NASA REPORT: 2018 धरती का चौथा सबसे गरम साल रहा
वैश्विक तापमान को जब से रिकॉर्ड किया जा रहा है तब से 2018 में धरती का वैश्विक सतह तापमान चौथा सबसे गर्म तापमान रहा। नासा एवं नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के विश्लेषणों में यह...
वैश्विक तापमान को जब से रिकॉर्ड किया जा रहा है तब से 2018 में धरती का वैश्विक सतह तापमान चौथा सबसे गर्म तापमान रहा। नासा एवं नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के विश्लेषणों में यह पाया गया है। इसने पाया कि पिछले वर्ष तापमान वार्षिक औसत से अधिक था।
नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के मुताबिक 2018 में वैश्विक तापमान 1951 से 1980 के औसत तापमान से 0.83 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। नासा ने एक बयान में बताया कि वैश्विक परिदृश्य में 2018 का तापमान 2016, 2017 और 2015 से कम रहा। पिछले पांच साल, सामूहिक रूप से, आधुनिक रिकॉर्ड के हिसाब से सबसे गर्म साल रहे। एनओएए के आकलन में पाया गया कि 2018 में धरती का तापमान 20वीं सदी के औसत से 0.79 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।
एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा तापमान
जीआईएसएस के निदेशक गेविन स्किम्ड ने कहा कि लंबे समय से बढ़ रहे वैश्विक तापमान पर तमाम चिंताओं के बावजूद 2018 एक बार फिर बेहद गर्म साल रहा। स्किम्ड के मुताबिक 1880 के बाद से धरती की सतह का औसत तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि यह गर्माहट कॉर्बन डाइऑक्साइड के वातावरण में बढ़े हुए उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों के कारण निकलने वाली अन्य ग्रीनहाउस गैसों के चलते हुई है।
अंटार्कटिक में बर्फ की विशाल परतें पिघल रही हैं
इस बढ़ते तापमान के चलते ग्रीनलैंड एवं अंटार्कटिक की बर्फ की विशाल परतें तो पिघल ही रही हैं साथ ही इससे आग लगने के जोखिम वाले मौसम की अवधि भी खिंच जाती है और कुछ प्रतिकूल मौसमी घटनाएं होती हैं। नासा ने बताया कि आर्कटिक क्षेत्र में तापमान बढ़ने का दौर सबसे ज्यादा है जहां 2018 में समुद्री बर्फ का पिघलना लगातार जारी है। नासा ने अपने विश्लेषण में 6300 मौसम केंद्रों के सतह तापमान माप, जहाज और प्लवन आधारित समुद्री सतह तापमान का आकलन और अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्रों के तापमान माप को शामिल किया।
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