मुस्लिम देशों को बेवकूफ बना रहा तुर्की, गाजा युद्ध के बीच इजरायल को जमकर भेज रहा तेल; जानिए कैसे
- एर्दोगान ने अपने देश की इजरायल विरोधी स्थिति पर बयान दिया है, लेकिन इजरायल को तेल की आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं है। आइए जानते हैं, आखिर ये स्थिति क्यों है और इसके पीछे की असल वजहें क्या हैं।
गाजा में जारी युद्ध के बीच मुस्लिम देश तुर्की ने बार-बार इजरायल को धमकी दी है। हालांकि इन धमकियों के इतर तुर्की तेल की सप्लाई को लेकर नरम रुख अपनाता रहा है। बड़ी मात्रा में तेल तुर्की से होकर इजरायल को जा रहा है। इस संबंध में तुर्किये की मौजूदा भूमिका और इजरायल को तेल आपूर्ति जारी रखने के पीछे की जटिलताएं मुस्लिम देशों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। वर्तमान में गाजा युद्ध के बीच तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगान ने अपने देश की इजरायल विरोधी स्थिति पर बयान दिया है, लेकिन इजरायल को तेल की आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं है। आइए जानते हैं, आखिर ये स्थिति क्यों है और इसके पीछे की असल वजहें क्या हैं।
तेल आपूर्ति और बीटीसी पाइपलाइन का महत्व
तुर्किये के द्वारा इजरायल को तेल आपूर्ति बीटीसी पाइपलाइन (बाकू-तबलीसी-जेहान पाइपलाइन) के माध्यम से होती है। ये पाइपलाइन कास्पियन सागर से शुरू होकर अजरबैजान, जॉर्जिया और तुर्किये से होते हुए भूमध्य सागर में स्थित तुर्की के सेहान बंदरगाह तक जाती है। वहां से तेल जहाजों के माध्यम से इजरायल पहुंचता है। इस पाइपलाइन का संचालन और प्रबंधन एक अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम द्वारा किया जाता है जिसमें बीपी, एसओसीएआर, टीपीएओ, एनी, टोटल एनर्जीज, एक्सॉनमोबिल आदि बड़ी कंपनियां शामिल हैं। यह पाइपलाइन 1.2 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल परिवहन करने की क्षमता रखती है और इसका महत्व कास्पियन सागर के तेल भंडार को रूस के प्रभाव से बचाकर पश्चिमी बाजारों तक पहुंचाने में है।
आज, पाइपलाइन कैस्पियन सागर को भूमध्य सागर से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है और यह प्रतिदिन 1.2 मिलियन बैरल (बीपीडी) तेल ट्रांसफर कर सकता है। अजरबैजान की राज्य सांख्यिकी समिति के हालिया आंकड़ों के अनुसार, बीटीसी पाइपलाइन के माध्यम से परिवहन किए गए तेल की मात्रा 2023 में 1.6 प्रतिशत बढ़कर 30.2 मिलियन टन तक पहुंच गई।
तेल व्यापार बंदी की घोषणा लेकिन तेल आपूर्ति जारी
गाजा में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर तुर्किये ने 2 मई को सभी प्रकार के इजरायल-तुर्किये व्यापार पर प्रतिबंध की घोषणा की थी। यह फैसला तुर्किये के अंदर इजरायल-विरोधी भावनाओं को संतुष्ट करने के लिए था। लेकिन इसके बावजूद भी बीटीसी पाइपलाइन के माध्यम से तेल का परिवहन जारी है। ऐसा इसलिए कि इस पाइपलाइन का संचालन केवल तुर्किये के हाथ में नहीं है। इसे संचालित करने वाले कंसोर्टियम में तुर्किये के अलावा अन्य कई देशों और कंपनियों का भी हिस्सा है जो इसमें अजरबैजान के तेल का वैश्विक व्यापार करना चाहते हैं।
कूटनीतिक और आर्थिक मजबूरियां
तुर्किये को इस तेल आपूर्ति में रुकावट डालने में एक बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। अजरबैजान के तेल भंडार को बेचने और वैश्विक बाजार तक पहुंचाने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की सुरक्षा आवश्यक होती है। बीटीसी पाइपलाइन परियोजना की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी और यह तुर्किये की एक प्रमुख उपलब्धि मानी जाती है, जिसने उसे मध्य एशिया के ऊर्जा गलियारे के रूप में स्थापित किया। यह आर्थिक रूप से तुर्किये के लिए महत्वपूर्ण है, और इसे रोकना उसके अपने हितों पर असर डाल सकता है।
तुर्किये के बयान और वास्तविकता का अंतर
एर्दोगान द्वारा इजरायल के खिलाफ कड़े बयान देने के बावजूद तेल आपूर्ति को नहीं रोक पाना मुस्लिम देशों के लिए एक असमंजस की स्थिति उत्पन्न करता है। गाजा के मुद्दे पर मुस्लिम देशों को साथ लाने के बावजूद भी इस तेल आपूर्ति को रोकने की पहल न करने के पीछे की वजहें राजनीतिक और आर्थिक मजबूरियों से जुड़ी हैं। तुर्किये का इजरायल को तेल आपूर्ति जारी रखना उसके आर्थिक हितों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की जटिलताओं को दर्शाता है। मुस्लिम देशों में इसके प्रति असंतोष बढ़ने के बावजूद भी तुर्किये इस आपूर्ति को रोकने में सक्षम नहीं है।
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