PM ने दी गारंटी, फिर भी किसी बैंक ने नहीं दिया लोन; एयरलाइन बेचने को पाकिस्तान लाचार
मंत्री ने यह भी बताया कि कुप्रबंधन के कारण पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स को भारी नुकसान हो रहा था। उन्होंने कहा कि पीआईए का घाटा 285 अरब रूपये से बढ़कर अब 713 अरब रुपये हो गया है।
आर्थिक बदहाली झेल रहे पाकिस्तान में हालत ऐसी हो गई है कि वहां प्रधानमंत्री की भी कोई नहीं सुन रहा है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकड़ ने देशभर के बैंकों से अपील की थी कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन (PIA) को लोन दें लेकिन सभी बैंकों ने लोन देने से इनकार कर दिया । अब काकड़ की अगुवाई वाली कार्यवाहक सरकार ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन को कर्ज मुक्त करने के बाद उसे निजी हाथों में बेचने का फैसला किया है।
यह घोषणा तब की गई है, जब पहले से ही निजीकरण के लिए तैयार पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) और बिजली वितरण कंपनियों (DISCO) की बिक्री पर गंभीर वित्तीय संकट के कारण ब्रेक लग चुका है। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, इस्लामाबाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, कार्यवाहक निजीकरण मंत्री फवाद हसन फवाद ने सबसे अधिक घाटे में चल रही संस्थाओं के निजीकरण की स्थिति और DISCO की बिक्री पर लगे ब्रेक के बारे में भी जानकारी दी।
फवाद ने कहा, "यह निर्णय लिया गया है कि PIA को बकाए ऋणों से मुक्त करके एक साफ-सुथरी इकाई के रूप में उसका निजीकरण किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन कंपनी एक साफ-सुथरी इकाई है, जिसके पास केवल वर्तमान मुख्य संपत्ति और वर्तमान देनदारियां हैं।"
सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी और निजीकरण सचिव मुजतबा मेमन के साथ मौजूद फवाद ने संवाददाताओं से कहा कि एयरलाइन का न्यूनतम मासिक घाटा 12.8 अरब रुपये है और संघीय सरकार की गारंटी के बावजूद कोई भी बैंक पीआईए को नया ऋण देने के लिए तैयार नहीं था। मंत्री ने कहा कि पीआईए के कुल बकाए और देनदारियों को एक होल्डिंग कंपनी में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि बेची जाने वाली मुख्य संपत्तियों में पीआईए विमान, उसके मार्ग, लैंडिंग अधिकार, कोर इंजीनियरिंग और हवाई सेवा समझौते शामिल हैं।
PIA के पास 34 विमान हैं, लेकिन मंत्री ने कहा कि उनमें से केवल 19 ही उड़ान भर रहे हैं। फवाद ने अफसोस जताया कि फिलहाल 15 विमानों का परिचालन ठप है। उनमें से छह को पीआईए ने पट्टे पर लिया है और उन पर 2 मिलियन डॉलर का मासिक शुल्क लगता है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि पीआईए की बिक्री के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है लेकिन जितनी जल्दी हो सके इसे पूरा कर लिया जाएगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि कुप्रबंधन के कारण पीआईए को भारी नुकसान हो रहा था। उन्होंने कहा कि पीआईए का घाटा 285 अरब रूपये से बढ़कर अब 713 अरब रुपये हो गया है। यह 2020 में जीडीपी का सात फीसदी था।
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