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भारत के साथ काम करने को तैयार हैं, चीन ने अजित डोभाल को भेजा संदेश; और क्या कहा?

गलवान के पास पैंगोंग सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा होने के बाद से व्यापार को छोड़कर दोनों देशों के बीच संबंध एक नए निचले स्तर पर पहुंच गए।

Amit Kumar पीटीआई, बीजिंगWed, 10 July 2024 03:32 PM
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चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से कहा कि चीन भारत के साथ सीमा क्षेत्रों में स्थिति को सही ढंग से संभालने के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है। वांग यी ने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से कायम सीमा विवाद के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्थिति से संबंधित मुद्दों को ‘ठीक से संभालने’ के लिए डोभाल के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है।

डोभाल को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और भारत-चीन सीमा मुद्दे के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में उनकी पुनर्नियुक्ति पर बधाई संदेश में वांग ने कहा कि चीन और भारत एक ऐसा रिश्ता साझा करते हैं जो द्विपक्षीय सीमाओं से परे है और वैश्विक महत्व बढ़ाने वाला है। वांग विदेश मंत्री के अलावा भारत-चीन सीमा वार्ता प्रणाली के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि भी हैं।

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य वांग ने मंगलवार को डोभाल को भेजे अपने संदेश में कहा कि दुनिया में दो सबसे अधिक आबादी वाले विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में चीन और भारत एक ऐसा रिश्ता साझा करते हैं जो द्विपक्षीय सीमाओं से परे और बढ़ते वैश्विक महत्व वाला है।

सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी की बुधवार को प्रकाशित खबर के अनुसार वांग ने कहा कि वह ‘‘दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्थिति से संबंधित मुद्दों को ठीक से संभालने और संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की रक्षा करने के लिए डोभाल के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं।’’

वांग ने हाल में कजाकिस्तान के अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। भारत में हाल में हुए आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के गठन के बाद यह भारतीय और चीनी अधिकारियों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक थी। भारत-चीन की 3,488 किलोमीटर तक फैली सीमा के जटिल विवाद से व्यापक तौर पर निपटने के लिए 2003 में गठित, विशेष प्रतिनिधि तंत्र का नेतृत्व भारत के एनएसए और चीनी विदेश मंत्री करते हैं।

गलवान के पास पैंगोंग सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा होने के बाद से व्यापार को छोड़कर दोनों देशों के बीच संबंध एक नए निचले स्तर पर पहुंच गए। मई 2020 में हुए संघर्ष के बाद से दोनों पक्षों ने गतिरोध को सुलझाने के लिए अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की बातचीत की है। 22वीं बैठक होने वाली है।

चीनी सेना के अनुसार, दोनों पक्ष अब तक पूर्वी लद्दाख में चार बिंदुओं- गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानन दबन (गोगरा) से पीछे हटने पर सहमत हुए हैं। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक इलाकों से सेना हटाने का दबाव बना रहा है और उसका कहना है कि जब तक सीमाओं की स्थिति असामान्य बनी रहेगी तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली नहीं हो सकती। चीन का अपना पक्ष है कि सीमा का प्रश्न संपूर्ण चीन-भारत संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करता, और इसे द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाना चाहिए एवं ठीक से संभाला जाना चाहिए।

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