झारखंड में सुरक्षाबलों को कैसे मिली कामयाबी, सबसे बड़ी मुठभेड़ की किसने लिखी पटकथा? जानिए पूरी टाइमलाइन
झारखंड में भाकपा माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक समेत पूरे दस्ते के सफाए से उत्तरी छोटानागपुर में माओवादी संगठन का खात्मा हो गया। दरअसल, सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिला था कि प्रयाग मांझी उत्तरी छोटानागपुर में नए युवाओं को जोड़कर संगठन मजबूत करने में जुटा है।

झारखंड में भाकपा माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक समेत पूरे दस्ते के सफाए से उत्तरी छोटानागपुर में माओवादी संगठन का खात्मा हो गया। झारखंड में हुई अबतक की इस सबसे बड़ी मुठभेड़ की पटकथा डीजीपी समेत चार अफसरों ने लिखी। दरअसल, सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिला था कि प्रयाग मांझी उत्तरी छोटानागपुर में नए युवाओं को जोड़कर संगठन मजबूत करने में जुटा है। इसके बाद एजेंसियां उसके पीछे लग गई थी। रविवार रात इनपुट मिला कि प्रयाग लुगु पहाड़ के आसपास है। इसके बाद रात में ही उसे घेरने की रणनीति बनी और सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली।
छह माह से सारंडा में माओवादियों के ईआरबी सचिव मिसिर बेसरा, सेंट्रल कमेटी मेंबर पतिराम मांझी और आकाश मंडल उर्फ तिमिर, अनमोल के दस्ते के खिलाफ अभियान जारी है। इस दबाव को कम करने की जिम्मेदारी सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी पर थी। वह साल से युवाओं को जोड़ने में लगा था, ताकि उत्तरी छोटानागपुर में नया आधार बनाया जा सके । माओवादियों के रिक्रूटमेंट ड्राइव चलाने की जानकारी साल 2024 में सामने आयी थी, जिसे लेकर एनआईए ने केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। प्रयाग बीते एक सालों से अपने दस्ते के साथ लुगू पहाड़, पारसनाथ व झुमरा के इलाकों में अपने लोकेशन बदल बदल कर रह रहा था।
डेढ़ महीने से थी नजर
प्रयाग मांझी उर्फ विवेक की गतिविधियों को लेकर डेढ़ माह से लगातार सूचनाएं जुटाई जा रही थी। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी के साथ साथ आईजी अभियान अमोल वी होमकर व सीआरपीएफ सेक्टर आईजी साकेत कुमार सिंह रणनीति बनाने में जुटे थे। रविवार रात प्रयाग और उसके दस्ते के लुगु पहाड़ इलाके में मौजूदगी की सूचना मिली। इसके बाद डीजीपी अनुराग गुप्ता ने आईजी अभियान व सेक्टर आईजी के साथ गोपनीय तरीके से अभियान की रणनीति बनायी। तब जाकर यह सफलता मिली।
अब ये नक्सली चुनौती
झारखंड में प्रयाग उर्फ विवेक के मारे जाने के बाद एक करोड़ के तीन इनामी बचे हैं। ईआरबी सचिव व पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा, सेंट्रल कमेटी मेंबर पतिराम मांझी उर्फ अनल और असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर पर एक करोड़ का इनाम है। पारसनाथ इलाके में सक्रिय प्रवेश सोरेन उर्फ सहदेव को सैक सदस्य से प्रोन्नत कर केंद्रीय कमेटी में शामिल किया गया है। सुरक्षाबलों के मुताबिक, प्रयाग मांझी की जगह अब प्रवेश सोरेन को पारसनाथ इलाके की कमान सौंपी जा सकती है।
घातक हथियार मिले
मुठभेड़ के बाद पुलिस द्वारा चलाए गए सर्च ऑपरेशन में पुलिस को कई हथियार हाथ लगे। इनमें एके सीरीज राइफल, एसएलआर, तीन इंसास राइफल, एक पिस्तौल और आठ देसी राइफल शामिल हैं। करीब ढाई घंटे चली मुठभेड़ में नक्सलियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, जबकि पुलिस को एकतरफा सफलता मिली। वहीं सुबह करीब 8 बजे मुठभेड़ खत्म होने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, जो अब भी जारी है। जिस जगह मुठभेड़ हुई, वह बोकारो-रामगढ़ रोड के किनारे का जंगल है।
पूरी टाइमलाइन
8.30 बजे सोमवार मारे गए नक्सलियों के साथ पहुंचे नक्सली भागने में रहे सफल
9.00 बजे पुलिस की इलाके में हुई मोर्चाबंदी
9.30 बजे सर्च ऑपरेशन हुआ शुरू,भारी संख्या में पुलिस बल रहे मौजूद
10.30 बजे दिन पुलिस ने मारे गए नक्सलियों की शिनाख्त की, तीन का पता चला
11.30 बजे दिन में मारे गए अन्य नक्सलियों की पहचान के लिए गांववालों से हुई बात
4.30 बजे शाम तक पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चला
5.00 बजे शाम को मारे गए नक्सलियों को पहाड़ी से उतारा गया
5.40 बजे शाम को सभी को बोकारो पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
रणविजय से मिले थे प्रयाग से जुड़े इनपुट
माओवादियों के सैक कमांडर मिथलेश ने बीते दिनों झारखंड पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया था। वहीं रणविजय महतो की गिरफ्तारी जनवरी में बोकारो के ही पेक नारायणपुर इलाके से हुई थी। दोनों से पूछताछ के बाद प्रयाग दस्ते की गतिविधियों की जानकारी एजेंसियों को मिली थी। जिसके बाद से उसकी तलाश एजेंसियों ने तेज कर दी थी। गौरतलब है कि प्रयाग मांझी की पत्नी जया को धनबाद से जुलाई 2024 में गिरफ्तार किया गया गया था। 21 सितंबर 2024 को जया की मौत इलाज के क्रम में रिम्स में हो गई थी।
नक्सलियों के लिए यह तक का बड़ा झटका
प्रयाग मांझी बीते दो दशकों से पारसनाथ, झुमरा के इलाके में सक्रिय था। माओवादी सेंट्रल कमेटी मेंबर व ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सदस्य के तौर पर देशभर के शीर्ष माओवादियों में उसकी गिनती होती थी। रणनीतिक सुझबूझ वाले प्रयाग को संगठन के विस्तार के लिए साल 2021 के बाद तकरीबन 10 करोड़ की राशि मिली थी। लेवी के जरिए मिली इस राशि से न सिर्फ झारखंड बल्कि बिहार, बंगाल, असम, यूपी तक में संगठन के विस्तार की योजना थी। ऐसे में यह मुठभेड़ नक्सलियों के लिए सबसे बड़ा झटका मान जा रहा है।