डोमचांच में दुर्गापूजा त्योहार को लेकर पंडाल व प्रतिमा को कारीगर दे रहे अंतिम रूप
डोमचांच में दुर्गापूजा का भक्तिमय माहौल है। शिवसागर कैंप में 1917 से मां दुर्गा की पूजा हो रही है। रावण दहन और मेले का आयोजन भी होता है। मसनोडीह टांड़ में भी 1989 से पूजा की जा रही है। इस त्योहार को...
डोमचांच, निज प्रतिनिधि। प्रखंड क्षेत्र में भी दुर्गापूजा को लेकर चारों ओर भक्तिमय माहौल है। विभिन्न जगह लगने वाले प्रतिमा और पूजा पंडाल निर्माण कार्य के साथ प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राक्षसी शक्तियों पर दैविक शक्तियों के विजय का यह त्योहार पूरे प्रखंड क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। अभी नवरात्र चल रहा है। सप्तमी के दिन सभी प्रतिमा के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। शिवसागर, मसनोडीह,बगड़ो,टैक्सी स्टैंड, कालीमंडा, ढाब आदि जगहों में पूजा समितियों द्वारा पूजा-पंडाल निर्माण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शिवसागर कैंप में 1917 से हो रही मां कीह आराधना
शिवसागर कैंप में 1917 से बंगाली विधि-विधान से मां दुर्गा की प्रतिमा लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है। लगभग 100 साल से अधिक समय से मां दुर्गा की पूजा भक्तिभाव से होते चली आ रही है। बताया जाता है अंग्रेजों के जमाने के पूर्व से यहां पूजा हो रही है। जब यहां सीएमआई कंपनी थी,तो उसमें कार्यरत वर्द्धमान के बंगाली परिवार ने बंगाली विधि-विधान से मां दुर्गा की प्रतिमा लगाकर पूजा शुरु की थी। तभी से आज तक शिवसागर को डोमचांच का ऐतिहासिक पूजा स्थल माना जाता है। शिवसागर कैंप में बर्द्धमान निवासी अभय चक्रवर्ती ने सबसे पहले यहां मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी। वर्तमान पुरोहित अभय चक्रवर्ती के वंशज वर्द्धमान से आकर पूजा में शामिल होते हैं। इसमें मधुबन,एकडरवा,घरबरियाबार,बेलाटांड,मसनोडीह,बेहराडीह,दुरोडीह, तेतरियाडीह,महथाडीह,शिवसागर,नावाडीह आदि गांव के भक्त मां दुर्गा की पूजा करने पहुंचते हैं।
शिवसागर में रावण दहन होगा आकर्षण का केंद्र
शिवसागर में दुर्गापूजा पर रावण दहन आकर्षण का केंद्र रहता है। पूरे डोमचांच के लोग हजारों की संख्या में पहुंचकर रावण दहन के दिन मेले का भरपूर आनंद उठाते थे। यहां पूजा को सफल बनाने में वार्ड पार्षद अनिल यादव,राजद नेता प्रदीप यादव,सुब्रत मुखर्जी,सोनू कुमार,दिवाकर बनर्जी,मनोज कुमार,सुमन चंद्रवंशी,अनिल मेहता,बबलू कुमार,संजय कुमार,गुड्डू कुमार,प्रदीप बनर्जी आदि सक्रिय हैं। समिति अध्यक्ष डॉ संदीप घोष ने बताया कि लगभग 30-40 वर्षों से यहां पर पूजा हमारी देखरेख में की जा रही है। इसके पूर्व तारा शंकर बनर्जी की देखरेख में हुआ करता था। सबसे पहले यहां पूजा अभय चक्रवर्ती द्वारा की जाती थी,जो बर्द्धमान के निवासी थे। आज उन्हीं के वंशजों द्वारा मां की पूजा होती है। आज भी अभय चक्रवर्ती के वंशज बर्द्धमान से यहां आकर पूजा में शामिल होते हैं।
मसनोडीह टांड़ में 1989 से की जा रही पूजा-अर्चना
मसनोडीह टांड़ पर श्री शरद कालीन पूजा समिति द्वारा साल 1989 से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है। यहां पूजा को सफल बनाने सचिव सचिननंद मेहता,अध्यक्ष नंदकिशोर मेहता,कोषाअध्यक्ष जागेश्वर शर्मा,पूजा प्रभारी देवनारायण मेहता,सदस्य आशीष मेहता,राजू मेहता,संजय मेहता,लालचंद मेहता,राजेंद्र मेहता ,पिंटू राज,लक्ष्मण मेहता,ओकील कुमार,सुभाष मेहता आदि सक्रिय हैं।
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