झारखंड में कब होंगे नगर निकाय चुनाव? हेमंत सरकार ने हाई कोर्ट में बताया
- झारखंड में नगर निकाय चुनावों को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार ने हाई कोर्ट को जवाब देते हुए नगर निकाय चुनावों का समय बता दिया है।
झारखंड में नगर निकाय चुनाव चार माह में करा लिए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक अपडेट मतदाता सूची नहीं मिली है। सूची मिलने के बाद चुनाव की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी। हाईकोर्ट में गुरुवार को यह जवाब राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी दिया। इस पर जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को एक सप्ताह में मतदाता सूची देने का निर्देश देते हुए सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निजी तौर पर पेश होने पर छूट प्रदान की।
मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार चुनाव करा लेगी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि कोर्ट पहले ही कह चुका है कि ट्रिपल टेस्ट के नाम पर चुनाव को रोका नहीं जा सकता। कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसका पालन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी इस पर सहमति जताई है। ट्रिपल टेस्ट के मामले पर कोर्ट कोई सुनवाई नहीं करा रहा है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि मतदाता सूची मिलने के बाद चार माह में चुनाव करा लिए जाएंगे।
13 जनवरी को मतदाता सूची दे दी गई है : भारत निर्वाचन आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि लोकसभा चुनाव के पूर्व मतदाता सूची तैयार की गई थी। यह सूची 13 जनवरी को ही राज्य निर्वाचन आयोग को दे दी गई है। इस पर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि हर साल पांच जनवरी को संशोधित मतदाता सूची जारी होती है। इस बार अभी तक यह सूची नहीं मिली है। इस पर कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को एक सप्ताह में मतदाता सूची जारी करने का निर्देश दिया।
निकाय चुनाव को लेकर क्या है एकलपीठ का आदेश
हाईकोर्ट ने चार जनवरी 2024 को सरकार को तीन सप्ताह में निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि समय पर चुनाव नहीं कराना और चुनाव रोकना लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने जैसा है। यह संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत भी है। ट्रिपल टेस्ट की आड़ में समय पर नगर निकाय का चुनाव नहीं कराना उचित नहीं है। संविधान का अनुच्छेद 243 स्पष्ट करता है कि चुनाव समय पर कराना अनिवार्य है। अदालत ने कहा था कि नगर निगम और नगर निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के काफी समय बीतने पर भी चुनाव नहीं कराया गया। प्रशासक के माध्यम से नगर निकाय चलाया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए उचित नहीं है। चुनाव नहीं कराना संवैधानिक तंत्र की विफलता है।