क्या है पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग? ब्रिटेन में बच्चियों को बना रहे शिकार, प्रियंका चतुर्वेदी के समर्थन में एलन मस्क
- रिपोर्ट में पाया गया कि युवा लड़कियों को नशीला पदार्थ खिलाकर टेकअवे दुकानों के ऊपर बलात्कार किया जाता था और कैश देकर उन्हें टैक्सियों के जरिए ले जाया जाता था।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने हाल ही में बाल यौन शोषण कांड पर टिप्पणी करते हुए "एशियाई" शब्द का इस्तेमाल किया था। इसने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। स्टार्मर ने कहा कि उन्होंने क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के प्रमुख के रूप में ऐसे मामलों की फिर से जांच करवाई और 'एशियाई ग्रूमिंग गिरोह' के खिलाफ पहली बार मुकदमा दायर किया था। लोगों को यहां एशियाई शब्द के इस्तेमाल से आपत्ति इसलिए है क्योंकि इन अपराधों के पीछे केवल एक देश यानी पाकिस्तानी मूल के लोग हैं। यूनाइटेड किंगडम लंबे समय से ग्रूमिंग गैंग्स के काले इतिहास से जूझ रहा है, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में हजारों युवा लड़कियों का यौन शोषण किया है। कई हाई-प्रोफाइल मामलों के अपराधी पाकिस्तानी मूल के पुरुष पाए गए। यह बहस तब फिर से शुरू हो गई जब अरबपति एलन मस्क ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर पर युवा लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनका यौन शोषण करने वाले गिरोहों के खतरे को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने ओल्डहैम शहर में बाल शोषण के इतिहास की सरकारी जांच को मंजूरी देने से इनकार करने के बाद सुरक्षा मंत्री जेस फिलिप्स को जेल भेजने की भी मांग की है।
अब इस विवाद के केंद्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का बयान भी आया, जिसे अमेरिकी अरबपति एलन मस्क ने समर्थन दिया है। प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, "ये 'एशियन' ग्रूमिंग गैंग्स नहीं हैं, बल्कि 'पाकिस्तानी' ग्रूमिंग गैंग्स हैं।" इस पर एलन मस्क ने 'True' लिखते हुए उनका समर्थन किया। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने पोस्ट में सवाल उठाया, "पूरे एशियाई समुदाय को एक देश की गलतियों का दोष क्यों दिया जाना चाहिए?"
विवाद की पृष्ठभूमि
ब्रिटिश विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी ने उत्तरी इंग्लैंड में बाल यौन शोषण के दशकों पुराने मामलों की नए सिरे से जांच की मांग की है। कीर स्टार्मर ने इन मांगों को खारिज करते हुए कहा कि उनका ध्यान पहले से किए गए सात साल की जांच की सिफारिशों को लागू करने पर है। उन्होंने अपनी बात को सही ठहराते हुए कहा कि 2008 से 2013 के बीच क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) के प्रमुख के रूप में उन्होंने रोचडेल में "एशियन ग्रूमिंग गैंग" के खिलाफ पहला मुकदमा शुरू किया था।
भारतीय प्रवासी समुदाय का आक्रोश
यूके में भारतीय प्रवासी समूहों ने भी "एशियन" शब्द के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि इस शब्द का इस्तेमाल दक्षिण एशियाई समुदाय के पूरे वर्ग को अपराध से जोड़ने की कोशिश करता है। सिख संगठनों के नेटवर्क (NSO) ने 2012 में भी इस "विचित्र" और "अस्पष्ट" शब्दावली के इस्तेमाल पर सवाल उठाए थे। एनएसओ के बयान में कहा गया, "एशियन ग्रूमिंग गैंग" शब्द का इस्तेमाल करना निराशाजनक है। इस तरह की अस्पष्टता ने कभी-कभी पीड़ितों की स्थिति को और खराब कर दिया है।"
