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इराक पर अमेरिका आक्रमण से कुर्दों का हुआ फायदा, 'अमेरिकन विलेज' बन गया इरबिल

प्रथम विश्व युद्ध के बाद ओटोमन साम्राज्य के पतन के साथ 1920 की सेव्रेस संधि में कुर्दों से एक स्वतंत्र कुर्द राष्ट्र की स्थापना का वादा किया गया था। लेकिन, संधि को कभी मान्यता नहीं दी गई।

Ankit Ojha एपी, बगदादWed, 22 March 2023 11:09 AM
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उत्तरी इराक के अर्ध-स्वायत्त कुर्द क्षेत्र में स्थित इरबिल में राजमार्ग के दोनों ओर बड़ी संख्या में मैकमैंशन (अमेरिका में बड़े पैमाने पर बनाई जाने वाली आलीशान कोठियां), फास्टफूड रेस्तरां, रियल एस्टेट दफ्तर और अर्ध निर्मित बहुमंजिला इमारतें नजर आती हैं। 'अमेरिकन विलेज' के नाम से मशहूर इस उपनगरीय इलाके में राजनीति और कारोबार जगत के कई दिग्गज रहते हैं। यहां के घर औसतन 50 लाख डॉलर में बिकते हैं और इनके हरे-भरे बगीचे कितने बड़े हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे गर्मियों में दिनभर में लगभग दस लाख लीटर पानी सोख लेते हैं।

हालांकि, यह दृश्य 20 साल पहले के मंजर से बहुत अलग है। उस समय इरबिल एक पिछड़ी प्रांतीय राजधानी हुआ करता था, जहां कोई हवाईअड्डा तक नहीं था। 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण के बाद इरबिल की तस्वीर तेजी से बदली। विश्लेषकों का कहना है कि सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदखल करने वाले इस आक्रमण से सबसे ज्यादा फायदा इराकी कुर्दों, खासतौर पर कुर्द राजनेताओं को हुआ।
    
 हालांकि, ज्यादातर सामान्य कुर्दों के लिए स्थितियां अब भी लगभग पहली जैसी हैं। भ्रष्टाचार, दो प्रमुख कुर्द दलों के बीच सत्ता संघर्ष और इरबिल व बगदाद (इराकी राजधानी) में तनातनी के कारण उन्हें ज्यादा फायदा नसीब नहीं हो सका है।
इराक पर अमेरिकी आक्रमण से देश के ज्यादातर हिस्सों में कोहराम मच गया था। अमेरिकी बलों की कट्टरपंथियों से निपटने की जद्दोजहद के बीच कई राजनीतिक और सांप्रदायिक समुदायों में बगदाद में सरकार बनाने की जोर आजमाइश दिखी। लेकिन, अमेरिका के कट्टर सहयोगियों के रूप में देखे जाने वाले कुर्दों ने इस दौरान अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया और बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश जुटाया।

इरबिल ने देखते ही देखते एक तेल-आधारित उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी पहचान बना ली। दो साल बाद वहां तुर्किये की वित्तीय मदद से एक घरेलू वाणिज्यिक हवाईअड्डे का निर्माण किया गया। कुछ साल बाद इरबिल के पास अपना एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा भी हो गया। वाशिंगटन इंस्टीट्यूट थिंकटैंक में फेलो बिलाल वहाब कहते हैं, कुर्द पारंपरिक तौर पर “खुद को पीड़ित बताते आए हैं और उनकी ढेरों शिकायतें रही हैं', लेकिन 2003 के बाद के इराक में “कुर्दों की कहानी बदल गई है। उनके हाथों में सत्ता की डोर है और वे सशक्त हो गए हैं।'

प्रथम विश्व युद्ध के बाद ओटोमन साम्राज्य के पतन के साथ 1920 की सेव्रेस संधि में कुर्दों से एक स्वतंत्र कुर्द राष्ट्र की स्थापना का वादा किया गया था। लेकिन, संधि को कभी मान्यता नहीं दी गई और न ही 'कुर्दिस्तान' की स्थापना की गई। तब से ईरान, इराक और तुर्किये में कुर्द विद्रोही सरकार के खिलाफ सक्रिय हैं। वहीं, सीरिया में कुर्दों ने तुर्किये समर्थित बलों से लड़ाई लड़ी है।

