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Hindi Newsविदेश न्यूज़Protests across Canada as 70000 international students face deportation against Justin Trudeau government deportation

कनाडा में भारतीय समेत 70,000 छात्रों पर क्यों मंडराया निर्वासन का खतरा, ट्रूडो सरकार के खिलाफ देशभर में हल्ला बोल

कनाडा में रह रहे हजारों स्नातक छात्रों के स्टडी परमिट इस साल के अंत में समाप्त हो रहे हैं, जबकि कनाडा सरकार उन्हें बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं है। निर्वासित किए जाने के डर से ये छात्र पूरे कनाडा में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उनके स्टडी परमिट को बढ़ाया जाए।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 27 Aug 2024 01:26 PM
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कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने हाल ही में अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव किया है, जिसकी वजह से करीब 70,000 अंतरराष्ट्रीय स्नातक छात्रों पर कनाडा से निर्वासित होने का खतरा मंडराने लगा है। इनमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं। ट्रूडो सरकार के इस फैसले के खिलाफ कनाडा में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और ट्रूडो सरकार के खिलाफ भारी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। जो छात्र कनाडा इस सपने को लेकर आए थे कि वो यहां नई जिंदगी बनाएंगे, वे अब तटों से लेकर तटों तक और अलग-अलग प्रांतों में भारी विरोध कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा में रह रहे हजारों स्नातक छात्रों के स्टडी परमिट इस साल के अंत में समाप्त हो रहे हैं, जबकि कनाडा सरकार उन्हें बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं है। निर्वासित किए जाने के डर से ये छात्र पूरे कनाडा में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उनके स्टडी परमिट को बढ़ाया जाए। स्टडी परमिट बढ़ाने के अलावा इन छात्रों की मांग उन्हें स्थाई निवास देने की भी है।

प्रदर्शनकारी छात्र कनाडा के अलग-अलग प्रांतों में रैलियां निकाल रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय छात्र प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (पीईआई), ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया सहित विभिन्न प्रांतों में कैम्प लगा रहे हैं और रैलियां निकाल रहे हैं। इसके अलावा सैकड़ों छात्र आव्रजन नियमों में बदलाव की मांग करते हुए तीन महीने से अधिक समय से विधान सभा के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

कनाडा में छात्रों की वकालत करने वाले एक समूह 'नौजवान सपोर्ट नेटवर्क' के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि इस वर्ष के अंत तक कई स्नातकों के वर्क परमिट की अवधि भी समाप्त हो जाएगी, जिसके बाद उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। यह स्थिति विशेष रूप से नई प्रांतीय नीतियों के कारण ज्यादा गंभीर हो गई है, जिसकी वजह से स्थायी निवास नामांकन में 25% की कटौती की गई है। इस नीति से कई छात्र असुरक्षित हो गए हैं।

निर्वासन का सामना कर रहे भारतीय छात्र महकदीप सिंह ने सिटी न्यूज टोरंटो को बताया, "मैंने कनाडा आने के लिए छह साल जोखिम उठाए। मैंने पढ़ाई की, काम किया, टैक्स चुकाया और पर्याप्त व्यापक रैंकिंग सिस्टम (सीआरएस) अंक अर्जित किए, लेकिन सरकार ने सिर्फ हमारा यूज किया है और अब निर्वासित करने पर तुली है।" सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने परिवार की जीवन भर की बचत को इसमें लगा दिया बावजूद इसके अब स्थायी निवास की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी ही तरह कई भारतीय इस समय इसी तरह के संकट का सामना कर रहे हैं।

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