Hindi Newsझारखंड न्यूज़बोकारोLockdown broke Bokaro MGNREGA workers dying of hunger

लॉकडाउन ने तोड़ी बोकारो के मनरेगा मजदूरों की कमर, भूखों मर रहे

लॉकडाउन में मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण विकास कार्य के संचालन में मुख्य भूमिका निभानेवाले पंचायत सचिवालयों का हाल बेहाल है। जिस कारण मजदूरों के लिए न तो योजना बन रही है और न ही उन्हें राहत देने के लिए...

rupesh वरीय संवाददाता, बोकारो Thu, 23 April 2020 05:43 PM
share Share

लॉकडाउन में मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण विकास कार्य के संचालन में मुख्य भूमिका निभानेवाले पंचायत सचिवालयों का हाल बेहाल है। जिस कारण मजदूरों के लिए न तो योजना बन रही है और न ही उन्हें राहत देने के लिए सरकार की योजना धरातल पर उतर रही है। ऐसे में मजदूरों को इन दिनों भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। इनके सामने भुखमरी की स्थित उत्पन्न हो गई है। सरकार की ओर से अनाज सहित अन्य सामग्री जरूर उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन रोजगार के क्षेत्र में अबतक काम शुरू नहीं हो पाया है। मजदूर भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं। लॉकडाउन ने तो और कमर तोड़ दी है।  पेश है हिन्दुस्तान की खास रिपोर्ट:-

पंचायत भवन में दाल-भात बन रहा : चास-चंदनकियारी मेन रोड पर दोनों प्रखंड की सीमा रेखा पर साबड़ा पंचायत सचिवालय स्थित है। यहां सरकारी दफ्तर खुलने के साथ साथ न तो विकास कार्यों पर काम शुरू हुआ है और न ही लॉकडाउन में विकास को गति देने के लिए कोई योजना ही बनाई जा रही है। सरकार के निर्देश के बाद भी मनरेगा सहित अन्य कार्य ठप हैं। जिससे प्रतिदिन कार्य करनेवालों के समक्ष रोजगार संकट उत्पन्न हो गया है। बुधवार सुबह साढ़े 11 बजे पंचायत सचिवालय में पूजा महिला मंडल द्वारा दाल भात केंद्र संचालित करने के क्रम में चूल्हे पर चावल बन रहा था। दंडाधिकारी के रूप में जेई मेघलाल महतो के अलावा एक स्वयं सेवक उपस्थित था। जरूरतमंद के लिए दाल-भात तैयार हो रहा था। अंदर के कमरे में दस बेड बिछाया गए थे। खाना बनानेवाले में कुछ मास्क पहने थे, जबकि कुछ ने जरूरी नहीं समझा। पूछताछ पर पता चला कि जरूरतमंद लोग दोपहर में भोजन करने पहुंचते हैं। अन्य कोई गतिविधि नहीं है। प्रतिदिन 125 से 140 लोग भोजन करते हैं।  साबड़ा पंचायत के मुखिया नरेश रजवार ने बताया कि साबड़ा पंचायत में तीन राजस्व गांव साबड़ा, आसनबनी और उदलबनी है। मुखिया ने बताया कि मनरेगा14 वें वित्त आयोग की योजनाएं बंद हैं। अभी-अभी मास्क, सेनेटाजर खरीदने एवं मनरेगा योजना चालू कराने का आदेश मिला है। पंचायत भवन नियमित खुलने के सवाल पर मुखिया ने बताया कि एक पंचायत सेवक को दो तीन पंचायतों की जिम्मेदारी है, जिस कारण नियमित नहीं खुलता। पंचायत के अलग-अलग गांवों में नौ पीडीएस, दस आंगनबाड़ी केंद्र, एक हेल्थ सेंटर और नौ स्कूल  हैं। एक बैंक व दो सीएसपी है। वार्ड 18 में 5700 मतदाता हैं, जबकि पंचायत की जनसंख्या दस हजार से अधिक है। 

पेटरवार में चल रहे क्वारंटाइन सेंटर : पेटरवार के पंचायत भवनों में मनरेगा मजदूरों के लिए रोजगार सृजन नहीं हो रहा। क्यों यहां क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाने से न पंचायत सेवक सेवक बैठ रहे और न ही कोई अन्य विकास संबंधित कार्य को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। लॉकडाउन के कारण पंचायत स्तर पर 14 वें वित्त आयोग की राशि से चलाए जाने वाली विकास योजनाएं दम तोड़ रही हैं। पेवर्स ब्लॉक, पीसीसी पथ, नाली, सोख्ता और छोटे-छोटे पुल-पुलिया का निर्माण अधर में है। कोरोना वायरस को लेकर अभी केवल 14वें वित्त की राशि से पंचायत क्षेत्र को सेनेटाइज किए जाने का कार्य चल रहा है। पंचायत सेवकों का मुख्य कार्य जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाना था। लेकिन, 1989 से सभी पंचायत सेवकों को ठेकादर बना दिया गया है। जिस कारण पंचायत सेवक अपने मूल कार्य से भटक गए हैं। 

