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बोले पलामूः किसानों को नहीं मिल रहा ‘एफपीओका लाभ

सरकार किसानों के उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है। पलामू में एफपीओ का गठन किया गया है, लेकिन किसानों को बीज, उर्वरक और अन्य उत्पादों की गुणवत्ता में कमी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूFri, 21 Feb 2025 02:05 AM
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बोले पलामूः किसानों को नहीं मिल रहा ‘एफपीओका लाभ

सरकार किसानों के उत्थान के लिए नित्य नई-नई योजनाएं लागू कर रही है। तीन साल पहले भारत सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, उच्च तकनीकी प्रशिक्षण देने सहित खेती के अत्याधुनिक तकनीक से अवगत कराने के लिए एकजुट करने का फैसला लिया। इसके तहत पलामू में भी फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) गठित किया गया है। परंतु एफपीओ के सदस्यों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। हिन्दुस्तान के बोले पलामू अभियान में किसानों ने अपनी समस्याओं को उजागर किया मेदिनीनगर। एफपीओ बनने के बाद इसके सदस्य किसानों को उम्मीद थी कि तेजी से उनका विकास होगा परंतु ऐसा अभी तक हो रही है पाया है। किसानों की स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन नहीं हुआ है। धान अधिप्राप्ति का आदेश न मिलना, अलग अलग कंपनियों से बीज, उर्वरक सहित अन्य उत्पादों से किसान ठगा महसूस कर रहे है। उच्च किस्म का बीज बताकर किसानों के बीच बांट दिया जाता है और हकीकत में बीज सामान्य से भी खराब किस्म का होता है।

किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते है। किसानों की समृद्धि ही भारत की वास्तविक समृद्धि होगी। तीन वर्ष पूर्व भारत सरकार ने देश में 10 हजार एफपीओ बनाने का निर्णय लिया था। इसके शुरुआती चरण में 3000 एफपीओ बनाए गए थे। झारखंड के पलामू जिले में चैनपुर और पांकी में शुरुआत में एफपीओ गठित किए गए थे। बाद में जल्दी ही 10 हजार एफपीओ का लक्ष्य पूरा कर लिया गया। इसके तहत लगभग 9.5 करोड़ किसान पंजीकृत हैं। वर्तमान में पलामू जिले में 23 एफपीओ कार्यरत है। इनमें 20 नाबार्ड से संबद्ध है जबकि तीन कोऑपरेटिव से संबद्ध है। इन सभी को दो कैटेगरी में बांटा गया है जो एफपीओ 1935 के अंतर्गत आते हैं वे पूर्ण रूप से सरकारी है जबकि बाकी अर्ध सरकारी है। एफपीओ का मूल कार्य है किसानों को जागरूक करना, आत्मनिर्भर बनाना और इसके लिए अनुदानित खाद, बीज और तकनीक प्रदान करना है। एफपीओ वर्तमान में बीज का लाइसेंस, उर्वरक का लाइसेंस, कंपनी का जीएसटी, आदि कार्य कर रही है ।

पलामू जिले में विद्यमान सभी एफपीओ में किसानों की अलग अलग संख्या पंजीकृत है। लेकिन सरकारी आवंटित सुविधाएं को प्रदान करते समय सबको एक ही तराजू में तौला जाता है। कुछ एफपीओ के पास पंजीकृत किसानों की संख्या 300 भी कम है जबकि कुछ एफपीओ में 1400 किसान पंजीकृत हैं। ऐसे में सरकारी स्तर पर मिले बीज, कीटनाशक , उर्वरक आदि सामग्री को किसानों की संख्या के आधार पर बांटने में उन्हें बहुत दिक्कत होती है।

जिला सहकारिता विभाग को किसानों की संख्या के आधार पर सरकारी उपकरण और अन्य सामग्री का बंटवारा सुनिश्चित करना चाहिए। एफपीओ का निर्माण किसानों की उन्नति और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लिए किया गया है। परंतु आज भी इससे जुड़े किसान समृद्ध नहीं हो पाए है। उन्हें इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। अभी हाल ही में हिल इंडिया कंपनी ने सरकारी स्तर पर एफपीओ को मक्का का बीज प्रदान किया। बीज किसानों तक पहुंचा ।

