Hindi Newsजम्मू और कश्मीर न्यूज़People of Kashmir voted for the return of Article 370 also trust EC Survey reveals

कश्मीर के लोगों ने अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए दिए वोट, EC पर भी जताया भरोसा; सर्वे में खुलासा

  • मतदाताओं के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव भी आए हैं। दस में से चार लोगों ने माना कि विकास ने गति पकड़ी है। इसके विपरीत पांच में से केवल एक ने व्यक्ति ने महसूस किया कि विकास की गति मंद पड़ी है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानFri, 11 Oct 2024 06:47 AM
share Share

नतीजे सामने आने के बाद अब नेशनल कॉन्फ्रेंस की अगुवाई में जम्मू और कश्मीर में जल्द ही नई सरकार का गठन होने वाला है। उमर अब्दुल्ला के हाथों में सरकार की कमान होगी। विधानसभा चुनाव में अधिकांश मतदाताओं ने राज्य के विशेष दर्जे की बहाली और विकास के लिए मतदान किया। यह बात सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलेपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) के लोकनीति कार्यक्रम के तहत चुनाव बाद हुए सर्वे में सामने आई है। अधिकतर लोगों ने स्वतंत्र-निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग पर भरोसा जताया।

सर्वेक्षण के मुताबिक, 59 फीसदी मतदाताओं के लिए यह चुनाव अनुच्छेद 370 के मुद्दे के बजाय स्थानीय मुद्दों के समाधान के लिए प्रतिनिधियों को चुनने का एक अवसर था। हालांकि, 64 फीसदी लोग जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के पक्ष में थे। इसके पीछे उनकी अपनी जमीन और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने जैसी बड़ी चिंताएं रहीं। सर्वे में लोगों ने कहा कि वे जम्मू और कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली भी चाहते हैं। 81 फीसदी लोगों का कहना था कि उनका भविष्य पूर्ण राज्य का दर्जा वापस पाने से संवरेगा।

मतदाताओं के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव भी आए हैं। दस में से चार लोगों ने माना कि विकास ने गति पकड़ी है। इसके विपरीत पांच में से केवल एक ने व्यक्ति ने महसूस किया कि विकास की गति मंद पड़ी है। 40 फीसदी ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटने के बाद से कानून-व्यवस्था की स्थिति में भी सुधार आया है। 44 फीसदी ने माना कि पर्यटन में वृद्धि हुई है, जो जम्मू-कश्मीर की रीढ़ है।

सरकारी विभागों में सुधार नहीं

ज्यादातर लोगों ने माना कि प्रशासनिक कामकाज के तौर तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया है या स्थिति और खराब हुई है। हालांकि एक तिहाई लोगों ने स्वीकारा कि कामकाज में सुधार आया है। दूसरी ओर, एक चौथाई लोगों ने माना कि जम्मू और कश्मीर के लोगों के बीच संबंधों में सुधार आया है।

चुनाव आयोग पर भरोसा बढ़ा

सर्वेक्षण के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में एक दशक बाद हुए चुनाव मील का पत्थर साबित हए। खासकर 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद। राज्य के पुनर्गठन के बाद पहला चुनाव होने के कारण आयोग के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी था। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अधिकांश लोगों ने निर्वाचन आयोग पर भरोसा भी जताया। हालांकि इस मामले क्षेत्रीय विभाजन भी दिखा। कश्मीर के 39 फीसदी लोगों की तुलना में जम्मू के 58 प्रतिशत मतदाताओं ने चुनाव आयोग भरोसा जताया। आयोग में विश्वास को चुनावी प्रक्रिया के प्रति सकारात्मक धारणाओं ने और मजबूत किया। जब मतदाताओं से चुनाव की निष्पक्षता के बारे में पूछा गया तो पांच में से तीन (61) ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि चुनाव के दौरान कोई धांधली नहीं हुई।

चुनावी प्रक्रिया को महत्व दिया

जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया को लेकर भी लोग सकारात्मक दिखे। 52 फीसदी मतदाताओं ने कहा, चुनाव काफी हद तक स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से संपन्न हुए। जम्मू के लोग इस मामले में आगे रहे। यहां के 58 प्रतिशत मतदाताओं ने प्रक्रिया पर विश्वास जताया। कश्मीर के 47 प्रतिशत इससे सहमत थे। सात फीसदी मतदाताओं ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष रूप से नहीं हुए। यह मत जम्मू की तुलना में कश्मीर में अधिक दिखा।

