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जीवित्पुत्रिका व्रत बड़ी ही श्रद्धा के साथ संपन्न

बरकाकाना में तीन दिवसीय जीवित्पुत्रिका व्रत श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। माताएं पुत्र की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसे जितिया भी कहा जाता है, और यह छठ पर्व की तरह धूमधाम से...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Thu, 26 Sep 2024 11:26 PM
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बरकाकाना, निज प्रतिनिधि। संतान के सुख और सौभाग्य के लिये रखा जाने वाला तीन दिवसीय जीवित्पुत्रिका व्रत गुरुवार क़ो बड़ी ही श्रद्धा के साथ संपन्न हो गया। पुत्र की दीर्घ, आरोग्य और सुखमयी जीवन के लिए इस दिन माताएं व्रत रखती हैं। तीज की तरह यह व्रत भी बिना आहार और निर्जला रखना पड़ता है। तीन दिन तक चलने वाले इस व्रत को छठ पर्व की ही तरह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस व्रत को स्थानीय भाषा में जितिया भी कहा जाता है। समाजसेवी सुभाष बेदिया ने बताया की अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका मनाया जाता है। इसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है। छठ पर्व की तरह जितिया व्रत पर भी नहाय-खाय की परंपरा होती है। यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है, यानी व्रत खोला जाता है। उन्होंने बताया कि जितिया व्रत विवाहित महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण संतान की सदैव रक्षा करते हैं। इसके अलावा संतान से जुड़ी सभी तरह की समस्या दूर होती है।

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