Hindi Newsझारखंड न्यूज़पलामूBole Palamu:This is the limit, there is no pension, they also run for equipment.

बोले पलामूः हद है, एक तो पेंशन नहीं, उपकरण के लिए भी दौड़ाते हैं

  • दिव्यांग समाज के अभिन्न अंग होते हुए भी पलामू में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दिव्यांगों के लिए न तो पलामू जिले में अबतक डेडिकेटेड स्कूल, छात्रावास और आवासीय परिसर का निर्माण कराया गया है और न ही उन्हे रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने की कोई अलग से व्यवस्था की गई है।

Hindustan हिन्दुस्तान टीमSun, 16 Feb 2025 06:36 PM
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बोले पलामूः हद है, एक तो पेंशन नहीं, उपकरण के लिए भी दौड़ाते हैं

दिव्यांग समाज के अभिन्न अंग होते हुए भी पलामू में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दिव्यांगों के लिए न तो पलामू जिले में अबतक डेडिकेटेड स्कूल, छात्रावास और आवासीय परिसर का निर्माण कराया गया है और न ही उन्हे रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने की कोई अलग से व्यवस्था की गई है। स्वावलंबी बनाने की दिशा में अबतक कोई पहल नहीं शुरू हुई है। इस कारण पलामू के दिव्यांग काफी परेशान और अवसाद की स्थिति में जी रहे हैं। दिव्यांगों का सहारा माने जाने वाले राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ देने में भी काफी अनियमितता है। इसके कारण उन्हे आर्थिक परेशानियों से जुझना पड़ रहा है। दिव्यांगों को चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक सहायक उपकरण भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। उपकरण के लिए भी कई बार दौड़ाया जाता है। बोले पलामू अभियान में दिव्यांगों ने कहा कि अगर उन्हें जिला स्तर से थोड़ा-थोड़ा सहयोग मिलता रहे तो वे भी सामान्य लेागों की तरह जीवन जी सकते हैं।

मेदिनीनगर। पलामू के दिव्यांगों का दर्द कम नहीं हो रहा है। पेंशन, सहयोगी उपकरण, आवासीय परिसर, स्कूल , छात्रावास आदि कोई भी मांग पूरी नहीं हो रही है जबकि जिले में प्रत्येक वर्ष तीन दिसंबर को दिव्यांग दिवस मनाते हुए उन्हें भी समाज का मुख्य अंग बताया जाता है और उनके उत्थान के लिए संकल्प भी व्यक्त किया जाता है।

पलामू जिले के जीएलए कॉलेज परिसर में मूक-बधिर विद्यालय निर्माण के लिए करीब 25 वर्ष पहले शिलान्यास किया गया था। अब शिलापट्ट भी गायब हो गया है परंतु मूक-बधिर विद्यालय आकार नहीं ले सका। दिव्यांगों ने अपनी पहल पर जिला दिव्यांग विद्यालय की स्थापना की। अनियिमतता के कारण 2020 में उसे भी प्रशासन ने बंद कर दिया परंतु वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दे सका। बोले पलामू कार्यक्रम में दिव्यांगों ने कहा कि राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन की राशि समय पर नहीं मिलने से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पलामू जिला में विकलांग आवासीय विद्यालय भी लंबे समय से बंद पड़ा है। इस कारण मेदिनीनगर से दिव्यांगजन पूरी तरह से कट चुके हैं। अधिकांश दिव्यांग ग्रामीण क्षेत्रों में रहने को विवश हैं।

