नाजियों को भी तो..; निर्वासन पर अमेरिकी कोर्ट का ट्रंप प्रशासन को झटका, जमकर सुनाया
- अमेरिकी कोर्ट ने वेनेजुएला के अप्रवासियों के निर्वासन वाले मामले पर ट्रंप प्रशासन को जमकर लताड़ लगाई है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि इस कानून के तहत दूसरे विश्व युद्ध में नाजियों को भी बेहतर व्यवहार मिला था लेकिन इन नागरिकों के साथ ऐसा नहीं है।

अमेरिका में अप्रवासियों के निर्वासन को लेकर ट्रंप प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था में ठनी हुई है। सोमवार को एक संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि आज सरकार के द्वारा कथित तौर पर वेनेजुएला की एक गिरोह के सदस्यों के साथ जैसा बर्ताव किया जा रहा है वैसा तो दूसरे विश्व युद्ध के समय नाजी लोगों के साथ भी नहीं किया गया था। लगभग 80 साल पहले उन लोगों को भी आज से बेहतर व्यवहार मिला था। कोर्ट का यह बयान ट्रंप प्रशासन के उस फैसले के संदर्भ में आया है जिसमें उन्होंने एलियन एनिमीज एक्ट के तहत वेनेजुएला के प्रवासियों को दो विमानों में भरकर एल सल्वाडोर की जेल में भेज दिया था।
इस मामले ने तूल उस वक्त पकड़ लिया जब निचली अदालत के जज बोसबर्ग ने उसी समय पर उनके निर्वासन पर रोक लगा दी। हालांकि ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस फैसले को चुनौती दी गई। सोमवार को ट्रंप प्रशासन की तरफ से की गई इस अपील की सुनवाई तीन सदस्यीय बेंच ने की। बेंच की तरफ से जज पैट्रिशिया ने जज बोसबर्ग के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि बोसबर्ग राष्ट्रपति ट्रंप के पद के अधिकार के खिलाफ नहीं बोल रहे थे बल्कि वह निर्वासित लोगों के अधिकार के लिए बोल रहे थे।
इस मामले में निर्वासित लोगों के वकीलों ने कहा कि उनके मुवक्किल किसी भी गिरोह के सदस्य नहीं है और न ही उनके खिलाफ किसी भी प्रकार के कोई अपराध का मामला दर्ज है। प्रशासन ने बस उनके शरीर पर बने हुए टैटू की वजह से उनको निशाना बनाया है। इस पर न्याय विभाग पर तंज कसते हुए जज ने कहा कि मुझे लगता है कि नाजियों के पास दूसरे विश्व युद्ध में इस कानून के सामने ज्यादा बेहतर विकल्प थे। क्योंकि उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया गया था।
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