किसानों ने बड़े उत्साह पूर्वक अपने परंपरागत बीज के स्थान पर कंपनी विशेष के बीज को तवज्जो देते हुए खेतों में प्रयोग किया। परंतु दुर्भाग्य यह है कि बीज की वास्तविक संख्या का 20% बीज भी अंकुरित नहीं हुआ और किसानों की मेहनत निष्फल हो गई। बेहतर उत्पादन की स्थिति में उन्हें थोड़ी सी आर्थिक समृद्धि मिलती परंतु खराब किस्म के बीच के कारण उनकी यह सोच पूरी नहीं हो सकी। प्रक्रम के बाद उपयोग करने वालों ने इसकी शिकायत की तो रांची से जांच टीम भी आई। परंतु अब तक न तो बीज बदला गया और न हीं उसके पैसे मिले। वे अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। किसानों ने कहा कि सरकारी स्तर पर मिलने वाले इन बीजों को किसानों तक पहुंचने से पहले अच्छे से जांच की जाए ताकि किसान उच्च किस्म के बेहतर अनाज और अन्य सामग्री का उत्पादन कर सकें और उन्हें परेशानी न हो। प्रस्तुति: आनंद

एफपीओ को और अधिक क्रियाशील बनाएं

एफपीओ आज बेहतर कार्य कर रही है। परंतु दुर्भाग्य यह है कि सभी अहर्ताएं पूरी करने के बावजूद एफपीओ को धान अधिप्राप्ति करने का अधिकार नहीं दिया गया। ऐसे में वे अपना बेहतर नहीं कर पा रहे है। एफपीओ से किसान तो जुड़ रहे है मगर उन्हें बुनियादी लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में एफपीओ से जुड़े सैंकड़ों किसान खेतीबारी के पारंपरिक व्यवस्था से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इससेप्रोत्साहन भी नहीं मिल पा रहा है। पलामू में किसान पारंपरिक खेती से ज्यादा जुड़े हुए हैं। नाबार्ड और को-ऑपरेटिव स्तर से अधिक प्रयास की जरूरत है।

धान अधिप्राप्ति का मिले अधिकार

जिले में संचालित सभी एफपीओ को धान अधिप्राप्ति का अधिकार मिलना चाहिए। इससे किसान बिना बिचौलिए के आसानी से अपने उत्पादों को किसी भी समय बेच पाएंगे। इससे किसानों की स्थिति में सुधार होगा और वे धीरे धीरे आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर होंगे। यह मांग एफपीओ से जुड़े किसानों की है ताकि वे अपने को-ऑपरेटिव से जुड़े सभी किसानों का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सकें। एफपीओ के पास से धान का उठाव चयनित मिलर करें। इससे किसान बिना बिचौलिए के आसानी से अपने उत्पादों को किसी भी समय बेच पाएंगे।

उच्च किस्म का बीज मिले

सामान्यत: सरकार के निर्देश के बाद कंपनियों द्वारा मिलने वाली विभिन्न अनाजों के बीजों की क्वालिटी बेहद खराब होती हैं। इससे उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो जाती है। किसानों को सदैव उच्च कोटि का बीज मिले सरकार को इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। नुकसान होने पर किसानों को क्षतिपूर्ति का लाभ दिया जाना चाहिए। इससे किसान नए बीजों को लेकर नकारात्मक विचार नहीं रख सकेंगे।

एफपीओ को मिले नियमित प्रशिक्षण

एफपीओ से जुड़े सभी किसानों को नियमित रूप से अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे उनकी खेती करने के तरीके में बदलाव हो और वे कम जमीन में ज्यादा उत्पादन कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो सके। पलामू में एफपीओ के सशक्तिकरण का बड़ा लाभ मिलेगा। किसानों की आय भी बढ़ेगी। कम जमीन में ज्यादा उत्पादन होने से किसानों के साथ-साथ जिले की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। पलामू में गठित एफपीओ का सशक्तिकरण कर किसानों को प्रशिक्षित करने की दिशा में पहल की जा सकती है।

शिकायतें और सुझाव

1. अर्हता पूरी करने के बाद भी जिला प्रशासन एफपीओ को धान अधिप्राप्ति का अधिकार नहीं दे रही है।

2. सामान्यत: एफपीओ को खराब किस्म के बीज दिए जाते है। इससे कुल बीज का मात्र 20% ही अंकुरित हो पाता है।

3. एफपीओ गठन के पश्चात आज भी किसानों की स्थिति में सुधार नहीं आ पाया है। अबतक पूरे अधिकार नहीं मिले है।

4. एफपीओ से जुड़े किसानों को भी को फसलों की पूरी जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है।

