तालिबान राज में नरक की आग में जल रहे अफगानी, एक तिहाई आबादी का सिर्फ चाय-रोटी पर चल रहा गुजारा
- तालिबान राज में अफगानियों के बेहद बुरे हाल हो गए हैं। इतने कि देश में मानवीय संकट गहरा गया है। देश की एक तिहाई जनता महज चाय और रोटी में दिन गुजार रही है।
Taliban News: तीन साल पहले तालिबान ने अशरफ गनी सरकार का तख्तापलट करते हुए पूरे देश पर कब्जा कर लिया था। इसी के साथ अफगानिस्तान में तालिबान का नया अध्याय शुरू हुआ। तालिबान ने देश में सरकार बनाई और तीन साल से तालिबान देश को चला रहा है। इस दौरान तालिबान ने देश में कई प्रतिबंध लागू किए, जिसमें महिलाओं की शिक्षा पर रोक, ब्यूटी पार्लर पर प्रतिबंध और संगीग पर रोक समेत कई कठोर कानून लागू किए। इन तीन सालों में अफगानिस्तान के बेहद बुरे हाल हो गए हैं। अफगानियों के हाल इतने बुरे हो गए हैं कि देश में मानवीय संकट गहरा गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की एक तिहाई जनता महज चाय और रोटी में दिन गुजार रही है।
अफगानिस्तान में तालिबान राज शुरू हुए तीन वर्षों पूरे हो गए हैं। इस दौरान देश में मानवीय संकट गहरा गया है। बड़े पैमाने पर आतंकी हमले हुए हैं। लोगों में असुरक्षा का आलम यह है कि लोग देश छोड़ने को भी मजबूर हैं। बड़ी संख्या में विस्थापन भी हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान की लगभग 40 मिलियन आबादी में से एक तिहाई लोग रोटी और चाय पर निर्भर हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है और विश्व बैंक ने अगले तीन वर्षों में शून्य विकास की भी चेतावनी दी है।
बेरोजगार हुए सिंगर
तालिबान राज के दौरान सरकार ने संगीत के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है। तालिबान ने संगीत को गैर इस्लामी करार दिया है। जिससे इस उद्योग से जुड़े हजारों लोग बेसहारा हो गए हैं। काबुल के एक उपनगर में अपने साधारण घर में 46 वर्षीय संगीतकार वाहिद नेकजई लोगारी का कहना है, "पिछली सरकार के दौरान मैंने अपने पूरे परिवार का अच्छे से भरण-पोषण किया। तब हमारा जीवन अच्छा था। लेकिन तालिबान सरकार द्वारा इसके प्रतिबंध लगाए जाने से हालात बेहद खराब हो गए हैं। लोगारी ने कहा, "अब मैं बेरोजगार हूं।" अपने सात सदस्यीय परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वह कभी-कभी टैक्सी चलाते हैं। जिससे उन्हें प्रति माह केवल 5,000 अफगानी (70 डॉलर) की कमाई होती है, जो उनके संगीत समारोहों से होने वाली कमाई का पांचवां हिस्सा है।
ब्यूटी पार्लर पर बैन
पिछले वर्ष तालिबान सरकार ने ब्यूटी सैलून बंद करने के आदेश दिए थे। तालिबान के इस फैसले से अचानक ही इससे जुड़े कारोबारी जमीन पर आ गए। सईदा (काल्पनिक नाम) का कहना है कि यह फैसला दिल तोड़ने वाला था। उनका कहना है कि उन्हें छिपकर सैलून चलाना पड़ रहा है। चार महीने पहले से सईदा गुप्त रूप से सैलून चला रही हैं। सईदा का कहना है कि सैलून चलाते हुए बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है, ऐसे कि पड़ोसियों तक को भी भनक न लगे। उन्होंने आगे कहा कि पहले हमें प्रतिदिन 40 ग्राहक आसानी से मिल जाते थे। अब वह संख्या सात या कभी उससे भी कम हो गई है।
किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अभी तक तालिबान सरकार को किसी भी अन्य देश द्वारा मान्यता नहीं मिल पाई है। इससे उलट वाणिज्य एवं उद्योग उप मंत्री अहमद जाहिद का कहना है कि इसके बावजूद कुछ सकारात्मक पहलू भी देखने को मिले हैं। भ्रष्टाचार अब पिछली सरकार की तरह सर्वव्यापी नहीं है। कर संग्रह में भी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में खनिज और कृषि की प्रचुर संभावनाएं हैं, जिसका तालिबान सरकार दोहन करने का प्रयास कर रही है, लेकिन खराब बुनियादी ढांचे और घरेलू तथा विदेशी विशेषज्ञता और पूंजी की कमी के कारण इसमें बाधा आ रही है।
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