पेटरवार प्रखंड में हैं 23 पंचायतें : प्रखंड में तो 23 पंचायत हैं, जिसमें पेटरवार, बुंडू, सदमा कला, चरगी, कोह, ओरदाना, पतकी, उलगढ़ा, तेनुघाट, घरवाटांड़, चांपी, खेतको, चलकरी उत्तरी व दक्षिणी, अंगवाली उत्तरी व दक्षिणी, पिछरी उत्तरी व दक्षिणी, चांदो, मायापुर, दारिद व उतासारा में पंचायत सचिवालय बनाए गए हैं। लेकिन, आदिवासी बाहुल्य अरजुवा पंचायत में अब तक पंचायत सचिवालय का निर्माण अधिकारियों की लापरवाही के कारण नहीं हो सका है। जिस कारण अरजुवा का पंचायत सचिवालय सामुदायिक भवन में चल रहा है। जिस कारण सरकारी कार्य का निष्पादन करने में जनप्रतिनिधियों, पंचायत सचिव व ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पेटरवार के शहरी क्षेत्र को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र में बने पंचायत सचिवालय प्राय: बंद रहते हैं। केवल गुरुवार को ही पंचायत सचिवालय में मुखिया, पंचायत सेवक, ग्राम रोजगार सेवक बैठते हैं। जबकि नियमत: प्रतिदिन पंचायत सचिवालय को खोला जाना है। ताकि ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़े।  

जैनामोड़ के पंचायत भवनों में भर्ती किए गए मजदूर  : कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए सरकार के आदेश पर जरीडीह प्रखंड के सभी पंचायत  सचिवालय को आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।  प्रखंड की 17 पंचायत सचिवालय, समुदायिक भवन व सरकारी विद्यालयों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया है। कई पंचायत सचिवालय में बने आइसोलेशन वार्ड में दूसरे राज्य एवं दूसरे जिले से मजदूरी कर लोटे लोगों को रखा गया था या रखने की तैयारी है। वर्तमान समय में प्रखंड के किसी भी पंचायत भवन में बने आइसोलेशन वार्ड में एक भी व्यक्ति नहीं है। जहां सरकार के आदेश पर 20 अप्रैल से सरकारी कार्यालयों में कामकाज शुरू किया गया है। वहीं, वर्तमान समय में पंचायत सचिवालय में कामकाज सुचारू ढंग से शुरू नहीं किया गया है।

पिछरी में बैठ रहे कर्मचारी मुखिया-पार्षद भी पहुंचे : ग्रामीणों को पंचायत सचिवालय से काफी उम्मीद रहती है। और हो भी भला क्यों नहीं, मुखिया व  पंचायत सचिव तो बैठते ही हैं, समस्याओं का यहां समाधान भी होता है। लॉकडाउन को लेकर हर पंचायत की तरह पेटरवार प्रखंड अंतर्गत पिछरी ेउत्तरी में भी कार्यों की गतिशीलता पर विराम लग गया था। परन्तु अब थोड़ी-बहुत रियायत का असर देखने को मिल रहा है। बुधवार को सुबह 11.20 बजे पंचायत सचिवालय का जायजा लिया गया। मुखिया कल्पना देवी मौजूद थीं। एक-दो लोग ही आना-जाना कर रहे थे। पार्षद भी इधर-उधर नजर आए। प्रवेश द्वार पर सेनेटाइजर रखा था। मुखिया ने कहा कि सेनेटाइज के बाद ही किसी को सचिवालय के अंदर आने दिया जा रहा है। 
कार्यों के संबंध में कहा कि आपदा राहत कोष से संबंधित कार्य किए जा रहे। जरूरतमंदों में खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। आगे मुखिया ने बताया कि मनरेगा से संबंधित भी कार्य देखे जा रहे हैं। पेंशन संबंधित कार्य भी देखा जा रहा है। कहा कि पंचायतवासियों की समस्या को लेकर सदैव तत्पर रहती हूं। अभी तो लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे ग्रामीणों से यही अपील रही है कि घर में रहें, इसी में सभी का कल्याण है। 

कसमार में बन रही योजनाएं पर राशन बांट रहीं मुखिया : कसमार प्रखंड में 15 पंचायतों में लॉकडाउन के बाद विकास कार्य लगभग ठप है। सभी पंचायतों के मुखिया गरीबों को राशन उपलब्ध कराने से लेकर अन्य कार्यों में व्यस्त हैं। कसमार पंचायत की मुखिया अनुराधा चौबे अनुसार पंचायत क्षेत्र में जरूरतमंद लोगों को आपदा खाद्यान्न कोष से अनाज उपलब्ध कराया है।  कसमार प्रखंड के सभी 15 पंचायतों में मनरेगा के तहत 10 - 10 योजनाओं पर कार्य करने का निर्देश, ताकि मजदूरों को काम मिल सके। इसमें कच्चा डोभा निर्माण व टीसीबी निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा। लगभग सभी पंचायतों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र, स्कूल, चौक, चौराहा व गली मोहल्ले को सेनिटाइज करने का कार्य भी चल रहा है। 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें