रांची की बच्ची में मिला GBS वायरस, मच गया हड़कंप; कितनी खतरनाक है यह बीमारी?
- झारखंड की राजधानी रांची में जीबीएस का पहला केस सामने आया है। यहां एक बच्ची में लक्षण दिखने के बाद उसके स्टूल को टेस्ट के लिए भेजा गया है। स्वास्थ्य विभाग मामले पर नजर बनाए हुए है।
झारखंड के रांची में जीबीएस (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) का पहला संदिग्ध सामने आया है। रांची की साढ़े पांच साल की एक बच्ची में इस वायरस के लक्षण मिले हैं। बीते एक हफ्ते से संदिग्ध बच्ची का इलाज रांची के बालपन चिल्ड्रेन अस्पताल में चल रहा है। इस संबंध में रांची के सिविल सर्जन डॉ प्रभात ने बताया कि स्टूल कलेक्ट कराया गया है, जिसकी जांच के लिए सैंपल को पुणे भेजा जाएगा।
इधर, बालपन अस्पताल के संचालक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश ने बताया कि सात दिन पहले जीबीएस के लक्षण के साथ बच्ची को भर्ती कराया गया था। सीएसएफ टेस्ट और एनसीवी (नर्व्स कंडक्शन वेलोसिटी) टेस्ट में बच्ची पॉजिटिव मिली है। बच्ची को आईवीआईजी का एक कोर्स दिया जा चुका है। जल्द ही आईवीआईजी का दूसरा कोर्स दिया जाएगा। ठीक नहीं होने पर प्लाज्मा फेरेसिस की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। बच्चों के लिए इस विधि से इलाज अब तक रांची में नहीं हुआ है, कुछ सेंटरों से बात कर इसकी तैयारी की जा रही है।
कितनी खतरनाक है यह बीमारी
डॉ राजेश के अनुसार, यह बीमारी शरीर के निचले अंग से नस को कमजोर करता है, जिससे मरीज चलने-फिरने में अक्षम हो जाता है और फिर सांस लेने तक में परेशानी होने लगती है। इस बच्ची के मामले में निचली नस के कमजोर होने से लेकर रेस्पिरेटरी मसल्स एक दिन के अंदर ही पैरालाइज्ड हो गया। यह काफी तेजी से हुआ है और सुधार की प्रक्रिया काफी धीमी है। इसमें पोलियो की तरह लक्षण होते हैं और पोलियो की जांच स्टूल टेस्ट से किया जाता है। सैंपल ले लिया गया है।
जीबीएस के लक्षण
इस संक्रमण के सारे लक्षण पोलियो की तरह होते हैं। इसमें शरीर की नीचे से ऊपर की ओर नसें कमजोर होने लगती हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का लैट्रिन-पेशाब करने में कंट्रोल खत्म हो जाता है। साथ ही सांस लेने में मरीज को परेशानी होने लगती है। इसके अलावा खाना निगलने में भी दिक्कत आने लगती है।