अब फ्रांस और सीरिया में ठनी, राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ पहला इंटरनेशनल अरेस्ट वारंट जारी; जानें- क्यों?
2011 में जब सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ था तो रूस-ईरान को छोड़कर कई देशों ने सारियाई राष्ट्रपति असद की यात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन बीते साल UAE की उनकी यात्रा ने आपसी रिश्तों को पटरी पर ला दिया है
अब यूरोपीय देश फ्रांस और मिडिल-ईस्ट के सीरिया के बीच 10 साल पुराने मामले को लेकर फिर से तनाव बढ़ गया गया है। फ्रांस ने सीरिया में नागरिकों के खिलाफ प्रतिबंधित रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के लिए राष्ट्रपति बशर अल-असद, उनके भाई माहेर अल-असद और दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। फ्रांस ने ये वारंट मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराध के लिए जारी किया है।
रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने एक न्यायिक स्रोत और सीरियाई पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के अनुसार लिखा है कि गिरफ्तारी वारंट में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद, उनके भाई माहेर, सैन्य जनरल घासन अब्बास और बासम अल-हसन पर मानवता के खिलाफ अपराधों में संलिप्तता और युद्ध अपराधों में संलिप्तता का आरोप लगाया गया है।
अधिकार समूह सिविल राइट्स डिफेंडर्स के अनुसार, राष्ट्रपति के भाई माहेर अल-असद एक विशिष्ट सीरियाई सैन्य इकाई- चौथे बख्तरबंद डिवीजन के प्रमुख हैं, जबकि दो सैन्य जनरल घासन अब्बास और बासम अल-हसन, रासायनिक हथियार विकसित करने के आरोपी सीरियाई अनुसंधान एजेंसी में साथ-साथ काम करते थे।
केमिकल अटैक में मारे गए थे 1000 से ज्यादा लोग
रॉयटर्स के मुताबिक, ये वारंट अगस्त 2013 में सीरिया के डौमा शहर और पूर्वी घोउटा जिले में रासायनिक हमलों के मामले में जारी किया गया है। इन हमलों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। यह पहला अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट है, जो सीरिया के राष्ट्रपति के लिए जारी किया गया है, जिनकी सेना ने 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध के दौरान विरोध प्रदर्शनों का जवाब क्रूर कार्रवाई के साथ दिया था। संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने सीरियाई गृहयुद्ध को कुचलने के लिए सेना की क्रूर कार्रवाई को युद्ध अपराध के बराबर बताया है।
फ्रांस में मामला दायर करने वाले सीरियन सेंटर फॉर मीडिया एंड फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के संस्थापक और वकील माज़ेन दरविश ने कहा, ये पहले अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट भी हैं जो घोउटा में रासायनिक हथियारों से हमले के लिए जारी किए गए हैं। फ्रांस कथित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए विश्वव्यापी क्षेत्राधिकार का दावा करता है।
सीरिया का रासायनिक हमले से इनकार
दूसरी तरफ, सीरिया रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से इनकार करता रहा है लेकिन संयुक्त राष्ट्र और रासायनिक हथियार निषेध संगठन की पिछली संयुक्त जांच में पाया गया है कि सीरियाई सरकार ने अप्रैल 2017 के हमले में नर्व एजेंट सरीन का इस्तेमाल किया था और बार-बार क्लोरीन को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया था। इस मामले पर रॉयटर्स को दमिश्क की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
केमिकल अटैक के लिए सीरियाई राष्ट्रपति जिम्मेवार
फ्रांस में याचिका दायर करने वाले दरविश ने कहा कि यह निर्णय 2013 के रासायनिक हमले के "पीड़ितों, उनके परिवारों और बचे लोगों की जीत" और "सीरिया में न्याय और स्थायी शांति" की दिशा में एक कदम है। दरविश ने कहा, "सीरियाई राष्ट्रपति की जानकारी के बिना रासायनिक हमला नहीं हो सकता था क्योंकि वह सेना के सर्वोच्च कमांडर हैं। यह उनकी जिम्मेदारी है और उन्हें इस मामले में जवाबदेह ठहराया ही जाना चाहिए।"
दरविश ने कहा कि अल-असद और उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ मामले को प्रत्यक्ष गवाहों के विवरण और सीरियाई सैन्य श्रृंखला के गहन विश्लेषण से बल मिला है। 2013 में सीरियाई सेना के हमले के प्रभाव को दिखाने के लिए यूट्यूब पर शौकिया वीडियो पोस्ट किए गए थे, जिसमें जमीन पर फैली दर्जनों लाशों के फुटेज भी शामिल थे, जिनमें से कई बच्चे थे। एक अन्य तस्वीर में यह बात सामने आई थी कि कई बच्चे बेहोश होकर जमीन पर गिरे पड़े हैं उनके मुंह से झाग आ रहा है और डॉक्टर उन्हें बचाने के लिए ऑक्सीजन देने की कोशिश कर रहे हैं।
2011 में छिड़ा था सीरिया में गृह युद्ध
इन तस्वीरों ने तब पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। बाद में यूएन ने कहा था कि ऐसा सरीन गैस के इस्तेमाल की वजह से हुआ था। सीरिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर अल-असद के दमन के बाद 2011 में गृह युद्ध छिड़ गया था, जो एक घातक संघर्ष में बदल गया, जिसमें विदेशी ताकतें शामिल हो गईं थीं। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के पास फिलहाल दो राष्ट्राध्यक्षों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट है। पहला रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और दूसरा सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ ये वारंट हैं।
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