1. अर्हता पूरी करने वाले एफपीओ को धान अधिप्राप्ति का अधिकार मिलना चाहिए। इससे किसान को अच्छे दाम मिलेंगे।।

2. एफपीओ को बीज देने से पहले सरकारी स्तर पर इसकी जांच हो ताकि किसानों को बेहतर किस्म के बीज मिल सके।

3. एफपीओ का गठन के पश्चात किसानों के हित के कार्य करने के लिए सभी अधिकार दिया जाना चाहिए।

4. एफपीओ से जुड़े किसानों को फसलों की पूरी जानकारी दी जाए।

धान अधिप्राप्ति के लिए चयन का अधिकार आपूर्ति विभाग का है। हालांकि एफपीसी को धान उठाव का अधिकार देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। एफपीओ सरकार की बड़ी योजना है जिसका फायदा आने वाले दिनों में दिखेगा।

उमेश कुमार सिन्हा, जिला सहकारिता पदाधिकारी

जिले में मौजूद सभी एफपी ओ को वर्तमान समय तक धान अधिप्राप्ति का अधिकार नहीं मिलने से सभी एफपीओ से जुड़े लोग निराश हैं। सरकार से मिलने वाली बीज, उर्वरक आदि चीजें को जांच कर ही किसानों को भेजना चाहिए। सरकार को विशेष पहल करनी चाहिए।

ब्रजेश कुमार पांडेय, सचिव, एफपीओ

बेहतर गुणवत्ता वाले बीज न मिल पाने से किसानों की पैदावार पर खराब असर पड़ता है। बदलाव लाने के लिए लिए सबसे पहले सरकार को ठोस पहल करने की जरूरत है। मनीषा देवी

अधिक पैदावार होने पर अनाजों के भंडारण हेतु की व्यवस्था नहीं है । ऐसे में बड़ी मात्रा में उत्पादित अनाज और अन्य फसल बर्बाद हो जाता है। इसका उपाय हो।

अशोक चौरसिया

तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को बेहतर पैदावार हेतु प्रेरित करना चाहिए जिला प्रशासन इसके लिए कोई पहल नहीं करती है। इससे स्थिति नहीं बदल पा रही है।

बरती देवी

एफपीओ को प्राप्त होने वाले बीज की क्वालिटी बेहद खराब होती है। साथ ही उर्वरक समेत अन्य उत्पाद किसानों की उम्मीद के अनुरूप बेहतर नहीं होते है।

दीपक कुमार

सारे कागजात ठीक होने के बावजूद सक्षम एफपीओ को धान अधिप्राप्ति नहीं करने दिया जा रहा है। इस पूरे प्रक्रम में जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है।

आकाश रंजन

किसानों की समस्या को हल करने के लिए सरकार गंभीर नहीं है। प्रखंड और पंचायत स्तर तक कैंप लगाकर इनकी समस्याओं का निराकरण होना चाहिए। अभिमन्यु कुमार

बेहतर उत्पादन के लिए सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है। मानसून पर निर्भर होकर किसान उम्मीद के अनुरूप खेती नहीं कर पाते हैं। इसमें बदलाव लाने की जरूरत है।

मंजू देवी

एफपीओ से जुड़े किसानों को उत्कृष्ट कृषि से संबंधित प्रशिक्षण नहीं मिलतौ। उपकरण भी सहजता से सुलभ नहीं है। किसान परंपरागत पद्धति अपनाने को विवश है।

धनंजय यादव

उत्कृष्ट किसानों को कृषि क्षेत्र में बेहतर करने के बाद भी प्रोत्साहन नहीं मिलता है जबकि इन्हें समय समय पर पुरस्कृत और प्रेरित करना चाहिए। पर ऐसा नहीं हो रहा है।

हरि प्रसाद साहू

लाइसेंस बनने के बाद भी धान अधिप्राप्ति के अधिकार न मिलना यह सिद्ध करता है कि इसमें बिचौलिए हावी है। इसे तत्काल ठीक करने की बहुत जरूरत है।

पिंटू यादव

धान अधिप्राप्ति का लाइसेंस नहीं मिलने के कारण सभी लोग निराश हैं। अथक परिश्रम से कृषि क्षेत्र में बेहतर करने की सोच रखने वाले किसान बेहद परेशान है।

प्रशांत सिंह

एफपीओ से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार और जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। सहयोग नहीं मिलने से किसानों की हालत है।

विकास रंजन

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