इराक में कुर्द क्षेत्र ने 1991 में उस समय स्वायत्ता हासिल कर ली, जब अमेरिका ने सद्दाम द्वारा कुर्द विद्रोहियों के क्रूर दमन के खिलाफ उसे (कुर्द क्षेत्र को) उड़ान-निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया। इराक में सद्दाम युग के अंत के बाद पहली सरकार में विदेश मंत्री का पद संभालने वाले कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी (केडीपी) के वरिष्ठ पदाधिकारी होशियार जबारी कहते हैं, “हमने अपनी खुद की संस्थाएं बना ली थीं, संसद से लेकर सरकार तक।”

वह कहते हैं, “हमारे यहां गृहयुद्ध भी छिड़ गया था, लेकिन हमने उस पर काबू पा लिया था।” उनका इशारा 1990 के दशक के मध्य में प्रतिद्वंद्वी कुर्द समूहों के बीच हुए संघर्ष की ओर था। मासिफ में अपनी आलीशान कोठी से दिए एक साक्षात्कार में जबारी ने कहा, “बगदाद में सत्ता परिवर्तन इस क्षेत्र के लिए कई फायदे लेकर आया।” मासिफ इबरिल की पहाड़ियों में स्थित एक विकसित शहर है, जहां आज केडीपी का ज्यादातर नेतृत्व रहता है।

प्रतिद्वंद्वी पैट्रियॉटिक यूनियन ऑफ कुर्दिस्तान से जुड़े इराक के राष्ट्रपति अब्दुल लतीफ राशिद भी 2003 के बाद के हुए घटनाक्रमों पर अपनी राय जाहिर करते हैं। वह कहते हैं कि कुर्दों का लक्ष्य “एक लोकतांत्रिक इराक की स्थापना था और वे साथ ही कुर्द अवाम के लिए आत्मनिर्णय का अधिकार भी चाहते थे।”
    
 राशिद के मुताबिक, अमेरिका द्वारा सद्दाम को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद “हमें (कुर्दों को) यह हासिल हो गया... हम बगदाद में एक मजबूत संगठन बन गए।” आक्रमण के बाद के संविधान ने कुर्द क्षेत्र की अर्ध-स्वायत्त स्थिति को संहिताबद्ध किया। वहीं, एक अनौपचारिक सत्ता-साझाकरण व्यवस्था बनाई गई, जिसके तहत यह तय हुआ कि इराक का राष्ट्रपति हमेशा कुर्द, प्रधानमंत्री हमेशा शिया और संसद अध्यक्ष हमेशा सुन्नी होगा।
     
लेकिन, कुर्दिश क्षेत्र में भी आक्रमण के बाद की स्थिति जटिल है। दोनों प्रमुख कुर्दिश दलों में जहां सत्ता को लेकर संघर्ष जारी है, वहीं इरबिल और बगदाद में क्षेत्र और तेल से होने वाले राजस्व के बंटवारे को लेकर विवाद है। यही नहीं, नई व्यवस्था में कुर्द क्षेत्र के अरब नागरिक और तुर्कमेन व यजीदी सहित अन्य अल्पसंख्यक खुद को दरकिनार महसूस करते हैं।

इसके अलावा, घरेलू मुद्दों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव के बीच कुर्द क्षेत्र में आर्थिक विकास की रफ्तार स्थिर पड़ने के कारण हाल के वर्षों में बेहतर मौके की तलाश में इराक से बाहर जाने वाले कुर्द युवाओं की संख्या लगातार बढ़ी है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, इरबिल में 2021 में 15 से 24 साल के 19.2 फीसदी लड़के और 38 प्रतिशत लड़कियां स्कूल-कॉलेज छोड़ने के बाद रोजगार की तलाश में जुटे थे। वहाब कहते हैं कि इरबिल की 2003 के बाद की आर्थिक सफलता बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण भी प्रभावित हुई है।

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