दिव्यांगों ने कहा कि दिव्यांगों के रहने के लिए जिला मुख्यालय के मेदिनीनगर के जेलहाता में संचालित विकलांग आवासीय विद्यालय 15 दिसंबर 2020 से बंद हो गया है। इस आवासीय विद्यालय में 70 से अधिक दिव्यांग रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे। कुछ दिव्यांगों को प्रशिक्षण भी मिलता था। समाज के प्रबुद्ध लोग समय-समय पर जाकर दिव्यांगों का सहारा बनते थे। परंतु आवासीय विद्यालय बंद हो जाने से दिव्यांग पूरी तरह से बिखर गए हैं। पलामू जिला विकलांग संघ कई बार जिला प्रशासन, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त तक दिव्यांग आवासीय विद्यालय पुन: चालू करने की मांग रख चुका है, परंतु दिव्यांगों को इसमें अब तक सफलता नहीं मिली है। दिव्यांगों का कहना है कि जब विश्व दिव्यांग दिवस आता है तो किसी तरह जिला प्रशासन जिला मुख्यालय में उन्हे बुलाकर कार्यक्रम आयोजित करता है, परंतु दिव्यांगों की समस्याओं के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं। इस कारण दिव्यांग समाज से अलग-थलग पड़ गए हैं। उन्हें अब उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है।

प्रस्तुति: राजेश

दिव्यांगों के लिए हो अलग स्कूल

दिव्यांगों के लिए अलग से कोई स्कूल नहीं होने के कारण सामन्य स्कूलों में पढ़ाई करना पड़ता है। पलामू जिला विकलांग आवासीय विद्यालय 2020 से बंद होनेसे दिव्यांगों की परेशानी बढ़ गई है। इस विद्यालय में दिव्यांग बच्चे रहकर पढ़ाई करते थे, साथ ही दिव्यांग बच्चियों को प्रशिक्षण आदि भी दिया जाता था। स्कूल बंद होने से उनके सपनों पर भी ताला लग गया है। जिला प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था अबतक खड़ा नहीं कर सका है।

दिव्यांगों के लिए नहीं है प्रशिक्षण की व्यवस्था

पलामू जिला में दिव्यांगों के प्रशिक्षण के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण उनकी प्रतिभा कुंठित हो रही है। दिव्यांगों की मांग है कि स्वरोजगार के लिए अनुमंडल स्तर पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए, ताकि ग्रामीाण क्षेत्र के दिव्यांग भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार प्राप्त कर सकें। उन्हें रोजगार से जोड़ने लिए जिला स्तर पर कारगर पहल करने की आवश्यकता है। इसे लेकर कई बार मांग भी उठाई गई।

रैंप नहीं होने से होती है परेशानी

सरकारी कार्यालयों, स्कूलों मुख्य बाजारों में दिव्यांगों के लिए रैंप की व्यवस्था नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती है। अपनी बातों को दिव्यांग सीधे तौर पर अधिकारी के सामने नहीं रख पाते हैं। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी नहीं जा पाते हैं। इस कारण उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। रेलवे स्टेशन पर अलग से दिव्यांगों के लिए काउंटर की व्यवस्था नहीं होने से भीड़ ही जाकर दिव्यांगों को टिकट कटाना पड़ता है।

1. राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन कई माह से बंद है। इससे दिव्यांग जनों को रोजमर्रा की जिंदगी में काफी परेशानी हो रही है।

2. बहुत समय से दिव्यांगों को नहीं मिल सका है सहायक उपकरण जिससे उनके कई काम बाधित हो रहे हैं।

3. रोजगार से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण की नहीं है कोई व्यवस्था। इससे उन्हें कोई काम नहीं मिल पा रहा है।

4. विकलांग आवासीय विद्यालय नहीं खोले जाने से ग्रामीण क्षेत्र में रहने को हैं विवश। वे कहीं बाहर नहीं जा पाते

5. कार्यालयों में जाने के लिए रैंप नहीं होने से अपनी बात रखने से दिव्यांग रह जा रहे हैं वंचित।

1. समय से दिव्यांगों को पेंशन का भुगतान हो। पेंशन की राशि एक हजार से ढ़ाई हजार रुपए किया जाए।

2. जिला समाज कल्याण की ओर से दिव्यांगों के बीच सहायक उपकरण का वितरण कराया जाए ताकि सहूलियत हो।

3. रोजगार के लिए दिव्यांगों के लिए अलग से प्रशिक्षण की व्यवस्था हो जिससे काम मिलने में आसानी हो।

4. 2020 से बंद पड़े विकलांग आवासीय विद्यालय को खोला जाए ताकि दिव्यांग इसका समुचित लाभ उठा सकें।

