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दुर्गोत्सव: हिरणपुर के प्रमुख दुर्गा मंदिरों में बंगाली रीति-रिवाज से होती है पूजा

हिरणपुर, एक संवाददाता। दुर्गोत्सव: हिरणपुर के प्रमुख दुर्गा मंदिरों में बंगाली रीति-रिवाज से होती है पूजा दुर्गोत्सव: हिरणपुर के प्रमुख दुर्गा मंदिरो

Newswrap हिन्दुस्तान, पाकुड़Fri, 27 Sep 2024 01:19 AM
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हिरणपुर, एक संवाददाता। स्थानीय मुख्यालय स्थित वैष्णव देवी, शील दुर्गा मंदिर व मोयरा मोदक तीनों दुर्गा मंदिरों में वर्षों से पूजा अर्चना होते आ रही है। तीनों ही मंदिरों में बंगाली रीति रिवाज से पूजा अर्चना होती है। जिसकी वजह से षष्ठी से मां के कपाट खोले जाते हैं। इसके बाद यहां पूजा की धूम देखने को मिलती है। इस बार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरु हो रही है। वर्तमान समय में दुर्गा पूजा को लेकर चहल पहल बढ़ गई है। मंदिरों में मां दुर्गा के प्रतिमा स्थापित करने को लेकर मूर्तिकार मूर्ति को रूप देने में लगे हैं। सुंदरपुर स्थित वैष्णव देवी दुर्गा मंदिर में वर्ष 1927 से पूजा अर्चना होते आ रही है। सर्वप्रथम यहां स्व. रोसोराज सेन व स्व. योगिंद्र नाथ सेन द्वारा यहां पूजा अर्चना शुरू की गई थी। उसके बाद उनकी पीढ़ी स्व. चितरंजन सेन व स्व. हाराधन सेन ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। वहीं उनके बाद साल 1992 से मिहिर सेन, सूरज सेन की देखरेख में यहां हर साल धूमधाम से मिट्टी से निर्मित मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती रही है।

शील दुर्गा मंदिर में 150 वर्षों से पूजा अर्चना की जाती रही है। सर्वप्रथम स्व. हीरालाल शील व उनकी धर्म पत्नी स्व. सुंदरीवाला दासी शील द्वारा मिट्टी से निर्मित मंदिर में पूजा प्रारंभ की गई थी। लोग इसी मिट्टी रूपेण मंदिर में पूजा अर्चना करते थे। उनके बाद इसकी जिम्मेदारी स्व. ईश्वर चंद्र शील, स्व. महेश्वर चन्द्र शील, स्व. गौर शील, स्व. राजकिशोर शील आदि को दी गई थी। जिसके बाद अब वर्तमान समय में राजू शील, प्रणब शील, मिलु शील, मुन्ना शील, अपूर्व शील, सुनील शील, संजीत शील, मधुसूदन शील, प्रदीप कुमार शील, बंकिम शील, जयंत कुमार शील, माधव चंद्र शील व प्रशेनजीत शील आदि के देखरेख में पूजा अर्चना व संचालन कार्य किया जा रहा है।

पहले खपड़ैल नुमा घर में होती थी माता की पूजा...

मोयरा मोदक मंदिर की स्थापना वर्ष 1923 में हुई थी। जिसे स्व. विभूति भूषण दत्ता, स्व. अभय पद सेन, स्व.शशि भूषण सेन व स्व. उमेश दत्ता आदि के द्वारा मिलकर की गई थी। इससे पूर्व 1913 में ये दुर्गा मंदिर हिरणपुर बाजार के निकट घोड़ा हाट में हुआ करता था। जहां स्व. दयाल चन्द्र दत्ता ने प्राण प्रतिष्ठा कर पूजन प्रारंभ करवाया था। तभी ये खपड़ैल नुमा मिट्टी के घर में हुआ करता था। इसके बाद इस मंदिर को विधिवत रूप से हिरणपुर बाजार लक्ष्मी मंदिर रॉड में स्थापित किया गया। उसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी इसका पूजन उत्सव धूमधाम से किया जाता रहा है। वर्तमान में इसकी समिति का गठन कर इसके अध्यक्ष के रूप में नंद कुमार दे, सचिव के रूप में पार्थो दत्ता का चयन हुआ है। वहीं सदस्य के रूप में श्यामचंद रक्षित, नयन सेन, तपन दत्ता, तपन सेन व चंदन दत्ता के नाम शामिल है।

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