तीनो दिनों से जलमग्न है ईचागढ़ के 50 से ज्यादा गांव, 150 मिट्टी के घर ढह गए
चांडिल में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के 50 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं। हजारों परिवार सुरक्षित स्थानों की तलाश में पलायन कर रहे हैं। प्रशासन की तैयारी नाकाफी साबित हो...
चांडिल। पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के करीब 50 से ज्यादा विस्थापित गांव पिछले तीन दिनों से जलमग्न है। इससे हजारों विस्थापित परिवार बुरी तरह से प्रभावित है। गांव के हजारों लोग सुरक्षित जगहों की तलास में पलायन कर है। प्रशासन की तैयारी नाकाफी साबित हो रही है।प्रशासन ने सरकारी भवनों में राहत कैंप लगाए हुए है जिसमे विस्थापित आश्रय लिया है। विस्थापितों के घर ढहने के कारण कई विस्थस्पितों के घर चूल्हा नहीं जला। इधर, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता चूड़ा, चावलमूढ़ी और अन्य सूखा राहत लेकर विस्थापितों के बीच पहुंचकर अपने उपस्थिति दर्ज कर रहे है। विस्थापितों को सबसे बड़ी समस्या अपने मवेशियों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने को हो रही है। भारी बारिश के कारण 16 सितंबर को चांडिल डैम का जलस्तर रिकॉर्ड 183.80 मीटर पर पहुंच गया था।जिसके बाद कई विस्थापित गांव में चांडिल डैम का पानी घुस गया था।जिससे गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गया था। डैम के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए डैम के कुल 13 फाटक में से 12 फाटक को खोल दिया गया। बुधवार को भी डैम का 12 फाटक खुले हुए है तथा डैम से करीब एक लाख क्यूसेक पानी स्वर्णरेखा नदी में छोड़ा जा रहा है।जिससे स्वर्णरेखा नदी पूरे उफान पर आ गई है। नदी के उफान पर आने से स्वर्णरेखा नदी के तटीय इलाकों में बाढ़ की खतरा उत्पन्न हो गई है।इधर, चांडिल डैम के 12 फाटक के खोल देने से स्वर्णरेखा नदी स्थित चांडिल डैम का पुल डूब गया। पुल पर पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।चांडिल डैम पुल के डूबने के बाद स्वर्णरेखा परियोजना के चांडिल अंचल कार्यालय, पुनर्वास कार्यालय एवं चांडिल पॉलिटेक्निक कॉलेज का सीधा संपर्क कट गया है। जिससे लोगों को एनएच 33 होकर 10 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करना पड़ रहा है। डैम पुल के डूबने से कई छात्र पॉलिटेक्निक कॉलेज नहीं पहुंच सके तथा पढ़ाई से वंचित रह गए।
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