पाकिस्तान पर एक और संकट, इंटरनेशनल मार्केट से LNG खरीदने में रहा फेल; ऊर्जा संकट गहराने के आसार
ब्लूमबर्ग ने मामले की जानकारी रखने वाले व्यापारियों के हवाले से बताया है कि कई विदेशी बैंक पाकिस्तान के letters of credit स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से ही आपूर्तिकर्ताओं ने रूचि नहीं दिखाई।
आर्थिक रूप से तंगहाल पाकिस्तान लगभग एक साल की कोशिश के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजारों से एलएनजी (Liquefied natural gas) खरीदने में विफल रहा है। किसी भी अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ता ने अक्टूबर-दिसंबर डिलीवरी के लिए छह शिपमेंट खरीदने के पाकिस्तान के टेंडर का कोई जवाब नहीं दिया।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) ने मंगलवार को बताया कि इस साल अक्टूबर और दिसंबर के बीच की अवधि के दौरान वितरित किए जाने वाले छह स्पॉट कार्गो की खरीद के लिए 13 जून की निविदा के लिए एक भी बोली प्राप्त नहीं हुई।
ब्लूमबर्ग ने मामले की जानकारी रखने वाले व्यापारियों के हवाले से बताया है कि कई विदेशी बैंक पाकिस्तान के साख पत्र (letters of credit-LOC) स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से ही आपूर्तिकर्ताओं ने LNG सप्लाई में रूचि नहीं दिखाई। LOC एक ऐसा प्रतिज्ञा पत्र होता है, जिसमें लिखा होता है कि यदि खरीदार धन चुकाने में असमर्थ रहा तो उसे जारी करने वाला धन चुकाएगा।
सरकार के स्वामित्व वाली पाकिस्तान एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) ने पिछले सप्ताह दो एलएनजी निविदाएं जारी की थीं, पहली अक्टूबर-दिसंबर में छह कार्गो के लिए और दूसरी जनवरी-फरवरी 2024 में तीन कार्गो के लिए लेकिन किसी ने भी पहली बोली में रूचि नहीं दिखाई। पहली बोली मंगलवार को बिना किसी प्रतिक्रिया के बंद हो गई। हालांकि दूसरे टेंडर के लिए 14 जुलाई तक का समय है।
बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डंवाडोल है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तानी रुपये का मूल्य डॉलर के मुकाबले गिरता जा रहा है। देश में राजनीतिक उथल-पुथल है और विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण विदेशी-ऋण डिफ़ॉल्ट का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में गैस खरीदने में असमर्थता से पाकिस्तान में ऊर्जा संकट और गहरा सकता है और देशव्यापी ब्लैकआउट बढ़ सकता है। इससे औद्योगिक ईंधन की आपूर्ति भी सीमित हो सकती है।
पिछले साल यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से भी पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को बढ़ावा मिला है क्योंकि पाकिस्तान गैस आयात के लिए रूस पर निर्भर रहा है। इसके अलावा पिछले साल भी इसी तरह की कई एलएनजी टेंडर आपूर्तिकर्ताओं को आकर्षित करने में विफल रही थीं।
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