1972 वाला संविधान हटाओ, नया बनाओ; प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति का भवन घेरा, इस्तीफे की मांग
- मंगलवार को ढाका के शहीद मीनार में एक बड़ी रैली आयोजित की गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने अपनी 5 सूत्रीय मांगें रखीं, जिनमें राष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रमुख मांग शामिल है।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन 'बंगभवन' को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया है। वे राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। यह प्रदर्शन देश के छात्र आंदोलन 'एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट' के नेतृत्व में हो रहा है, जो पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने की मांग को लेकर चर्चाओं में आया था।
मंगलवार को ढाका के शहीद मीनार में एक बड़ी रैली आयोजित की गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने अपनी 5 सूत्रीय मांगें रखीं, जिनमें राष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रमुख मांग शामिल है। इसके बाद प्रदर्शनकारी रात में बंगभवन की ओर कूच कर गए, लेकिन उन्हें सेना द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स का सामना करना पड़ा। अब प्रदर्शनकारी बंगभवन के बाहर ही नारेबाजी कर रहे हैं और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "राष्ट्रपति शेख हसीना की तानाशाही सरकार के समर्थक हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।" मोहम्मद शाहबुद्दीन को चुप्पू के नाम से भी जाना जाता है। वे बांग्लादेश के 16वें राष्ट्रपति हैं और उन्हें 2023 में बिना विरोध के राष्ट्रपति चुना गया था, जिसका नामांकन सत्तारूढ़ अवामी लीग द्वारा किया गया था।
प्रदर्शनकारियों की मांगों में 1972 के संविधान को समाप्त कर 2024 की वास्तविकता के अनुरूप एक नया संविधान तैयार करना शामिल है। साथ ही, उन्होंने अवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने और पिछले चुनावों (2014, 2018, और 2024) को अवैध घोषित करने की मांग की है। इसके अलावा, इन चुनावों में जीतने वाले सांसदों को अयोग्य ठहराने की भी मांग की गई है।
प्रदर्शनकारियों ने जुलाई-अगस्त विद्रोह की भावना के अनुरूप एक नई गणराज्य की घोषणा की भी मांग की है। यह विरोध प्रदर्शन जुलाई में शुरू हुए थे, जब छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली समाप्त करने की मांग की थी, लेकिन यह जल्द ही सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया।
जैसे-जैसे प्रदर्शन तेज होते गए, 76 वर्षीय शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। इसके बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया, और 8 अगस्त को यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है और प्रदर्शनकारियों का जोरदार विरोध जारी है, जिनकी मुख्य मांग राष्ट्रपति शाहबुद्दीन के इस्तीफे पर केंद्रित है।
पिछले सप्ताह एक बांग्ला दैनिक को दिए गए साक्षात्कार में शहाबुद्दीन ने कहा कि उनके पास इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बीच देश छोड़कर जाने से पहले हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रदर्शनकारी नसीरउद्दीन पटवारी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति फासीवाद के सहयोगी हैं। वह नरसंहार के पक्षधर थे। हम उनके इस्तीफे की मांग करते हैं।’’
‘शाधिनोता-शोरबोभौमोत्तो रोक्खा समिति’ (स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए समिति) के बैनर तले प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ढाका विश्वविद्यालय परिसर में धरना दिया, जिसमें शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की गई तथा संविधान को समाप्त करने और ‘‘क्रांतिकारी सरकार’’ के गठन का आह्वान किया गया। प्रदर्शनकारियों ने हसीना की अवामी लीग पार्टी और उसके सहयोगियों की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने की भी मांग की।
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