US को नहीं पसंद चीन का भारत पर आंख उठाना, सीनेटर्स बोले- स्वीकार नहीं
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट यैलन भी बीजिंग जाने वाली हैं। पत्र के अनुसार, रिपब्लिकन सांसदों ने दोनों नेताओं से अपील की है कि चीन के सामने उनकी बात रख दी जाए।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन बीजिंग दौरे की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले रपब्लिकन पार्टी के कई सीनेटर्स ने उन्हें पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने साफ कर दिया है कि ताइवान और भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया 'स्वीकार नहीं है।' खास बात है कि साल 2018 के बाद बीजिंग जाने वाले ब्लिंकन पहले शीर्ष अमेरिकी डिप्लोमेट होंगे।
ब्लिंकन के साथ ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट यैलन भी बीजिंग जाने वाली हैं। पत्र के अनुसार, रिपब्लिकन सांसदों ने दोनों नेताओं से अपील की है कि चीन के सामने उनकी बात रख दी जाए। इसे अलावा पत्र के जरिए अपील की गई है कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) को मानवाधिकार उल्लंघन, व्यापार में अनुचित काम जैसी चीजों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।
खास बात है कि चीन के आक्रामक रवैये के बाद भारत और अमेरिका समेत कई देशों मुक्त और खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र की बात कर रहे हैं। चीन विवादित साउथ चाइना पर अपना दावा पेश करता रहा है। इतना ही नहीं बीजिंग ने समुद्र में कई आर्टीफिशियल आइलैंड तैयार किए हैं और सैन्य उपकरण स्थापित कर लिए हैं। ईस्ट चाइना सी में भी चीन, जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद में उलझा है।
पत्र में क्या?
सीनेटर्स ने पत्र में कहा है कि सीसीपी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र और इससे आगे भी आक्रामकता बढ़ा दी है। मार्को रूबियो की अगुवाई में इस पत्र पर चक ग्रैसली, बिल कैसिडी, एरिक श्मिट, डेन सुलिवन, केविन क्रेमर, टेड बक, रिक स्कॉट, मार्शा ब्लैकबर्न, लिंडसे ग्राहम, शेली मूर कैपिटो, पीट रिकेट्स, जॉन हीवन और बिल हेगर्टी ने हस्ताक्षर किए हैं।
पत्र में कहा गया है, 'जैसा कि हमने हाल ही में देखा है कि महासचिव शी भारत के साथ हिमालयी सीमा और ताइवान स्ट्रेट में अस्वीकार्य और उकसाने वाले कामों में शामिल रहे हैं।' इसके अलावा सीनेटर्स ने आरोप लगाए हैं कि सीसीपी मानवाधिकार का सबसे बड़ा अपराधी है।
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