क्या है 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' का विचार, जिससे परेशान दक्षिण कोरिया; निपटने को बनेगा मंत्रालय
- द. कोरिया ने एक मंत्रालय के गठन का फैसला लिया है। यह मंत्रालय युवाओं को विवाह और संतान के लिए प्रेरित करने के मकसद से योजनाएं बनाएगा। फिलहाल सरकार और उसकी एजेंसियां युवाओं को यह समझाने में असफल दिख रही हैं कि अच्छे कपड़े पहनना और शानदार रेस्तरां में खाने से ज्यादा अच्छा विकल्प परिवार बढ़ाना है।
इटली, जापान, रूस और दक्षिण कोरिया जैसे दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जो लगातार घटती आबादी के संकट से जूझ रहे हैं। दक्षिण कोरिया में तो ऐसी बड़ी युवा आबादी है, जो शादी और बच्चे नहीं चाहते। अपनी आयु के 20 से 30वें साल में चल रही ऐसी आबादी को परिवार व्यवस्था की ओर आकर्षित करने के लिए सरकार कई प्रयास भी कर रही है। एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने अब इस संकट से निपटने के लिए अलग से एक मंत्रालय के ही गठन का फैसला लिया है। यह मंत्रालय युवाओं को विवाह और संतान के लिए प्रेरित करने के मकसद से योजनाओं पर विचार करेगा।
फिलहाल सरकार और उसकी एजेंसियां युवाओं को यह समझाने में असफल दिख रही हैं कि अच्छे कपड़े पहनना और शानदार रेस्तरां में खाने से ज्यादा अच्छा विकल्प परिवार बढ़ाना है। वहीं इस बारे में युवाओं की राय अलग है। 28 साल की फैशन इंस्टाग्रामर और सिंगर पार्क यिऑन ने कहा कि मेरे लिए कपड़े, ट्रैवल और अच्छा खाना ज्यादा अहम है। इसके बाद शादी और बच्चों के लिए बजट ही नहीं बचता। वह खुद को YOLO (you only live once) जनरेशन बताती हैं यानी आपको जीवन एक ही बार मिलता है। वह कहती हैं कि हमें जीवन एक बार ही मिलता है और उसे अच्छे से जी लेना चाहिए।
वह कहती हैं, 'मैं अपनी जिंदगी जीने के बाद महीने में बहुत कम बचा पाती हूं। शादी कभी भी हो सकती है, लेकिन यह जरूरी है कि आज हम खुश रहें।' लेकिन अहम पहलू यह है कि दक्षिण कोरिया में जन्म दर लगातार कम हो रही है। बीते साल तो दक्षिण कोरिया ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। दक्षिण कोरिया के समाजशास्त्री कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी ज्यादा खर्च करना चाहती है और कम बचाती है। यह दूसरे देशों के युवाओं के मुकाबले उलटा है। सियोल महिला यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की प्रोफेसर जुंग जाए-हून ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी स्टेटस के पीछे भाग रही है।
इन लोगों को लगता है कि खूब खर्च किया जाए और अच्छी जिंदगी जिएं। युवा अपने ही लक्ष्य बना रहे हैं और उन्हें तय करने की रेस में हैं। इस रेस के बीच वह परिवार और बच्चों का ख्याल नहीं लाते। यही नहीं युवाओं के खर्च पर रोक लगाने के लिए दक्षिण कोरिया ने ब्याज दरों में बड़ा इजाफा भी किया है, लेकिन नियंत्रण नहीं कर पाई है। अब जनसंख्या संतुलन स्थापित करने को लेकर नीतियां बनाने के मकसद से एक अलग मंत्रालय का ही गठन किया जाएगा।
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