एनएसओ ने सटीक रिपोर्टिंग की मांग करते हुए कहा कि यह अपराध एक गंभीर सार्वजनिक हित का मामला है और इससे हमारी समुदायों को भी नुकसान हुआ है। इस मामले में एलन मस्क का हस्तक्षेप इसे एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना रहा है। मस्क के बयान ने इस विवाद को और व्यापक बहस का मुद्दा बना दिया है।
पाकिस्तानियों की घिनौनी हरकतों की पर्दाफाश
2024 में ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहैम द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र समीक्षा में पाया गया कि रोशडेल में युवा लड़कियों का बड़े पैमाने पर शोषण किया जा रहा है। इसने 2004 से 2013 के बीच इन मामलों की उचित जांच करने में अधिकारियों की विफलता को भी उजागर किया। नौ अपराधियों को दोषी ठहराया गया, जिनमें से आठ ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुष थे। रिपोर्ट में पाया गया कि युवा लड़कियों को नशीला पदार्थ खिलाकर टेकअवे दुकानों के ऊपर बलात्कार किया जाता था और कैश देकर उन्हें टैक्सियों के जरिए ले जाया जाता था।
रोशडेल समीक्षा प्रोफेसर एलेक्सिस जे की 2014 की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें 1997 से 2013 के बीच रॉदरहैम में ग्रूमिंग गिरोहों की गतिविधियों की जांच की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस अवधि के दौरान 1,400 बच्चियों का शोषण किया गया, जिनमें से कुछ की उम्र 11 साल थी। इसमें बताया गया है कि कैसे बच्चों को बंदूकों से धमकाया गया। रिपोर्ट बताती है कि पीड़ितों में से अधिकांश श्वेत लड़कियां थीं और अपराधी पाकिस्तानी मूल के थे। टेलफोर्ड, ऑक्सफोर्ड, ब्रिस्टल और अन्य कस्बों और शहरों में भी इसी तरह के मामले पाए गए हैं। तब कंजर्वेटिव सांसद और तत्कालीन गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने डेली मेल के लिए एक कॉलम में लिखा था कि "ग्रूमिंग गैंग्स घटना" में शामिल "लगभग सभी" ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुष हैं।
ग्रूमिंग गैंग्स क्या हैं?
यहां ग्रूमिंग गैंग्स का मतलब उन संगठित समूहों या गिरोहों से है, जो किसी व्यक्ति, खासतौर पर बच्चों और किशोरों को यौन शोषण के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से फंसाते हैं। ग्रूमिंग का अर्थ है धीरे-धीरे किसी व्यक्ति को इस हद तक प्रभावित करना कि वह गिरोह के जाल में फंस जाए।
ये गैंग्स आमतौर पर कई तरीके अपनाते हैं:
दोस्ती करना: पहले वे बच्चों से दोस्ती करते हैं और उनका भरोसा जीतते हैं।
गिफ्ट देना: महंगे उपहार, पैसे, या अन्य चीजें देकर उन्हें फंसाते हैं।
भावनात्मक नियंत्रण: बच्चों को प्यार और ध्यान का झांसा देकर उनके आत्मविश्वास को कमजोर करते हैं।
धमकी देना: जब बच्चा पूरी तरह जाल में फंस जाता है, तो ये गैंग्स धमकी देकर उसे अपने अपराधों में शामिल करते हैं।
ग्रूमिंग गैंग्स के अपराध:
इन गिरोहों का मुख्य उद्देश्य बच्चों और किशोरों का शोषण करना होता है। इनमें यौन शोषण, मानव तस्करी, और कभी-कभी नशे का उपयोग कर उन्हें गुलाम बनाने जैसे अपराध शामिल होते हैं। ग्रूमिंग गैंग्स का असर केवल पीड़ित तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है। यह बच्चों और परिवारों की सुरक्षा, सांस्कृतिक भरोसे, और कानून व्यवस्था को कमजोर करता है।
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