मार्ग शीर्ष मास में होता है श्री सीताराम विवाह महोत्सव
मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु के विभिन्न स्वरुपों की पूजा का महत्व है। विद्वान ज्योतिषाचार्य पं. कुंडल तिवारी के अनुसार, इस मास में स्नान, ध्यान और पूजा से लाभ मिलता है। उत्पन्ना एकादशी, मोक्षदायनी...
हैदरनगर, प्रतिनिधि। मार्गशीर्ष मास (अगहन) में श्री विष्णु भगवान के कई स्वरुपों की पूजन करने का विधान हैं। विद्वान ज्योतिषाचार्य पं. कुंडल तिवारी इस मास की महत्ता और विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रथम दिवस से सतयुग की प्रारंभता की मान्यता से स्नान, ध्यान, पूजा पाठ उत्तम माना जाता है। ब्रह्ममुहूर्त में स्नान पूरे मास करने का विशेष महत्व है। इसी मास में की कृष्ण पक्ष की एकादशी देवी के रुप में प्रगट हुई थी। जो उत्पन्ना एकादशी नाम से प्रसिद्ध हैं। इस मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मोक्षदायनी एकादशी पड़ती है। शुक्ल पक्ष पंचमी को श्री सीताराम विवाह महोत्सव भी होता है। साथ ही दत्तात्रेय जी की जयंती भी मनाई जाती है। इस मास में श्री मद भागवद गीता का उदगम हुआ था। जिससे इस मास में गीता का पाठ करना काफी फलदायी माना गया है। इसी मास में चन्द्रमा के अमृतपान करने से अमृतमयी किरणें धरती पर बिखेरती है। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह का दिन सप्त ऋषियों की सलाह से हिमवान जी ने निश्चित किया था। जबकि श्री विष्णु भगवान की कई स्वरुपों में पूजा पाठ, थ्यान करनें का काफी फल प्राप्त होता हैं।
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