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Hindi Newsझारखंड न्यूज़चाईबासाDemand for Inclusion of Ho Language in Indian Constitution s Eighth Schedule at Jantar Mantar Protest

हो' भाषा को संविधान की आठवीं अनूसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुआ धरना प्रर्दशन

चाईबासा। 'हो' भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आदिवासी हो समाज युवा महासभा ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। सभा में डॉ बबलू सुण्डी ने कहा कि सरकार उनकी बात नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, चाईबासाSat, 14 Sep 2024 09:58 AM
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चाईबासा। हो' भाषा को संविधान की आठवीं अनूसूची में शामिल करने की मांग को लेकर शनिवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आदिवासी हो सामाज युवा महासभा की केंद्रीय कमेटी के बैनर तले धरना प्रर्दशन किया गया। उक्त धरना प्रदर्शन युवा महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष ईपील सामड के अध्यक्षता में किया गया। इस मौके पर युवा महासभा के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष डॉ बबलू सुण्डी, वर्तमान केंद्रीय महासचिव गब्बर सिंह हेंब्रम सहित विभिन्न राज्यों के युवा महासभा के सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।इस दौरान पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष डॉ बबलू सुण्डी नें सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम लोग अपनी भाषा को आठवीं अनुसुची में शामिल करने की बात को लेकर यहां बार बार आते है.लेकिन कोई सरकार हमलोगों की बात नहीं सुनती है और चुनाव के समय हम लोगों के घर तक चले आते है।इसलिए भाषा को प्राथमिकता के आधार पर रखना होगा।झारखंड सरकार ने गजट अधिसूचना के माध्यम से इसे दूसरी राज्य भाषा घोषित किया है। झारखंड और ओडिशा राज्यों ने पिछले दिनों 'हो' भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की है। आदिवासी 'हो' समाज युवा महासभा ने अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमेटी के सहयोग से शनिवार को 'हो' भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर जोर देने के लिए जंतर-मंतर में एक दिवसीय धरना प्रर्दशन किया गया। इस धरना प्रर्दशन में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ के दो हजार 'हो' भाषा बोलने वाली जनजातियों ने पारंपरिक पोशाक पहनकर धरने में भाग लिया। वक्ताओं नें कहा कि हो' सबसे प्राचीन ऑस्ट्रो-एशियाई पारिवारिक भाषाओं में से एक है, जिसके पूरे देश में 40 लाख से अधिक लोग बोलते हैं। इसमें वारांगचिति नामक विशेष रूप से डिजाइन की गई लिपि है, जिसका उपयोग झारखंड के विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में किया जाता है। इसमें समृद्ध लिखित और मौखिक साहित्य है। इसकी किताबें देवनागरी,ण उड़िया, बंगाली और वारंगचिती लिपि में प्रकाशित होती हैं। इसका उपयोग ओडिशा में बहुभाषी पद्धति में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में भी किया जाता है।।झारखंड सरकार ने गजट अधिसूचना के माध्यम से इसे दूसरी राज्य भाषा घोषित किया है.मौके पर मुख्यरूप से रायरंगपुर के विधायक जोलेन नायक, चंद्रमोहन मुंडरी, रामराय मुडुया, लक्षमीधर सिंह तियू, सावन सोय,सोनाराम बोदरा, दिशोम दिल्ली का अध्यक्ष केके जामुदा, सुराबिरूली, महेंद्रमहर्षी,ग्रीशचंद्र हेंब्रम,शुशिल सवैयां, प्रकाश पुरती, मदन बोदरा, मनोरंजन तिरिया आदि सैकड़ो लोग उपस्थित थे।

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