झारखंड के 393 रैयतों के लिए खुशखबरी! 393 आवासों का जल्द किया जाएगा आवंटन
गुरुवार को झारखंड के रैयतों के लिए खुशखबरी सामने आई। नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि हटिया विधानसभा अंतर्गत कूटे, आनी, तिरिल और मुड़मा में विस्थापितों के लिए बने 393 आवासों का जल्द से आवंटन किया जाएगा। सर्वे का काम कराकर योग्य विस्थापितों के नाम के सत्यापन का काम चल रहा है।

गुरुवार को भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने गैर सरकारी संकल्प में 212 करोड़ से बनकर तैयार आवास और एचईसी विस्थापितों को जमीन लौटाने की मांग की। मंत्री ने कहा- एचईसी में कई स्टेक होल्डर हैं। रैयतों को सरप्लस जमीन लौटना सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं। नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि हटिया विधानसभा अंतर्गत कूटे, आनी, तिरिल और मुड़मा में विस्थापितों के लिए बने 393 आवासों का जल्द से आवंटन किया जाएगा। सर्वे का काम कराकर योग्य विस्थापितों के नाम के सत्यापन का काम चल रहा है। मंत्री ने कहा है कि अगर विपक्ष सरप्लस जमीन लौटाने में सहयोग करे, तो राज्य सरकार रैयतों को नियमानुसार जमीन वापस कर देगी।
भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से उक्त सवाल को उठाया। उन्होंने कहा- झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन ने अपने घोषणा पत्र में मूल रैयतों को जमीन वापस करने की कही थी, लेकिन इस वादा को सरकार पूरा नहीं करना चाहती। अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो के गैर सरकारी संकल्प वापस लेने की बात पर भी नवीन जायसवाल नहीं मानें और वोटिंग कराने की मांग कर दी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने वोटिंग कराकर इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया।
नवीन ने तैयार 400 आवासों का मुद्दा उठाया
नवीन जायसवाल ने कहा कि 6-7 वर्ष पूर्व विस्थापितों के लिए बनकर तैयार आवास वर्तमान में यथावत की स्थिति में है। अभी तक विस्थापितों को आवंटित नहीं किया गया है।
आवास देने को तकनीकी समस्याएं हो रहीं दूर
विधायक ने आरोप लगाया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पांच साल से राज्य सरकार विस्थापितों को आवास की चाबी तक नहीं दे पाई है। मंत्री ने समस्याओं को दूर किया जा रहा है।
अनुरोध और आंदोलन के बावजूद आवास-जमीन वापस नहीं
विधायक ने कहा कि विस्थापितों एवं विस्थापित समितियों के द्वारा बार-बार अनुरोध एवं आंदोलन के बावजूद बनकर तैयार आवास रैयतों को आवंटित नहीं किया गया। इसी तरह एचईसी की अतिरिक्त अधिगृहित जमीन को यहां के विस्थापितों रैयतों को वापस नहीं किया गया। इस वजह से रैयतों में आक्रोश है। इन सभी के कारण यहां के रैयतों और विस्थापितों में काफी आक्रोश की भावना बनी हुई है।
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