हेमंत बनेंगे JMM अध्यक्ष, शिबू सोरेन होंगे संस्थापक संरक्षक; अधिवेशन में आज लगेगी मुहर
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में अब कार्यकारी अध्यक्ष का पद नहीं होगा। झामुमो के महाधिवेशन के पहले दिन सांगठनिक प्रस्ताव के तहत पार्टी के संविधान में संशोधन पर मुहर लग गई। पार्टी के संविधान संशोधन से संबंधित प्रस्तावों पर मंगलवार को आधिकारिक रूप से मुहर लगाई जाएगी।

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में अब कार्यकारी अध्यक्ष का पद नहीं होगा। झामुमो के महाधिवेशन के पहले दिन सांगठनिक प्रस्ताव के तहत पार्टी के संविधान में संशोधन पर मुहर लग गई। खेलगांव में शुरू हुए झामुमो के दो दिवसीय 13वें महाधिवेशन में सोमवार को पार्टी के संविधान में संशोधन के जरिए कार्यकारी अध्यक्ष का पद विलोपित करने और उसके स्थान पर संस्थापक संरक्षक का पद शामिल करने का प्रस्ताव लाया गया। इस संशोधन के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अब झामुमो के नए केंद्रीय अध्यक्ष होंगे, जबकि केंद्रीय अध्यक्ष रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन संस्थापक संरक्षक की भूमिका में होंगे।
पार्टी के संविधान संशोधन से संबंधित प्रस्तावों पर मंगलवार को आधिकारिक रूप से मुहर लगाई जाएगी। पहले दिन कुल 16 राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए। महाविधेशन के दौरान आठ राज्यों से आए लगभग चार हजार प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व्हील चेयर पर जब गुरुजी को लेकर मंच पर पहुंचे तो जय झारखंड... के नारे लगे।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बावजूद गुरुजी पत्नी रूपी सोरेन के साथ पूरे समय मंच पर मौजूद रहे। उन्होंने हाथ उठाकर महाधिवेशन में मौजूद प्रतिनिधियों को आशीर्वाद दिया। अब मंगलवार को महाधिवेशन के अंतिम दिन झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में हेमंत सोरेन की ताजपोशी होगी। इसके साथ ही नई केंद्रीय समिति का भी गठन और चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
हेमंत ने खुद को साबित किया
हेमंत सोरेन ने झामुमो को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दौर में पहुंचाया है। वर्ष 2015 में उन्हें झामुमो के 10वें महाधिवेशन के दौरान जमशेदपुर में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता को लेकर बातें की गईं, लेकिन उन्होंने स्वयं को साबित कर दिखाया। नेता प्रतिपक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने संघर्ष यात्रा के जरिए तत्कालीन रघुवर दास सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल बनाया कि भाजपा को वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह का देखना पड़ा। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने। विपरीत परिस्थितियों में गिरफ्तारी के बावजूद झामुमो ने लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी आदिवासी आरक्षित सीटें जीत सबको चकित कर दिया। सभी 5 आदिवासी सीटों पर झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी जीते।
हेमंत सोरेन जेल से रिहा हुए। उनके विरुद्ध लगे आरोपों के मद्देनजर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि इसका कोई साक्ष्य नहीं है। 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने शानदार सफलता हासिल की और प्रचंड बहुमत से सत्ता में लगातार दूसरी बार वापसी कर इतिहास रचा। उनके नेतृत्व में झामुमो 34 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा। कांग्रेस, राजद और वामदलों को मिलाकर गठबंधन 81 में से 56 सीटें जीतने में कामयाब रहा। अब हेमंत एक और नए अध्याय लिखने के लिए आगे बढ़ते दिख रहे हैं।
झामुमो को आता है राज्य लेना और चलाना: हेमंत
महाधिवेशन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज झामुमो झारखंड की सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी बनकर खड़ा है। इसकी गहरी जड़ें राज्य के हर घर तक पहुंच चुकी हैं। यह भी साबित हुआ है कि कमजोर समझा जाने वाला वर्ग जब शोषण के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाता है, तब देश की सबसे बड़ी और ताकतवर जमात को दो बार हार का मुंह देखना पड़ता है। स्पष्ट है कि झामुमो राज्य लेना भी जानता है और बेहतर तरीके से सही दिशा में चलाना भी जानता है। कार्यकर्ताओं के जोश, उत्साह और समर्थन से झामुमो ताकतवर लोगों की जमात से हर प्रकार का लोहा ले सकता है। शिबू सोरेन और अगुआ लोगों के खून-पसीने से सींचे गए झारखंड को लूटने नहीं देंगे। अब इस राज्य के लोगों को पहले अधिकार मिलेगा।