स्थानीय उम्मीदवार भी महत्वपूर्ण

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद के लिए लोगों की पहली पसंद के रूप में सामने आए। लगभग एक-तिहाई मतदाताओं ने उनका समर्थन किया। पांच में से दो से अधिक मतदाताओं ने स्वीकारा कि उमर अब्दुल्ला को छोड़कर बाकी लोकप्रिय नेताओं में उनका भरोसा कम हुआ है। फारूक अब्दुल्ला (42) जैसे अन्य नेताओं ने भी कुछ हद तक लोगों का विश्वास हासिल किया है। दूसरी ओर, आधे से अधिक मतदाताओं ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं जताया।

पार्टियों के प्रति निष्ठा

मतदाता के निर्णयों को प्रभावित करने में पार्टी के प्रति वफादारी सबसे महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरा। आधे से अधिक मतदाताओं ने इसे अपनी प्राथमिकता बताया। हालाकि पांच में से दो मतदाताओं ने माना कि स्थानीय उम्मीदवार भी जरूरी होते हैं।

भाजपा के मतदाताओं के बीच पार्टी का मजबूत प्रभाव दिखा। इसके दस में से लगभग सात वोटरों ने पार्टी को ही प्राथमिकता दी। इसी तरह कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मतदाताओं ने भी पार्टी के प्रति मजबूत निष्ठा दिखाई। इनके लगभग पांच में से तीन मतदाताओं ने स्थानीय उम्मीदवार के मुकाबले पार्टी को ही तरजीह दी। हालांकि, जम्मू और कश्मीर अपनी पार्टी और अवामी इत्तेहाद पार्टी जैसी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के मतदाताओं ने पार्टी की तुलना में स्थानीय उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा जताया।

अधिक भागीदारी वाले चुनावों में एक

सर्वेक्षण के मुताबिक, यह चुनाव राज्य में हुए सबसे ज्यादा भागीदारी वाले चुनावों में से एक रहा। चुनाव के सभी तीन चरणों में मतदाताओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। तीसरे और आखिरी चरण में रिकॉर्ड 70.2 प्रतिशत मतदान हुआ। तीनों चरणों का औसत मतदान 64.41 प्रतिशत रहा, जिसमें पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी समान थी। मतदाताओं ने न केवल बड़ी संख्या में मतदान किया, बल्कि उन्होंने बड़ी संख्या में अभियान संबंधी गतिविधियों में भी भाग लिया। 26 फीसदी मतदाताओं ने चुनावी रैलियों में भाग लिया। नौ फीसदी लोग घर-घर अभियान का हिस्सा बने। दस में से एक मतदाता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर चुनावी अभियान में भाग लिया। भाजपा डिजिटल तरीकों से मतदाताओं तक पहुंचने में अन्य दलों से आगे रही। जबकि पारंपरिक तरीकों से प्रचार कर मतदाताओं तक पहुंचने में नेशनल कान्फ्रेंस अन्य दलों से बाजी मारती दिखी। मतदाताओं तक पहुंचने में कांग्रेस, भाजपा और नेशनल कान्फ्रेंस से थोड़ी पीछे थी।

जम्मू में भाजपा, कश्मीर में कांग्रेस-नेकां ज्यादा प्रभावी प्रमुख राजनीतिक दलों का प्रदर्शन जम्मू और कश्मीर में अलग-अलग रहा। भाजपा जहां जम्मू क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करती दिखी, वहीं कांग्रेस-नेशनल कान्फ्रेंस गठबंधन का प्रदर्शन कश्मीर में अच्छा रहा। कश्मीर क्षेत्र में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने 41.08 फीसदी वोट शेयर के साथ 47 में से 40 सीटें जीतीं। हालांकि, जम्मू में गठबंधन का प्रभाव काफी कमजोर रहा। यहां 30.67 फीसदी वोट शेयर के साथ 43 में से केवल आठ सीटें हासिल करने में कामयाब रही। इसके विपरीत, भाजपा ने जम्मू में अपना वर्चस्व कायम करते हुए 45.23 फीसदी वोट शेयर के साथ 29 सीटें जीतीं। हालांकि, भाजपा कश्मीर क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण बढ़त नहीं बना सकी और उसे उसे कोई सीट नहीं मिली।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें