अफगानिस्तान से वैश्विक बाजारों में जा रही हेरोइन, नार्को-आतंकवाद को मिल रहा बढ़ावा
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अब एक नया खतरा सामने आया है औक वह है अफगानिस्तान से इंटरनेशनल बाजारों में जाने वाली हेरोइन। वैश्विक बाजारों में इसकी बाढ़-सी आ गयी है। इससे नार्को-आतंकवाद...
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अब एक नया खतरा सामने आया है औक वह है अफगानिस्तान से इंटरनेशनल बाजारों में जाने वाली हेरोइन। वैश्विक बाजारों में इसकी बाढ़-सी आ गयी है। इससे नार्को-आतंकवाद को भी काफी बढ़ावा मिल रहा है। अफगानिस्तान से जाने वाली हेरोइन ने शांति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।
अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक है। यहां अवैध उत्पादन को रोकने के लिए अमेरिका ने दो दशकों में 9 बिलियन अमरीकी डॉलर खर्च करने के प्रयास के बावजूद भी अफगानिस्तान में अफीम के वैश्विक उत्पादन का लगभग 87 प्रतिशत हिस्सा है, यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
15 अगस्त को सत्ता में आने के तुरंत बाद, तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा था, "अफगानिस्तान अब अफीम की खेती करने वाला देश नहीं रहेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, "ऐसा तभी संभव है जब पूरी दुनिया किसानों को सशक्त बनाने में हमारी मदद करे और उन्हें अपनी आजीविका कमाने का विकल्प प्रदान करे।
यूरोपीय बाजार से पहले अधिकांश अफगान अफीम को पाकिस्तान में प्रयोगशालाओं में हेरोइन में भेजा जाता है। हामिद मीर ने द वाशिंगटन पोस्ट में अपने लेख में जोर देकर कहा कि पाकिस्तान अफगान ड्रग व्यापार में अग्रिम पंक्ति में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चालीस प्रतिशत अफगान मादक पदार्थों की तस्करी पाकिस्तान से गुजरने वाले मार्गों का उपयोग करती है।
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