चीन में बच्चों के वीडियो गेम खेलने पर समय की पाबंदी, जानें क्यों लेना पड़ा फैसला
- चीन में सख्त नियम है कि बच्चों को केवल एक घंटे ऑनलाइन गेमिंग की इजाजत होगी। चीन की शी जिनपिंग सरकार को यह फैसला क्यों लेना पड़ा। जानते हैं।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने नवंबर महीने में 16 साल से कम उम्र के लोगों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर पाबंदी के लिए एक ऐतिहासिक विधेयक पारित किया था। ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया पर पाबंदी में फिलहाल वीडियो गेम और ऑनलाइन गेम मंचों को शामिल नहीं किया गया है। चीन की शी जिनपिंग सरकार ने बच्चों के वीडियो गेम खेलने पर समय की पाबंदी लगाई है। चीन में सख्त नियम है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को केवल एक घंटे ऑनलाइन गेमिंग की इजाजत होगी। चीन की सरकार को यह फैसला क्यों लेना पड़ा।
‘आध्यात्मिक अफीम’ है चीन में वीडियो गेम
चीन में वीडियो गेम उद्योग का स्तर बहुत बड़ा है। ‘टेनसेंट’ जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी चीनी कंपनियां वैश्विक गेमिंग परिदृश्य को तेजी से आकार दे रही हैं। हालांकि, बच्चों द्वारा वीडियो गेम के इस्तेमाल का सवाल चीन में बहुत अधिक पेचीदा मुद्दा है। देश में वीडियो गेम को लत और नुकसान से जोड़ने का एक गहरा सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास है, जिसे अक्सर ‘आध्यात्मिक अफीम’ के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह गेमिंग को युवाओं की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई के लिए संभावित खतरे के रूप में पेश करता है।
क्यों लेना पड़ा यह फैसला
चीन में माता-पिता की चिंता ने बच्चों के ऑनलाइन गेम खेलने पर सख्त नियम लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस दृष्टिकोण को व्यापक रूप से माता-पिता का समर्थन मिला है। वर्ष 2019 में, चीन ने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए गेमिंग का समय वीक डेज (सोमवार से शुक्रवार) के दिनों में प्रतिदिन 90 मिनट और सप्ताहांत (शनिवार और रविवार) में तीन घंटे तक सीमित करने के लिए एक कानून पेश किया था। कोरोना ‘कर्फ्यू’ के दौरान रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक ऑनलाइन गेम पर पाबंदी का प्रावधान था।
साल 2021 में किए गए संशोधन ने शुक्रवार, शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों पर ऑनलाइन गेम खेलने के समय को केवल रात 8 बजे से रात 9 बजे तक सीमित कर दिया है। चीन ने 2023 में ऑनलाइन गेमिंग से परे इस विनियामक ढांचे का विस्तार करते हुए लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म, वीडियो-शेयरिंग साइट्स और सोशल मीडिया को भी इसमें शामिल किया।
कैसे लागू हो रहा नियम
चीन की प्रमुख गेम कंपनियां इन विनियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अनुपालन तंत्र लागू कर रही हैं। कुछ गेम में आयु-सत्यापन प्रणाली को शामिल किया गया है, जिसमें गेम खेलने वाले से आयु की पुष्टि के लिए अपना वास्तविक नाम और आईडी मांगी जाती है। कुछ में गेम खेलने वाली आईडी सुनिश्चित करने के लिए चेहरे की पहचान भी शुरू की गई है। इसने गोपनीयता संबंधी चिंताओं को जन्म दिया है।
इसके समांतर मोबाइल उपकरण निर्माताओं, ऐप स्टोर और ऐप निर्माताओं ने ‘माइनर मोड’ पेश किए हैं। यह मोबाइल गेम और ऐप पर एक ऐसी सुविधा है जो निर्दिष्ट समय सीमा तक पहुंचने के बाद यूजर्स के सोशल मीडिया उपयोग को सीमित करती है।
बच्चों ने खोज लिए बचने के तरीके
चीन में सख्त नियमों के बावजूद, कई बच्चे इनसे बचने के तरीके खोजने में कामयाब हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल 77 प्रतिशत से अधिक नाबालिगों ने अपने से उम्र में बड़े रिश्तेदारों या दोस्तों के नाम से अकाउंट पंजीकृत करके वास्तविक नाम सत्यापन से बचने की कोशिश की। इसके अलावा, चीन में ऐसा बाजार भी पनपा है, जिसमें नाबालिगों को प्रतिबंधों से बचने के लिए अकाउंट किराए पर दिए जाते हैं या बेचे जाते हैं।
नाबालिगों द्वारा चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक को सफलतापूर्वक मात देने के भी उदाहरण मिले हैं, जैसे बड़े लोगों की तस्वीरों का उपयोग करना। इससे इस तकनीक-आधारित नियंत्रण की सीमाएं पता चलती हैं। इस तरह के सामने आए एक मामले में, प्रतिबंधों को दरकिनार करने का प्रयास करते समय लगभग 3,000 नाबालिगों से सामूहिक रूप से 86000 युआन (लगभग 18,500 डॉलर) से अधिक की ठगी की गई।
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