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Hindi Newsझारखंड न्यूज़गुमला35 Black Bengal Goats Sent to Hyderabad for Research and Breeding

कृषि विज्ञान केंद्र ने हैदराबाद अनुसंधान केंद्र को भेजी 35 ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां

बकरियों की नई ब्रीड तैयार करने के लिए होगा शोध बकरियों की नई ब्रीड तैयार करने के लिए होगा शोधबकरियों की नई ब्रीड तैयार करने के लिए होगा शोधबकरियों की

Newswrap हिन्दुस्तान, गुमलाSun, 8 Sep 2024 05:38 PM
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गुमला संवाददाता। कृषि विज्ञान केंद्र गुमला ने 35 ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरियां रविवार केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान (CRIDA) हैदराबाद भेजा है।35 ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियों में 30 मादा और पांच नर है। हैदराबाद अनुसंधान केंद्र में ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरियों से नई ब्रीड तैयार किया जायेगा। इन बकरियों कोघाघरा प्रखंड के नावाडीह गांव के अजय कुमार साहू के फार्म से भेजा गया है। कृषि विज्ञान केंद्र गुमला जिले में आर्या परियोजना के तहत ग्रामीण युवाओ को कृषि में आकर्षित करने और बनाए रखने के इरादे से बकरीपालन को बढावा देता रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जिले के शिवराजपुर, गुनिया, बेलागड़ा गांव में जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार (निकरा ) परियोजना चलायी जा रही हैं l इस बाबत केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया की केंद्र ने ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी को आर्या परियोजना से जुड़े घाघरा प्रखंड के नावाडीह गांव के अजय कुमार साहू के फार्म से उपलब्ध कराया है। जो की बकरी पालन के छेत्र में अच्छा कार्य कर रहे है l डॉ कुमार ने बताया की इनके फार्म से राज्य के कई जिलों के किसानों को यह नस्ल उपलब्ध करा चुके है l उन्होने बताया कि ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां लगभग सभी प्रकार की जलवायु के लिए उपयुक्त है । साथ ही साथ इस नस्ल का पालन अन्य की अपेक्षा ज्यादा आसान है l इस नस्ल की बकरिया वर्ष में दो बार बच्चे देती है । इस नस्ल का मांस अन्य की तुलना में ज्यादा स्वादिस्ट है जिससे इसकी बाजार मांग भी ज्यादा है l इस नस्ल की बकरियों का वजन एक वर्ष में लगभग 15-20 किलोग्राम तक हो जाता है lहैदराबाद अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारी बी के सिन्हा ने बताया कि इस नस्ल को हमारे संस्थान द्वारा शोध कार्य के लिए ले जाया जा रहा है। जिससे और उपयुक्त नस्ल को विकसित किया जायेगा ,जो की इस शुष्क जलवायु के लिए और उपयुक्त हो l इसके द्वारा विकसित नई नस्ल को देश के अन्य हिस्सों में इसे निकरा परियोजना के माध्यम से बढ़ावा दिया जायेगा l

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