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PM शहबाज ने अपने ही पैरों पर मारी कुल्हाड़ी? PTI पर बैन के खिलाफ सहयोगी दल, बिलावल भुट्टो भी भड़के

इमरान खान की पार्टी पीटीआई पर बैन का आह्वान करके पाक सरकार ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार दी है। पीएम शहबाज शरीफ के सभी सहयोगी दलों ने उनका साथ छोड़ दिया है। बिलावल भी भड़के हुए हैं।

भाषा इस्लामाबादTue, 16 July 2024 12:18 PM
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इमरान खान की पार्टी पीटीआई पर बैन का आह्वान करके शहबाज शरीफ ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार दी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के कुछ सीटों पर पीटीआई के समर्थन में लिए फैसले ने शरीफ सरकार को बैचेन कर दिया था। अब शरीफ सरकार की नई मुश्किल यह है कि पीटीआई को बैन करने में उसकी अपनी गठबंधन सरकार के अन्य सहयोगी उसे मदद करने से साफ इनकार कर रहे हैं। शरीफ सरकार के कुछ सहयोगी दलों ने इसे अलोकतांत्रित फैसला करार दिया है। साथ ही चेतावनी भी दी कि इस फैसले को लागू करने के दूरगामी असर देखने को मिल सकते हैं।

पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को इमरान खान की पार्टी पर आरोपों की झड़ी लगा दी। शहबाज शरीफ की सरकार ने पीटीआई पर गैर कानूनी तरीके से विदेश से चंदा लेने, दंगों में संलिप्त होने और कथित तौर पर तालिबान को देश के अंदर घुसाने के लिए ‘राष्ट्र विरोधी’ होने का आरोप लगाया। इन आरोपों के साथ सरकार ने पीटीआई पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नीत सरकार ने 71 वर्षीय खान और पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी सहित अन्य पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की भी चेतावनी दी है।

शहबाज ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी
शरीफ सरकार के इस कदम को उसके सहयोगी दलों ने ‘हताशा में उठाया गया’ कदम बताया है। साथ ही संघीय प्रशासन में हड़बड़ाहट का संकेत बताया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी(पीपीपी), अवामी नेशनल पार्टी, जमीयत उलेमा ए इस्लाम और जमात ए इस्लामी जैसे दलों ने भी इस फैसले की आलोचना की है। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी नीत पीपीपी ने इस विवादित कदम से किनारा कर लिया है। पार्टी ने कहा कि खान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाने से पहले उससे चर्चा नहीं की गई।

अपनों ने भी छोड़ा साथ
केंद्र में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-नीत) सरकार में सहयोगी पीपीपी की सूचना सचिव शाजिया अता मारी ने कहा कि उनकी पार्टी पीटीआई पर प्रतिबंध को लेकर सरकार से चर्चा करेगी। पीएमएल-एन के पूर्व नेता एवं अवाम पाकिस्तान नाम से अपना दल बनाने वाल शाहिद खाकान अब्बासी ने भी इस कदम पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन संविधान को समझने में असफल रहा है और बिना सोचे समझे अनुच्छेद-6 को लागू किया है क्योंकि शासक स्वयं देशद्रोह के मुकदमों का सामना कर रहे हैं।

अब्बासी ने चेतावनी दी कि इससे देश में अशांति फैलेगी और कहा कि वही गलती की जा रही है जो पीटीआई के संस्थापक इमरान खान ने की थी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि उसका अपना जनादेश सवालों के घेरे में है। जमीयत उलेमा ए इस्लाम-एफ के नेता हाफीज हमदुल्लाह ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की और आश्चर्य व्यक्त करते हुए सवाल किया कि क्या इस फैसले से राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता आएगी। जमीयत ए इस्लामी ने भी फैसले का विरोध किया और कहा कि यह स्पष्ट है कि यह फैसला अदालत में कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा।

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