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खालिस्तानियों के डर से रोकी गई फिल्म 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग, भारत ने ब्रिटेन को लताड़ा

  • यह प्रतिक्रिया तब आई जब रविवार रात हारो व्यूए सिनेमा में नकाबपोश व्यक्तियों ने फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हमला कर दिया। इन व्यक्तियों की पहचान खालिस्तान समर्थकों के रूप में हुई है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, लंदनFri, 24 Jan 2025 06:26 PM
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खालिस्तानियों के डर से रोकी गई फिल्म 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग, भारत ने ब्रिटेन को लताड़ा

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने यूनाइटेड किंगडम में फिल्म 'इमरजेंसी' की स्क्रीनिंग के दौरान हुई हिंसक घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश सरकार से अपेक्षा की है कि वह इन घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे। इससे पहले ब्रिटेन में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के एक सांसद ने उत्तर-पश्चिम लंदन में उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ की स्क्रीनिंग के दौरान “नकाबपोश खालिस्तानी आतंकवादियों” द्वारा धमकी दिए जाने के मामले में गृह मंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

अब इस मामले पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, "फिल्म 'इमरजेंसी' कई सिनेमाघरों में दिखाई जा रही थी। हमें पता चला है कि इसको बाधित किया गया। हम लगातार यूके सरकार के साथ बातचीत में इन घटनाओं पर अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का चयनात्मक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, और जो लोग इसे बाधित करते हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि यूके सरकार जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी। लंदन में हमारा उच्चायोग हमारे समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा और हितों के लिए लगातार संपर्क में है।"

हिंसक विरोध और स्क्रीनिंग पर असर

यह प्रतिक्रिया तब आई जब रविवार रात हारो व्यूए सिनेमा में नकाबपोश व्यक्तियों ने फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हमला कर दिया। इन व्यक्तियों की पहचान खालिस्तान समर्थकों के रूप में हुई है, जो भारत विरोधी नारे लगा रहे थे। इस घटना के कारण सिनेमाघर ने फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी, जिससे दर्शकों में डर का माहौल बन गया।

ब्रिटिश सिख समूहों द्वारा बर्मिंघम, वॉल्वरहैम्प्टन, और पश्चिम लंदन के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के कारण सिनेमाघरों को 'इमरजेंसी' की निर्धारित स्क्रीनिंग रद्द करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने फिल्म को "सिख विरोधी भारतीय राज्य का प्रचार" करार दिया है और पूरे यूके में सिनेमाघरों में और विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।

फिल्म और विवाद

फिल्म 'इमरजेंसी' में कंगना रनौत ने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। यह 1975-77 के दौरान भारत में लगे आपातकाल के राजनीतिक घटनाक्रम पर आधारित है। जी स्टूडियोज द्वारा निर्मित इस फिल्म को बर्मिंघम के स्टार सिटी व्यू, हंसलो सिनेवर्ल्ड, फेल्थम सिनेवर्ल्ड और वॉल्वरहैम्प्टन सिनेवर्ल्ड से प्रदर्शनकारियों के दबाव के बाद हटा दिया गया। सिख प्रेस एसोसिएशन (Sikh PA) इन विरोध समूहों का प्रतिनिधित्व करती है। इसने कहा कि फिल्म में ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण "सिख विरोधी" है, जिसके कारण व्यापक विरोध हो रहा है। भारत सरकार ने यूके प्रशासन से अपील की है कि वह इन घटनाओं को गंभीरता से ले और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, यह सुनिश्चित करे कि यूके में भारतीय समुदाय और वहां की अन्य आबादी अपनी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त महसूस करे।

इससे पहले ब्रिटेन में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के एक सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (ब्रिटिश संसद के निचले सदन) को बताया कि “अत्यंत विवादास्पद” फिल्म के प्रदर्शन को वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम, स्लो, स्टेन्स और मैनचेस्टर में भी इसी प्रकार बाधित किया गया। इसके परिणामस्वरूप ‘व्यू और सिनेवर्ल्ड’ ने ब्रिटेन में अपने कई सिनेमाघरों से फिल्म को हटाने का निर्णय लिया है। व्यू और सिनेवर्ल्ड ब्रिटेन में कई सिनेमाघरों का संचालन करते हैं।

ब्लैकमैन ने संसद को बताया, “रविवार को मेरे कई मतदाताओं ने हैरो व्यू सिनेमा में ‘इमरजेंसी’ फिल्म देखने के लिए टिकट लिये थे। फिल्म के प्रदर्शन के लगभग 30 या 40 मिनट बाद, नकाबपोश खालिस्तानी आतंकवादी घुस आए, दर्शकों को धमकाया और फिल्म को जबरन बंद करवा दिया।”

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उन्होंने कहा, “यह फिल्म बहुत विवादास्पद है, और मैं इसकी गुणवत्ता या विषय-वस्तु पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं अपने और अन्य सदस्यों के मतदाताओं के इस फिल्म को देखने और इस पर निर्णय लेने के अधिकार का बचाव करता हूं। इसमें उस समय की कहानी है जब इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं।”

उन्होंने कहा, “क्या हम अगले हफ्ते गृह मंत्री (यवेट कूपर) से एक बयान की उम्मीद कर सकते हैं कि यह सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाएगा कि जो लोग ऐसी फिल्में देखना चाहते हैं, जिन्हें सेंसर द्वारा पारित किया गया है, वे शांति और सद्भाव में ऐसा कर सकें? मैं सिनेमाघरों के बाहर प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार का पूरी तरह से बचाव करता हूं, लेकिन फिल्म को दिखाये जाने को बाधित करने का नहीं।”

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