Hindi Newsविदेश न्यूज़S Jaishankar mentions Middle East conflicts and UNSC at BRICS Summit Widespread anxiety

ब्रिक्स के मंच से मिडिल-ईस्ट के तनाव और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर क्या बोले जयशंकर

  • रूस के कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बोलते हुए डॉ. जयशंकर ने मिडिल ईस्ट में चल रहे तनाव पर कहा है कि यह वैश्विक चिंता का विषय है। उन्होंने बातचीत के जरिए संघर्ष को खत्म करने की वकालत की है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानThu, 24 Oct 2024 04:19 PM
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विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सीट देने की मांग करते हुए गुरुवार को कहा है कि सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिक समावेशी दुनिया बनाने के लिए मौजूदा संस्थाओं में सुधार बेहद जरूरी है। रूस के कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बोलते हुए डॉ. जयशंकर ने मिडिल ईस्ट में चल रहे तनाव पर भी बात की है। उन्होंने भारत के टू स्टेट सॉल्यूशन पर समर्थन की बात दोहराते हुए कहा है कि इलाके में बढ़ रहे तनाव को बातचीत के जरिए सुलझाने की जरूरत है।

विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथनों को दोहराते हुए कहा है कि यह समय युद्ध का नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटना आज के समय की विशेष जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि यह युद्ध का युग नहीं है। विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति से निकाला जाना चाहिए। एक बार सहमति हो जाए तो ईमानदारी से उसका पालन होना चाहिए।’’ उन्होंने ब्रिक्स सत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए और आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रुख होना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र पर सुधार की दिशा में बातचीत करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, "ब्रिक्स जैसे संगठनों से आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि पुरानी व्यवस्था कितनी तेजी से बदल रही है। दरअसल पुरानी व्यवस्था ही नए रूप ले रही है।” डॉक्टर जयशंकर ने आगे कहा कि ग्लोबलाइजेशन का फायदा सभी तक समान रूप से नहीं पहुंच पाया है। उन्होंने कहा, “इसके अलावा कोविड महामारी और मौजूदा संघर्षों की वजह से ग्लोबल साउथ को और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य, खानपान और ऊर्जा की चिंताएं भी तेजी से बढ़ी हैं।”

डॉ एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे है। सवालिया लहज़े में उन्होंने कहा कि हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक तंत्र कैसे बना सकते हैं? उन्होंने कहा, “सबसे पहले हमें ऐसे प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा देना होगा जो स्वतंत्र हैं और अलग अलग क्षेत्रों में विकल्प तलाशने होंगे जिससे उन पर गैरजरूरी निर्भरता को कम करके उनका लाभ उठाया जा सके। ब्रिक्स ऐसा ही एक मंच है जहां ग्लोबल साउथ के लिए इसे संभव किया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि मौजूदा संस्थाओं और विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों को बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसी तरह वैश्विक डेवलेपमेंट बैंकों को भी सुधार करना होगा वे भी संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी पद्धति पर काम कर रहे हैं।

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