Hindi Newsविदेश न्यूज़Panama Canal and its history Why does Donald Trump want America control

क्या है पनामा नहर और उसका इतिहास; आखिर क्यों इस पर अमेरिका का नियंत्रण चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप

  • Panama Canal: प्रशांत महासागर और अंटार्किट महासागर को जोड़ने वाली 82 किमी लंबी पनामा नहर अमेरिकी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। इस नहर पर 1999 तक अमेरिका का नियंत्रण था। लेकिन एक समझौते के तहत इसे पनामा को सौंप दिया गया। अब ज्यादा कर और चीन की दखलअंदाजी अमेरिका को रास नहीं आ रही है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानMon, 23 Dec 2024 05:37 PM
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति सत्ता संभालने के पहले ही कई देशों की धड़कन बढ़ाने वाला बयान दे रहे हैं। हाल ही में ट्रंप ने पनामा को धमकी देते हुए कहा कि वह पनामा नहर पर बहुत ज्यादा टैक्स लगा रहे हैं अगर उन्होंने ऐसा करना बंद नहीं किया तो अमेरिका को एक बार फिर से पनामा नहर पर अपना नियंत्रण वापस लेना होगा। ट्रंप की इस धमकी का जवाब पनामा के राष्ट्रपति मुनीलो ने दिया। उन्होंने कहा कि पनामा नहर और उसके हर हिस्सा पनामा की संपत्ति है। हमारे देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के साथ किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं होगा।

ट्रंप इससे पहले भी कई देशों को ऐसी टैरिफ की धमकियां दे चुके हैं। इससे पहले भी ट्रंप कह चुके हैं कि पनामा नहर एक समय पर अमेरिकी की संपत्ति हुआ करता था। अब अगर पनामा उस नहर को सही ढंग से संचालित करने में असमर्थ है तो फिर हमें दोबारा उस पर नियंत्रण हासिल करना होगा। यही नहीं ट्रंप ने पनामा में चीनी निवेश का जिक्र करते हुए कहा कि पनामा गलत हाथों में चला गया है।

क्या है पनामा नहर का इतिहास

अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती यह 82 किलोमीटर लंबी नहर अमेरिकी महाद्वीपों के व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। इस नहर की परिकल्पना सबसे पहले 1500 ईस्वी में की गई। कई प्रयासों के बाद 18वी सदी में फ्रांस ने पनामा के दोनों हिस्सों को काटकर नहर बनाने का काम शुरू किया लेकिन उस समय के हिसाब से यह करना आसान नहीं था इसलिए फ्रांस इस काम को अंजाम देने में असफल हो गया।

1900 के दशक में अमेरिका ने इसका निर्माण कार्य शुरू किया। 1914 में इस नहर को सार्वजनिक तौर पर खोल दिया गया। तब से लेकर 1977 तक इस नहर का पूरा नियंत्रण अमेरिका के पास ही रहा। 1977 में अमेरिका और पनामा के बीच हुए समझौते के कारण इसके नियंत्रण और कर का थोड़ा हिस्सा पनामा को भी मिलना शुरू हो गया। साल 1999 में अमेरिका ने पनामा पर अपना नियंत्रण छोड़ दिया और यह पूरी तरह से पनामा के नियंत्रण में आ गया। तब से लेकर अब तक पनामा ही इस नहर को संभालता है।

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पनामा की आय का सबसे बड़ा साधन यह नहर ही है। इस नहर से पनामा को हर साल करीब 1 अरब डॉलर कर के रूप में मिलता है। पनामा हर साल इस नहर के विस्तार को लेकर भी काम करता है। वैश्विक बाजार में चीन की महत्वता के बढ़ने से पनामा नहर की अहमियत भी बढ़ गई है। क्योंकि यह नहर ही अमेरिका के पूर्वी तट को चीन के पूर्वी तट से जोड़ने का काम करती है।

डोनाल्ड ट्रंप का पनामा पर सवाल उठाना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि इस नहर का ज्यादातर उपयोग अमेरिका के कार्गों शिप्स को लाने ले जाने में होता है। ऐसे में कर की दर का अधिक होना अमेरिका के लिए ही परेशानी खड़ा करता है। इसके अलावा ट्रंप की धमकी की दूसरी वजह पनामा में चीन की दखलअंदाजी भी है। इस देश ने 2017 में ताइवान के साथ अपने संबंध खत्म करके चीन के साथ अपनी दोस्ती मजबूत की थी इसके बाद से चीन लगातार यहां पर निवेश कर रहा है। ट्रंप ने कहा कि पनामा नहर चीन के लिए नहीं है। इसका जवाब देते हुए पनामा के राष्ट्रपति ने कहा कि नहर पर चीन का कोई नियंत्रण नहीं है।

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