भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान के प्लान पर रूस का वीटो, अफगानिस्तान पर ग्रुप में एंट्री की मांग
- रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि यह जरूरी है कि शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों के बीच मजबूत भरोसा रहे। फिलहाल अफगानिस्तान के मामले को लेकर जो समूह बना है। उसमें भारत को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि यह सही कदम होगा।
भारत के खिलाफ अकसर पाकिस्तान और चीन की जुगलबंदी देखने को मिलती है। अफगानिस्तान को लेकर बने एक समूह में भी अब तक भारत को जगह नहीं दी गई थी, जिसका हिस्सा रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान हैं। साफ है कि पाकिस्तान और चीन नहीं चाहते कि अफगानिस्तान के मामले में भारत को शामिल किया जाए, लेकिन उनकी प्लानिंग पर रूस पानी फेरता दिख रहा है। रूस के विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव ने यह मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों के बीच मजबूत भरोसा रहे। फिलहाल अफगानिस्तान के मामले को लेकर जो समूह बना है। उसमें भारत को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि यह सही कदम होगा।
भारतीय विदेश सचिव और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री की हाल ही में दुबई में मीटिंग हुई थी। इसके बाद से ही चर्चा है कि अफगानिस्तान के मामलों में भारत की एंट्री हो सकती है। तालिबान सरकार ने भारत को लेकर नरम रुख अपनाया है और दोनों देश बीते कुछ समय में करीब आए हैं। इस मीटिंग में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया था कि वह उन शरणार्थियों की मदद करेगा, जिन्हें पाकिस्तान से वापस भेजा जा रहा है। इसके अलावा अफगानिस्तान में चलने वाली विकास परियोजनाओं के लिए भी वह अपना योगदान देगा। खासतौर पर ऐसे वक्त में अफगानिस्तान और भारत के बीच करीबी बढ़ी है, जब पाकिस्तान से तालिबान के रिश्ते खराब हुए हैं। यहां तक कि पाकिस्तान ने तो अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक्स भी की हैं।
रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान के गठजोड़ को अफगानिस्तान क्वॉड कहा जा रहा है, जिसकी नवंबर में संयुक्त राष्ट्र आमसभा से इतर मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में रूसी विदेश मंत्री लावरोव भी मौजूद थे, जिन्होंने अब भारत को भी ग्रुप में लाने की मांग उठा दी है। नवंबर में हुई मीटिंग में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री मुहम्मद आसिफ शामिल थे। इसके अलावा चीन की ओर से वांग यी, ईरान से विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची शामिल थे। दरअसल भारत के लिए रूस की ओर से समर्थन किया जाना बड़ी सफलता है। बता दें कि हाल ही में तालिबान से रिश्ते सुधरने को पाकिस्तान ने अपने खिलाफ बताया है। ऐसे में वह नहीं चाहेगा कि अफगानिस्तान के मामले में बने ग्रुप का हिस्सा भारत को बनाया जाए, लेकिन रूस के वीटो से स्थिति बदल सकती है।
कैसे SCO के ग्रुप को किया निष्क्रिय और बना लिया अलग गुट
दरअसल रूस की मांग इस बात पर आधारित है कि शंघाई सहयोग संगठन में ही एक अफगानिस्तान कॉन्टेक्ट ग्रुप है। इस ग्रुप में संगठन के सभी सदस्य देशों को शामिल किया गया है, लेकिन 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही यह ग्रुप सक्रिय नहीं है। चीन और पाकिस्तान तो क्वॉड में ही रुचि ले रहे हैं और उससे भारत को बाहर रखना चाहते हैं। लेकिन रूस इससे सहमत नहीं है। बता दें कि भारत ने काबुल में 2022 में ही एक टेक्निकल ऑफिस भी खोला था। उसके बाद से ही बीते दो सालों में तालिबान से भारत की बातचीत बढ़ी है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।