Hindi Newsविदेश न्यूज़Supporting Hamas proved costly for an Indian citizen was arrested in US he had also made fun of Modi

भारतीय नागरिक को हमास का समर्थन करना पड़ा महंगा, US में गिरफ्तार; मोदी का भी उड़ाया था मजाक

  • सूरी वर्तमान में दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकारों पर पढ़ा रहे हैं और इराक और अफगानिस्तान में शांति-निर्माण पर शोध कर रहे हैं।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानFri, 21 March 2025 05:59 AM
share Share
Follow Us on
भारतीय नागरिक को हमास का समर्थन करना पड़ा महंगा, US में गिरफ्तार; मोदी का भी उड़ाया था मजाक

अमेरिका में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता बादर खान सूरी को हमास का समर्थन करना और इजरायल का समर्थन करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार का मजाक उड़ाना महंगा पड़ गया। वहां की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अब उन्हें देश से निकालने की भी तैयारी चल रही है। आपको बता दें कि सूरी की पत्नी मफाज सालेह एक फिलस्तीनी नागरिक हैं। उनके पिता अहमद यूसुफ हमास के एक वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकार माने जाते हैं। अमेरिका ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

दोनों की मुलाकात 2011 में गाजा में हुई थी। 2014 में दोनों ने शादी कर ली। उसके बाद मफाज दिल्ली आकर जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और अंततः नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉंफ्लिक्ट रिजोल्यूशन से संघर्ष विश्लेषण और शांति-निर्माण में मास्टर डिग्री हासिल की। 2020 के बाद सूरी अपने पीएचडी के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका गए थे। वहां वह जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के अलवलीद सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पीस एंड कॉंफ्लिक्ट स्टडीज पोस्टडॉक्टरल फैलो के रूप में शामिल हुए थे।

मफाज वर्तमान में स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस के सेंटर फॉर कंटेम्परेरी अरब स्टडीज से मास्टर डिग्री प्राप्त कर रही हैं। सूरी वर्तमान में दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकारों पर पढ़ा रहे हैं और इराक और अफगानिस्तान में शांति-निर्माण पर शोध कर रहे हैं।

हॉमलैंड सिक्योरिटी अधिकारियों ने कहा कि सूरी को एक अमेरिकी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है।। यह कानून निर्वासन की अनुमति देता है। सूरी पर हमास की प्रचार सामग्री फैलाने और सोशल मीडिया पर एंटी-सेमिटिजम को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। उनके हमास के एक वरिष्ठ सलाहकार से करीबी संबंध होने का दावा किया गया है।

जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय ने कहा कि विश्वविद्यालय को सूरी के किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल होने की जानकारी नहीं है और न ही उन्हें उनकी हिरासत का कारण बताया गया है।

सूरी के वकील हसन अहमद ने कहा कि उनका मुवक्किल अपहरण का शिकार हुआ है, क्योंकि उनके पास कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्हें किसी अपराध का आरोप नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा, "हमारे सरकार को एक और निर्दोष व्यक्ति को अपहरण करके जेल में डालते देखना अकल्पनीय है। अगर एक योग्य विद्वान, जो संघर्ष समाधान पर ध्यान केंद्रित करता है, उसे सरकार विदेशी नीति के लिए हानिकारक मानती है तो शायद समस्या सरकार में है, विद्वान में नहीं।"

सूत्रों के अनुसार, सूरी के सोशल मीडिया पोस्टों की जांच से यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने गाजा पर इजरायल के हमलों और भारत के इजरायल के समर्थन की आलोचना की थी। 6 जून 2024 को एक पोस्ट में सूरी ने मोदी सरकार का मजाक उड़ाया था, जिसमें उसने इजरायल को मिसाइलें आपूर्ति करने के लिए "मेड इन इंडिया" का इस्तेमाल किया था।

सूरी ने लिखा था, "फिलस्तीनी बच्चों को मारने के लिए इजरायल को मिसाइलें सप्लाई करना 'मेड इन इंडिया' के लिए एक शर्मनाक बदलाव है। खून की कीमत पर मूल्यों का परिवर्तन है। यह शर्मनाक है।"

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें