Hindi Newsविदेश न्यूज़Pegasus ruling in the US Court Israel NSO Group could have reverberations in India

भारत में फिर जागेगा पेगासस का भूत? अमेरिकी अदालत ने इजरायली कंपनी को ठहराया जासूसी का जिम्मेदार

  • पेगासस का इस्तेमाल वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक असंतुष्टों और राजनयिकों के खिलाफ किया गया।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनSat, 21 Dec 2024 03:30 PM
share Share
Follow Us on

अमेरिका में पहली बार एक अदालत ने इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप (NSO Group) को उसके विवादास्पद जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह फैसला फेसबुक (मेटा) के स्वामित्व वाली व्हाट्सएप (WhatsApp) द्वारा दायर एक मामले में आया है। अमेरिकी जिला न्यायाधीश फिलिस हैमिल्टन ने एनएसओ ग्रुप को 1,400 व्हाट्सएप यूजर्स के डिवाइस को निशाना बनाने और कंप्यूटर फ्रॉड एंड अब्यूस एक्ट (CFAA) तथा कैलिफोर्निया के कंप्यूटर डेटा एक्सेस एंड फ्रॉड एक्ट (CDAFA) के उल्लंघन का दोषी पाया।

व्हाट्सएप बनाम एनएसओ ग्रुप मामला

व्हाट्सएप ने आरोप लगाया कि एनएसओ ग्रुप ने पेगासस स्पायवेयर के जरिए यूजर्स के डिवाइस तक पहुंच बनाई। पेगासस का इस्तेमाल वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक असंतुष्टों और राजनयिकों के खिलाफ किया गया। भारत में भी यह सॉफ्टवेयर कथित तौर पर पत्रकारों, राजनेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और नागरिक समाज के सदस्यों के डिवाइस में पाया गया।

भारत में पेगासस विवाद

2021 में, रिपोर्ट्स आईं कि पेगासस का इस्तेमाल भारत में 300 से अधिक मोबाइल नंबरों पर किया गया, जिनमें दो केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के नेता, संवैधानिक अधिकारी, पत्रकार और व्यापारियों के फोन शामिल थे। इन खुलासों से केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए, क्योंकि एनएसओ ग्रुप ने बार-बार कहा कि वह केवल सरकारों और सरकारी एजेंसियों से ही डील करता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने पेगासस के इस्तेमाल के आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें "आधारहीन" बताया। उस समय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा था कि भारत के कानून "अवैध निगरानी को रोकते हैं"।

ये भी पढ़ें:Android और iPhone चलाने वाले आम लोग भी खतरे में, मिले 5 नए पेगासस स्पाइवेयर

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच

2021 में, पेगासस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की। अगस्त 2022 में कमेटी ने फोन में पेगासस के इस्तेमाल का कोई निर्णायक प्रमाण नहीं पाया, लेकिन यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया। कमेटी की रिपोर्ट सीलबंद है और तब से इसे सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया है।

राज्यों में विवाद- पेगासस विवाद ने पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था।

पश्चिम बंगाल: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि राज्य सरकार को पेगासस खरीदने का ऑफर मिला था। राज्य सरकार ने इस मुद्दे की जांच के लिए आयोग का गठन किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसकी कार्यवाही पर रोक लगा दी।

आंध्र प्रदेश: वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के बीच पेगासस का इस्तेमाल बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना। टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने उनके और उनके बेटे नारा लोकेश के फोन टैप करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया।

ये भी पढ़ें:जल प्रलय लाकर गाजा में नरसंहार कर रहा इजरायल? क्या बोली नेतन्याहू सरकार

अमेरिकी कार्रवाई

2021 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने एनएसओ ग्रुप को ब्लैकलिस्ट कर दिया और अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को इसके उत्पाद खरीदने पर रोक लगा दी।

क्या है आगे का रास्ता?

अमेरिकी अदालत का यह फैसला पेगासस स्पायवेयर के पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीद जगाता है और एनएसओ ग्रुप जैसी कंपनियों के लिए जवाबदेही तय करने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें