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भाजपा के गढ़ में दो विधायक पुत्रों के चुनावी ताल ठोंकने से सिमरिया में होगा महासंग्राम

भाजपा के गढ़ में दो विधायक पुत्रों के चुनावी ताल ठोंकने से सिमरिया में होगा महासंग्रामभाजपा के गढ़ में दो विधायक पुत्रों के चुनावी ताल ठोंकने से सिमरिया

Newswrap हिन्दुस्तान, चतराThu, 24 Oct 2024 02:49 AM
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टंडवा नामांकन प्रक्रिया आरंभ होते हीं सिमरिया विस में चुनावी महासंग्राम में नेतागण ताल ठोकने लगे है। मतदाताओं को लुभाने की प्रक्रिया बूथ केन्द्रों में तेज होती जा रही है। पूर्व विधायक के दोनों पुत्रों के बीच महासंग्राम होने के आसर है। सीपीआई के विधायक स्वर्गीय रामचंद्र राम के पुत्र मनोज चंद्रा और चार बार भाजपा से विधायक रहे स्वर्गीय उपेन्द्रनाथ दास के पुत्र उज्ज्वल कुमार दास चुनावी अखाड़े में एक दूसरे को ललकारते नजर आ रहे है। सिमरिया विस चुनाव में इस बार कई बदलाव देखने को मिल रहा है। साल 2019 में आजसू से चुनाव लड़ने मनोज चंद्रा झामुमो के उम्मीदवार है। सर्वप्रथम उन्होंने सीपीआई से चुनाव लड़ा उसके बाद राजद, राजद के बाद आजसू। साल 2024 में आजसू का दामन छोड़ झामुमो के गोद में बैठ गये। पिछले तीन विस चुनाव लड़ने वाले मनोज चंद्रा अबतक जीत का स्वाद नहीं चख पाये हैं। वहीं भाजपा उम्मीदवार उज्जवल कुमार दास 2007 के चुनाव में हार की कड़ूआ घूंट पी चुके है। उस समय तत्कालीन सीपीआई के उम्मीदवार रामचंद्र राम विधायक बने थे। 14 साल बाद सिमरिया विस पर जीत की खाता खोलने वाले भाजपा विधायक किसुन कुमार दास को 2024 के चुनाव में भाजपा के दिल्ली दरबार ने बाहर का दरवाजा दिखा दिया है, इससे इनके समर्थक हताश और निराश है। 1977 से सिमरिया विस अस्तित्व में आने के बाद अबतक के चुनाव परिणाम पर नजर दौड़ाये तो भाजपा के उम्मीदवार उज्ज्वल दास के पिता उपेन्द्रनाथ नाथ दास सिमरिया सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। पहली बार 1977, दूसरी बार 1990, तीसरी बार 1995 चौथीबार 2005 में विधायक बने। वहीं झामुमो के उम्मीदवार मनोज चंद्रा के पिता एक बार 2007 के उपचुनाव में विधायक बने जब विधायक उपेन्द्रनाथ दास का आकस्मिक निधन हो गया। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के ईश्वरीराम पासवान दो बार विधायक बने और मंत्री बने। इसके बाद अबतक कोई विधायक सिमरिया से मंत्री नहीं बना। इस प्रकार चुनाव परिणाम पर नजर दौड़ाये तो भाजपा की स्थिति सिमरिया मजबूत है। पिछले चुनावों में कांग्रेस की उम्मीदवार होती थी पर झामुमो ने कांग्रेस से यह सीट छीन कर दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे कांग्रेस के कार्यकत्र्ता अंदर हीं अंदर नाराज है। बहरहाल दो विधायक के पुत्र चुनावी अखाड़े में उतरने से महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला होगी।

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