Hindi Newsविदेश न्यूज़US Presidents put Shehbaz Sharif in trouble Trump wants release of Imran Khan Biden canceled the missile deal

ट्रंप के कदमों की आहट से शरीफ की बौखलाहट, बाइडेन ने भी कर दिया खेल

  • ट्रंप के करीबी सहयोगी रिचर्ड ग्रेनेल और ब्रिटिश सांसद जॉर्ज गैलवे जैसे कई अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों ने इमरान खान की रिहाई की मांग तेज कर दी है। इसके साथ ही, बाइडेन प्रशासन द्वारा मिसाइल डील रद्द करने और चार प्रमुख पाकिस्तानी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने ने रही-सही कसर पूरी कर दी है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानFri, 27 Dec 2024 06:28 PM
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अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साये में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार बेचैन होती नजर आ रही है। आने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों के तेवर ने पाकिस्तान की सरकार को मुश्किलों में डाल दिया है। ट्रंप के करीबी सहयोगी रिचर्ड ग्रेनेल और ब्रिटिश सांसद जॉर्ज गैलवे जैसे कई अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों ने इमरान खान की रिहाई की मांग तेज कर दी है। इसके साथ ही, बाइडेन प्रशासन द्वारा मिसाइल डील रद्द करने और चार प्रमुख पाकिस्तानी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने ने रही-सही कसर पूरी कर दी है।

इमरान खान की रिहाई पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव

इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल बढ़ गई है। ट्रंप के सहयोगी रिचर्ड ग्रेनेल और पूर्व यूके विपक्षी नेता जेरेमी कॉर्बिन समेत कई प्रभावशाली नेताओं ने इमरान की रिहाई की मांग की है। इन मांगो के मद्देनजर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान और हस्तक्षेप से परे रिश्ते बनाए रखना चाहता है।

उन्होंने कहा, "हम आपसी सम्मान, आपसी हित और एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने के आधार पर अमेरिका के साथ सकारात्मक, रचनात्मक संबंध रखना चाहेंगे... हम अमेरिका में अधिकारियों और सार्वजनिक हस्तियों के साथ बातचीत जारी रखेंगे और उनके साथ आपसी हित और आपसी चिंता के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।"

हालांकि, बढ़ते वैश्विक दबाव और इमरान की पार्टी पीटीआई के लगातार विरोध प्रदर्शनों के चलते सरकार को इस मुद्दे पर विचार करना पड़ रहा है। यह दबाव शरीफ सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है।

मिसाइल डील पर बाइडेन प्रशासन का कड़ा रुख

बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए चार प्रमुख पाकिस्तानी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन प्रतिबंधों का कारण पाकिस्तान का कथित तौर पर 12,000 किमी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करना बताया गया है, जो अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानी जा रही है।

पाकिस्तानी विशेषज्ञों का दावा है कि यह मिसाइल अमेरिका को निशाना बनाने में सक्षम नहीं है, लेकिन भारत के हर शहर को निशाना बना सकती है। दूसरी ओर, अमेरिका का यह कदम चीन और पाकिस्तान के बढ़ते रक्षा संबंधों पर सख्त संदेश भी माना जा रहा है।

चीन-पाकिस्तान रक्षा साझेदारी विवाद की जड़

1998 के एक पुराने मामले में जब अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें पाकिस्तान के कब्जे में आई थीं और उन्हें चीन को सौंपा गया था, तब से चीन और पाकिस्तान की साझेदारी सवालों के घेरे में है। चीन ने इसी तकनीक पर डीएच-10 मिसाइल विकसित की, जिसे बाद में पाकिस्तान को 'बाबर' मिसाइल के रूप में दिया गया।

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले ही बढ़ते दबाव और बाइडेन प्रशासन के सख्त फैसलों ने पाकिस्तान की शरीफ सरकार को घेर लिया है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि शरीफ सरकार इस अंतरराष्ट्रीय और घरेलू संकट से कैसे निपटती है।

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