पाकिस्तान का बेड़ा पार लगाएंगी महिलाएं? हैरान कर रहा चुनावी दंगल का आंकड़ा; बदली-बदली फिजा
पाकिस्तान में इस बार चुनावी फिजा बदली-बदली सी नजर आ रही है। इसकी वजह है बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवारों की दावेदारी। पाकिस्तान के पुरुष प्रधान चुनाव में 3000 से अधिक महिला उम्मीदवार हैं।

पाकिस्तान में इस बार चुनावी फिजा बदली-बदली सी नजर आ रही है। इसकी वजह है बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवारों की दावेदारी। पाकिस्तान के पुरुष प्रधान चुनावी युद्धक्षेत्र में 3000 से अधिक महिला उम्मीदवार प्रतिद्वंद्वी पुरुष प्रत्याशियों को ललकारती नजर आ रही हैं। तीन दिन बाद होने वाला संसदीय एवं प्रांतीय विधानसभा चुनाव उन उल्लेखनीय महिलाओं के लिए इतिहास में दर्ज हो जायेगा, जिन्होंने पाकिस्तानी समाज, राजनीति और संसद के पितृसत्तात्मक आधिपत्य के सामने सपने देखने की हिम्मत की और वहां तक पहुंचने का साहस किया। 2024 के चुनावों में मरियम नवाज और आसिफा भुट्टो जरदारी ऐसी महिला उम्मीदवार भी हैं जो अपने पुरुष समकक्षों के साथ अभियान का नेतृत्व कर रही हैं।
अब भी महिला सांसद बहुत कम
दिलचस्प तथ्य यह भी है कि संकट में घिरी पीटीआई ने इस साल के आम चुनावों के लिए सामान्य सीटों पर कई महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। वजह, उनके पुरुष रिश्तेदार या तो जेल में हैं या विभिन्न मामलों में फरार हैं। देश में चुनाव सुधारों के जरिए आरक्षित सीटों के अलावा सामान्य सीटों पर महिला उम्मीदवारों का पांच फीसदी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी अनिवार्य किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में सामान्य सीटों पर चुनाव लड़ने वाली महिला राजनेताओं की संख्या में इजाफा भी हुआ है। लेकिन संसद में पुरुष सांसदों की तुलना में यह अब भी बहुत कम है।
किन दलों की कितनी महिला उम्मीदवार
फ्री एंड फेयर इलेक्शन नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक 2024 के आम चुनाव के लिए, प्रमुख राजनीतिक दलों में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने संसदीय चुनाव में 10 और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए 13 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने 21 महिला उम्मीदवारों को एनए टिकट दिए हैं, जबकि प्रांतीय विधानसभाओं के बारे में डेटा सामने नहीं आया है। वजह, पार्टी को अपने प्रतिष्ठित चुनाव चिह्न-क्रिकेट बैट से वंचित कर दिया गया है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने अपनी महिला उम्मीदवारों को 16 पार्टी टिकट जारी किये हैं जिनमें 12 संसदीय और चार पविधानसभा सीटों के लिए है। जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान फजल (जेयूआई-एफ) ने दोनों चुनावों के लिए क्रमश: दो और नौ तथा जमात-ए-इस्लामी ने 10 और 19 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।
टिकट देने की उत्सुकता नहीं
राजनीतिक विश्लेषक बेनजीर शाह का कहना है कि प्रमुख राजनीतिक दल सामान्य सीटों के लिए महिलाओं को टिकट देने के लिए बहुत उत्सुक नहीं थे। उन्होंने कहाकि इन राजनीतिक दलों ने कई महिला उम्मीदवारों को उन क्षेत्रों में टिकट दिए हैं, जहां वे बहुत मजबूत नहीं हैं या चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित पांच फीसदी सीटों की अनिवार्यता इसकी वजह रही है। दूसरी बात विशेष रूप से चुनाव प्रचार के दौरान स्त्री विरोधी और लिंगवादी संस्कृति की अवधारणा प्रमुख बाधा रही, जो महिलाओं को चुनाव लड़ने या राजनीति में शामिल होने से रोकती है। उन्होंने कहाकि यह महिला द्वेष आगे उस समय भी जारी रहता है जब महिलाएं संसद के लिए चुनी जाती हैं। यहां बहुत वरिष्ठ राजनेता भी लैंगिक टिप्पणी करते हैं और विशेष रूप से महिलाओं को निशाना बनाते हैं। इन सभी बाधाओं के बावजूद कई महिला राजनेताओं ने राजनीति में अपने लिए जगह बनाई है।
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