफल बनाने के लिए आयुष निदेशक झारखंड सीमा कुमारी उदयपुरी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सभी जिलों के चिकित्सा पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य लोगों को उनकी प्रकृति के आधार पर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना है। इससे बीमारियों की रोकथाम हो सकेगी। संविधान दिवस पर मंगलवार को अभियान की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के प्रकृति परीक्षण के साथ की गई।
वात, पित्त-कफ दोषों के आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित इलाज
अभियान के राज्य समन्वयक सह निबंधक झारखंड राज्य आयुष चिकित्सा परिषद डॉ वकील कुमार सिंह ने बताया कि आयुष मंत्रालय के नेतृत्व और राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईएसएम) द्वारा प्रबंधित 'देश का प्रकृति परीक्षण अभियान' वात, पित्त और कफ दोषों के आयुर्वेदिक सिद्धांतों के आधार पर किसी व्यक्ति की अनूठी मन-शरीर संरचना या प्रकृति की पहचान करने पर केंद्रित है।
ऐप पर देनी होगी स्वास्थ्य की जानकारी
आयुष मंत्रालय ने 'प्रकृति परीक्षण' ऐप तैयार किया है। एंड्रॉयड फोन में ऐप के जरिये लोगों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी 12 प्रश्नावली में मांगी जाएगी। अंत में लाइव वीडियो के जरिये एक वाक्य भी बोलना है। सभी जानकारियां समिट करने के बाद एक क्यू आर कोड जेनरेट होगा। क्यूआर कोड को विशेषज्ञ वॉलेंटियर (आयुर्वेद ग्रेजेएट और पोस्ट ग्रेजुएट) स्कैन कर लोगों को उनकी सेहत की प्रकृति बताएंगे। समय-समय पर उपयोगी टिप्स के मैसेज भी भेजे जाएंगे।
आयुर्वेद की ओर लोगों को झुकाव बढ़ाना उद्देश्य
डॉ सिंह ने कहा, किसी की शख्स के स्वास्थ्य की प्रकृति को समझना और उसके आधार पर जीवनशैली की सलाह का पालन करने से वे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रख सकते हैं। इससे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) समेत अलग-अलग बीमारियों की रोकथाम में भी मदद मिल सकती है। देश का प्रकृति परीक्षण अभियान आयुर्वेद को हर घर के करीब लाना है। व्यक्ति को उनकी अनूठी प्रकृति को समझने और व्यक्तिगत, निवारक स्वास्थ्य प्रथाओं को अपनाने के लिए सशक्त बनाना है।
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