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बोले बोकारो: कम ब्याज दर लोन व प्लेटफॉर्म मिले तो कारोबार होगा आसान

भेण्डरा, झारखंड में लौह कुटीर उद्योग को शेर शाह सूरी द्वारा स्थापित किया गया था। यहां के कारीगरों को आधुनिक उपकरणों और सरकारी सहायता की आवश्यकता है। पारंपरिक उद्योग में युवाओं की रुचि कम हो रही है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSat, 22 Feb 2025 01:29 AM
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बोले बोकारो: कम ब्याज दर लोन व प्लेटफॉर्म मिले तो कारोबार होगा आसान

15वीं शताब्दी में शेर शाह सूरी ने बोकारो के भेंडरा में लौह कुटीर उद्योग की स्थापना की गई थी। जो आज भेंडरा सेफ फिल्ड ऑफ झारखंड के नाम से प्रसिद्ध है। लगभग 500 से अधिक कुशल व अर्ध कुशल कारीगर सरकारी के पहल की उम्मीद में है। लेकिन, आज तक इन्हें थोड़ी बहुत सहयोग के अलावा ऐसी कोई मदद नहीं मिली। उक्त बातें आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की ओर से बोले बोकारो संवाद के दौरान लौह कुटीर उद्योग में शामिल विश्वकर्मा लोहार समाज के लोगों ने कही। उन्होंने बताया कि परंपरागत लौहारों को अत्यधिक तकनीक से लैस किया जाए। यहां बसे लोहार जाति के लोगों को कोयला और लौहे का लिकेज नहीं मिलने से परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। सौदा महंगा साबित हो रहा है। अगर कम ब्याज दर लोन और अच्छा प्लेफार्म मिले तो कारोबार करना और आसान हो जाएगा।

बोकारो जिले के अंतिम छोर में नावाडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत गिरिडीह व धनबाद जिले के बोर्डर पर बसा भेण्डरा गांव है, यहां लोहार की एक बस्ती है। जो अपने पारंपरिक पद्धति से आसपास के पंचायत के लोगों के लिए भी रोजगार मुहैया कराता है। परंपरागत तरीके से हैंडमेड लौह वस्तुएं बनाकर यह गांव अपना लोहा मनवा चुका है। अंग्रेज के जमाने ब्रिटेन से रेलवे के लिए मंगवाया जाने वाला बॉल पेन हम्मर, पहली बार हाथ से बनाकर अपनी प्रतिभा से ब्रिटिश शासन को अचंभित कर दिया था। आज यहां के लोहार जाति के लोग कंपटीशन के बाजार में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। जबकि, बगैर सरकारी सहायता के इनका सालाना कारोबार 60 करोड़ से अधिक का है। सरकारी सहायता मिले तो यहां के लोग इस आंकड़े को कई सौ करोड़ तक ले जाने में सक्षम है।

मिनी टूल्स रूम नहीं होने से बढ़ी कठिनाइयां : कारीगरों ने बताया कि मिनी टूल्स रूम की अनुपलब्धता सबसे अधिक कठिनाइयां उत्पन्न कर रही है। अपने बनाए औजारों की टेस्टिंग के लिए जमशेदपुर व कोलकाता जाना इनकी बाध्यता है। इसके अलावा कई तरह की लेथ सहित अन्य आधुनिक उपकरणों की कमी से जूझना पड़ता है। ऐसे में रेलवे, विद्युत विभाग, खनन विभाग, डिफेंस विभाग आदि में माल सप्लाई करने में परेशानी होती है।

चाइना में मिल रहा कंपटीशन: ग्रामीणों ने बताया कि हमारे उद्योग को चीन से कंपटीशन मिल रहा है। हमे सरकारी सहयोग मिले तो, हम चाइना को टक्कर देने की क्षमता रखते है। हमारा ट्रेडिशनल, टेक्नोलॉजी से जुड़ते ही, हमारी कार्यक्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। सरकार हमें आधुनिक मशीन, प्रशिक्षण, पूंजी, टेस्टिंग लैब आदि की व्यवस्था दे। साथ ही कम से कम झारखंड के हर जिले में भेण्डरा के प्रोडक्शन का एक डिस्प्ले सेंटर बनाए। ताकि हमें और बेहतर परफॉर्म करने का अवसर प्राप्त हो।

6-7 डीसी कर चुके है भेण्डरा का दौरा: सन 2000 में बोकारो उपायुक्त विमल कृति सिंह ने भेण्डरा का दौरा किया था। इस दौरा के बाद उन्होंने भेण्डरा लोहकर्मी सह प्रशिक्षण केंद्र का भवन बनवाया। इसके बाद 2023 में डुमरी विधायक सह मंत्री झारखंड सरकार द्वारा इस भवन का जीर्णोद्धार किया गया। अभी तक काम चल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक बोकारो के 6-7 डीसी ने भेण्डरा के इस कुटीर उद्योग का दौरा कर चुके है। लेकिन, आशा अनुरूप यहां के कुटीर उद्योग को सहायता नहीं मिली।

तलवार से शुरू होकर इंजीनियरिंग टूल्स तक पहुंचा : ग्रामीणों ने कहा कि शेरशाह सूरी के द्वारा बसाया गया, लोहारों का यह गांव अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। 15वीं शताब्दी में हथियार ही भेण्डरा का मुख्य उत्पाद हुआ करता था। अंग्रेजी शासनकाल में औधोगिक क्रांति का दौर शुरू हुआ। इसके साथ ही रेलवे के लिए टूल्स बनाया जाने लगा। समय के साथ घरेलू उपाय व खेती से संबंधित सामग्री बनाई जाने लगी। फिर इंजीनियरिंग के युग में उसके अनुसार टूल्स बनाया जाने लगा। अब बाजार में बने रहने के लिए फिर से तलवार निर्माण करना हमारी मजबूरी है। क्योंकि बाकी चीजों का डिमांड लगातार कमी आई।

युवाओं का हो रहा मोह भंग

ग्रामीणों ने बताया कि भेण्डरा के पारंपरिक उद्योग को सरकारी सहयोग से आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में युवाओं का इस कार्य से मोहभंग हो रहा है। कंप्यूटर से डिजाइनिंग का युग है। युवाओं को इसी तर्ज पर सरकार प्रशिक्षण की व्यवस्था करें, जिससे यहां के युवाओं को काम में मजा आएगा। इस पेशा को बढ़ाने का अवसर मिलेगा व सरकार को रॉयल्टी मिलेगी।

सुझाव

1. ट्रेडिशनल पद्धति को टेक्नोलॉजी से जोड़े सरकार।

2. कोयला और लोहे का भंडारण और लिंकेज उपलब्ध कराये तो खिल उठेगा उद्योग।

3. कारीगरों के लिए कान के दौरान आवश्यक सेफ्टी सामग्री उपलब्ध कराया जाए।

4. उत्पादनों की टेस्टिंग के लिए टेस्टिंग लैब की व्यवस्था हो।

5. मिनी टूल्स रूम की व्यवस्था करें सरकार।

शिकायतें

1. टेक्नोलॉजी के अभाव में युवाओं का घर रहा रूझान ।

2. कोयला और लोहे का भंडारण व लिंकेज नहीं।

3. घर में चल रहे कुटीर उद्योग कारीगरों को सेफ्टी सुरक्षा नहीं।

4. टेस्टिंग लैब के अभाव में जमशेदपुर से लेकर कोलकाता तक लगाना पड़ता है चक्कर।

5. मिनी टूल्स रूम के अभाव से बढ़ जाती है परेशानी।

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