5. सरकारी कार्यालयों में दिव्यांगों को जाने के लिए रैंप की व्यवस्था होनी चाहिए।

दिव्यांगों को सहायक उपकरण देने की प्रकिया की जा रही है। सभी सीडीपीओ से अपने-अपने परियोजना से जरूरमंद लोगों को चिंह्नत कर रिपोर्ट मांगी गई है। पेंशन समाजिक सुरक्षा कोषांग से मिलता है। राज्य से मिलने वाला दिव्यांग पेंशन अपडेट है,परंतु केंद्र से मिलना वाली पेंशन में एक-दो माह से विलंब हो रहा है।

नीता चौहान, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी

दिव्यांगों को पूरी तरह से उपेक्षित कर दियाग या है। न तो समय से पेंशन का भुगतान हो रहा है और न ही जिला समाज कल्याण की ओर से अपेक्षित लाभ मिल पा रहा है। जिला मुख्यालय में दिव्यांगों को रहने की कोई व्यवस्था नहीं होने से दिव्यांग ग्रामीण क्षेत्रों में रहने को विवश हैं। कई लोगों के पास राशन कार्ड भी नहीं है।

सुरेंद्र कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष, पलामू जिला विकालांग संघ

दिव्यांग महिलाओं के लिए सिलाई, कढ़ाई आदि का प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि वे भी स्वावलंबी बनकर परिवार का भरण-पोषण कर सकें। राजकली कुमारी

दिव्यांगों को प्रमाण पत्र बनवाने में जो परेशानियों हो रही है। उसे सरल किया जाए। कई दिव्यांगों के पास राशन कार्ड नहीं है। राशन कार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए। संदीप कुमार

दिव्यांगों को भी अलग से अबुआ आवास और प्रधानमंत्री आवास मिलना चाहिए। दिव्यांगों के पास आवास नहीं है। कई दिव्यांग जैसे-तैसे जिंदगी बसर कर रहे हैं। अनील कुमार

बंद पड़े विकलांग आवासीय विद्यालय को खोला जाए,ताकि जिला मुख्यालय में रहकर दिव्यांग पढ़ाई-लिखाई कर सकें। व्यवस्था नहीं होने से परेशानी है। सुनील उरांव

सरकारी कार्यालय में दिव्यांगों को पहुंचने के लिए रैंप की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि अपनी बातों को दिव्यांग अधिकारी तक पहुंचकर रख सकें। अख्तर अंसारी

जिला समाज कल्याण की ओर से दिव्यांगों को समय से सहायक उपकरण मिलना चाहिए,ताकि कई दिव्यांग सहायक उपकरण के बिना लाचार महसूस न करें। रवींद्र राम

दिव्यांगों को पढ़ाई के लिए अलग से स्कूल होना चाहिए। अलग से स्कूल नहीं होने के कारण सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई करने में दिव्यांगों को दिक्कत होती है। जनमुद्दीन अंसारी

दिव्यांगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र होना चाहिए,ताकि दिव्यांग युवक-युवतियां प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वावलंबी बन सकें। मुकेश कुमार

बंद पड़े विकलांग आवासीय विद्यालय को खोला जाए, ताकि मेदिनीनगर में रहने के लिए दिव्यांगों को छत मिल सके। साथ ही उनके लिए प्रशिक्षण की भी व्यवस्था हो। अखिल अजहर

दिव्यांगों को समय से सरकार पेंशन दें,ताकि दिनचर्या की जरूरतों को दिव्यांग पूरा कर सकें। समय से पेंशन नहीं मिलने से काफी दिक्कत होती है। कोरिल कुमार

दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन की राशि में बढ़ोतरी किया जाए। दिव्यांगों को पेंशन के नाम पर केवल एक हजार रुपए प्रति माह मिलता है जो काफी कम राशि है। अमलेश पासवान

दिव्यांगों के रोजगार से जोड़ने के लिए अलग से प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि दिव्यांग भी अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। रामपुकार सिंह

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